प्रदीप शर्मा
राजस्थान के उदयपुर में हुए कांग्रेस चिंतन शिविर को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने ऐलान किया कि पार्टी की तरफ से कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत की जाएगी. कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्षा सोनिया गांधी ने कहा कि हम 2 अक्टूबर से गांधी जयंती के दिन ‘राष्ट्रीय कन्याकुमारी टू कश्मीर भारत जोड़ों यात्रा’ शुरू करेंगे. सभी युवा और सभी नेता इस यात्रा में हिस्सा लेंगे.अपने छोटे से संबोधन के अंत में सोनिया गांधी ने तीन बार जोर देकर कहा कि “हम जीतेंगे, हम जीतेंगे, हम जीतेंगे- यही हमारा संकल्प है, यही हमारा संकल्प है।
इससे पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने रविवार को केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर महंगाई, बढ़ती बेरोजगारी और देश के संस्थानों पर हमले को लेकर निशाना साधा। राहुल गांधी ने चिंतन शिविर के समापन पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि ‘देश में आग लगने वाली है। मैंने आपको कोविड से पहले चेताया था, अब फिर कह रहा हूं, ये देश के संविधान और उससे जुड़ी संस्थाओं को तोड़ रहे हैं, ये जितना संस्थानों को खत्म करेंगे, उतनी ही आग लगेगी। अभी जो डेमोग्राफिक डिविडेंड है, वो डिजास्टर बन जाएगा।’
राहुल गांधी ने चिंतन शिविर के समापन पर बीजेपी और आरएसएस पर जमकर हमला बोला। राहुल गांधी ने पार्टी के 400 से अधिक कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘कांग्रेस ने हमेशा लोगों को बिना किसी डर, चिंता के विचार-विमर्श के लिए एक मंच दिया है। हालांकि, एक डर है कि हमारा डेमोग्राफिक डिविडेंड है, वो डेमोग्राफिक डिजास्टर में बदल जाएगा। इसके लिए भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।’
केंद्र पर तीखा हमला बोलते हुए राहुल गांधी ने कहा, ‘आजकल भारत में सार्थक बातचीत की अनुमति नहीं है। हम बातचीत को दबाते हुए देखते हैं और हम इसके परिणामों को नहीं समझते हैं।’ उन्होंने भाजपा और आरएसएस को आड़े हाथ लिया और कहा कि सत्तारूढ़ सरकार कभी भी ऐसी खुली बातचीत की अनुमति नहीं देगी, जो कांग्रेस ने हमेशा प्रदान की है, जहां लोग बिना किसी डर या चिंता के विचार-विमर्श कर सकें। निश्चित रूप से, भाजपा और आरएसएस कभी भी ऐसा नहीं होने देंगे। भारत राज्यों का एक संघ है। उन्होंने कहा, ‘जिस दिन इस देश की संस्थाएं काम करना बंद कर देंगी, जिस दिन यह देश खुद से बातचीत करना बंद कर देगा, हम गंभीर संकट में पड़ जाएंगे।’
राहुल गांधी ने देश में पार्टी की मौजूदा स्थिति पर प्रकाश डाला और कहा कि हमें, लोगों के साथ अपने संबंध को पुनर्जीवित करना होगा। यह स्वीकार करना होगा कि जनता के साथ हमारे संबंध टूट गए थे। हम यह मजबूत करेंगे, यह किसी शॉर्ट-कट से नहीं होगा, इसके लिए कड़ी मेहनत की जरूरत है।
उदयपुर में 3 दिन चले चिंतन शिविर के बीच पार्टी ने अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों को पार्टी में ज्यादा नुमाइंदगी देने के लिए बड़ा कदम उठाया है। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस ने एससी-एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यकों के लिए पार्टी के सभी पदों में से 50 फीसदी पद आरक्षित करने की योजना तैयार की है. पार्टी ने शनिवार को इसकी जानकारी दी. मिशन 2024 के लिए मजबूत तैयारी कर रही कांग्रेस के लिए इन वंचित वर्गों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने का फैसला बेहद अहम माना जा रहा है. इस चिंतन शिविर में पार्टी संगठन को दोबारा खड़ा करने, लगातार चुनावी हार से सबक लेते हुए अच्छे नतीजों औऱ नेतृत्व जैसे मुद्दों पर पार्टी के पदाधिकारियों ने गहन विचार-विमर्श किया।
‘नवसंकल्प चिंतन शिविर’ में कांग्रेस ने महिला आरक्षण को लेकर ‘कोटे के भीतर कोटा’ के प्रावधान पर अपने रुख में बदलाव की तरफ कदम बढ़ाते हुए निजी क्षेत्र में भी आरक्षण की पैरवी का मन बनाया है।
कांग्रेस ने किसानों के लिए ‘कर्जमाफी से कर्जमुक्ति’ का संकल्प लिया और कहा कि अब देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी अधिकार मिलना चाहिए और किसान कल्याण कोष की भी स्थापना होनी चाहिए।
इस पर भी चर्चा की गई कि क्या संगठनात्मक सुधार करने चाहिए जिससे पार्टी कमजोर तबकों को संदेश दे सके? चिंतन शिविर के लिए गठित कांग्रेस की सामाजिक न्याय संबंधी समन्वय समिति के सदस्य के. राजू ने बताया कि यह प्रस्ताव आया है कि एक सामाजिक न्याय सलाहकार समिति बनाई जाए जो सुझाव देगी कि ऐसे क्या कदम उठाए जाने चाहिए जिससे इन तबकों का विश्वास जीता जा सके।
समिति ने सिफारिश की है कि पार्टी को जाति आधारित जनगणना के पक्ष में रुख अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि एससी-एसटी ‘सब-प्लान’ को लेकर केंद्रीय कानून और राज्यों में कानून बनाने की जरूरत है।
कांग्रेस के एक नेता ने कहा, ‘सरकारी क्षेत्र में नौकरियां कम हो रही हैं। ऐसे में हम पार्टी नेतृत्व से सिफारिश कर रहे हैं कि निजी क्षेत्र की नौकरियों में भी एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण होना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय संबंधी समिति की ओर से लोकसभा और विधानसभाओं में ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान करने की भी पैरवी की गई है।
महिला आरक्षण विधेयक UPA सरकार के समय राज्यसभा में पारित किया गया था, लेकिन कई दलों के विरोध के चलते यह लोकसभा में पारित नहीं हो पाया। महिला आरक्षण मामले पर पहले के रुख में बदलाव पर कांग्रेस की वरिष्ठ नेता कुमारी सैलजा ने कहा, ‘इस पर (कोटा के भीतर कोटा) ऐतराज कभी नहीं था। उस समय गठबंधन की सरकार थी। सबको एक साथ लेना मुश्किल था। उस समय हम इसे पारित नहीं करा पाए। समय के साथ बदलना चाहिए। आज यह महसूस होता है कि इसे इसी प्रकार से आगे बढ़ना चाहिए।’