- राजनीतिक पंडितों का कयास बीजेपी पर्दे के पीछे से बड़ा खेला करने के प्रयास में
नीति गोपेंद्र भट्ट
नई दिल्ली : सचिन पायलट अनशन प्रकरण में गुरुवार को नई दिल्ली में कांग्रेस के नेताओं की बैठकों का दौरचला और अभी भी इस बात का खुलासा नही हों पाया कि यह मामला किस नाटकीय मोड़ की ओर जायेगा।बताया जाता है कि अनशन के बाद जयपुर से दिल्ली आने के बाद सचिन पायलट की किसी केन्द्रीय नेता सेमुलाक़ात नही हुई है। इधर राजस्थान प्रदेश प्रभारी सूखजिंदर सिंह रंधावा और संगठन महामंत्री के सी वेणुगोपाल ने कांग्रेस नेता राहुल गाँधी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाक़ात की। बतायाजा रहा है कि दोनों नेताओं ने उन्हें पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी। रंधावा ने खड़गे को अपनी प्रारम्भिक रिपोर्टभी दी है। वे मीडिया के समक्ष पहले ही कह चुके है कि सचिन पायलट का कदम उचित नही था। कांग्रेस हाईकमान के अधिकांश नेता भी सचिन के कदम से नाराज़ है और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थन में खड़े है।गहलोत की वरिष्ठता हाई कमान के प्रति वफ़ादारी संकट की हर घड़ी में मज़बूती से आगे आकर खड़े रहना औरआने वाले चुनावों में उनकी उपयोगिता को देखते हुए उनकी प्रासंगिकता कई गुना अधिक आंकी जा रही है।
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार प्रियंका गाँधी ने इस मामले में पहल करने का प्रयास किया है और उनकी सचिनपायलट से बात हुई है।राजस्थान में इस वर्ष के अन्त में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए राहुल गाँधी नेपार्टी के एक वरिष्ठ नेता को गहलोत पायलट के मध्य बीच बचाव का अंतिम प्रयास करने की जिम्मेदारी दी है।बताया जा रहा है कि मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ को सक्रिय किया जा रहा है। यह खबर भी आरही है कि हाई कमान 2019 से अब तक हुए सभी घटना क्रमों की एक फ़ेहरिस्त बना कर पूरे मामले काविश्लेषण करना चाहता है ताकि दोनों पक्षों को उनकी ग़लतियों कमज़ोरियों और मजबूतियों को बताया जासके।
रंधावा ने मीडिया के समक्ष कहा था कि राजस्थान मामले में अब तक हुई अनुशासन हीनता पर पहलें हीकार्यवाही होनी चाहिए थी । कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं का एक समूह भी चाहता है कि इस मामले का यथाशीघ्र निपटारा होना चाहिए अन्यथा आने वाले चुनाव में पार्टी को नुक़सान होगा।
बताया जा रहा है कि राहुल गाँधी ने गहलोत और पायलट दोनों को पार्टी का ऐसेट्स बताया था इसलिए वेचाहते है कि इस मामले का सम्मानजनक हल निकाला जायें लेकिन बताया जाता गाई कि इस बार सचिनपायलट अपनी शर्तों पर ही आगे बढ़ना चाहते है।मामला इतना आगे बढ़ चुका है कि गहलोत और पायलट दोनोंनेता एक दूसरे को देखना पसन्द नही करते है इसलिए जब तक एक दूसरे के दिल नही मिलते है इसकासमाधान कैसे होगा यह यक्ष प्रशन है। विधायकों का बहुमत गहलोत के पास है ।राजनीतिक जानकार केअनुसार पायलट आने वाले चुनाव में टिकट वितरण में अपने समर्थकों को आगे लाने के लिए दवाब कीराजनीति बना कर अपनी बातें मनवाना चाहते है।यदि उनका यह अंतिम अस्त्र नही चला तों वे और किसी पार्टीका दामन भी थाम सकते है। पार्टी हाई कमान नही चाहता कि विधान सभा चुनाव सर पहले ऐसे कोई हालातपैदा नही होंवे कि पार्टी को कोई नुक़सान उठाना पड़े। पूरे मामले को सुलझाने के लिए हाई कमान की ओर सेशीघ्र ही अशोक गहलोत को भी दिल्ली बुलाया जा सकता है।पार्टी अध्यक्ष खड़गे का फ़िलहाल कर्नाटका के दौरे पर जाना प्रस्तावित है ।इसलिए राजस्थान की दृष्टि से अगला सप्ताह बहुत महत्वपूर्ण रहेगा।
राजनीतिक पंडितों का कयास बीजेपी पर्दे के पीछे से बड़ा खेला करने के प्रयास में
सचिन पायलट अनशन प्रकरण को लेकर राजस्थान और कांग्रेस की राजनीति में आए तूफ़ान को लेकर राष्ट्रीयराजधानी दिल्ली के राजनीतिक वातावरण में कई प्रकार की खबरें तैरने लगी है।
कुछ लोगों का मानना है कि मामला इतना अधिक आगे बढ़ गया है कि इस बार सचिन पायलट की हट किसीभी हद तक जा सकती है और समय रहते इसका समुचित समाधान नही निकाला गया तों कांग्रेस को राजस्थानही नही अन्य प्रदेशों में भी गहलोत-पायलट गुट के झगड़े का ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ सकता है।
कुछ राजनीतिक पण्डित यह कयास भी लगा रहे है कि भाजपा पर्दे के पीछे से कोई बड़ा खेल कर रही है ताकिइस बार एक तीर से कई निशाने लगाए जा सके।हालाँकि इसमें कितनी सच्चाई है यह तों भविष्य के गर्भ में हीहै।
इधर पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे द्वारा प्रदेश के मौजूदा राजनीतिक हालातों पर डूंगरपुर जिले के सागवाडा मेंइशारों ही इशारों में की गई टिप्पणी कि कितना ही षड्यन्त्र रच ले, उनकी हर साज़िश होगी नाकाम की भीदिल्ली में बहुत चर्चा हों रही है।
राजे द्वारा सुनाई गई एक कहानी के अनुसार भगवान ने एक अधर्मी के बारे में बताया कि उसके भाग्य मेंराजयोग था,मगर उसने मेरे भक्त पर झूँठा आरोप लगा कर उसका दिल दुखाया। इसलिये भाग्य में होने केबावजूद उसे राजयोग कभी प्राप्त नहीं होगा।चाहे वह कितने ही झूँठे आरोपों का सहारा ले ले। कितना ही षड्यंत्ररच ले, कामयाबी अंत में तुम्हारी ही होगी।