
इंद्र वशिष्ठ
किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व/चरित्र का पता उसकी छोटी-छोटी बातों/कार्यों और आचरण से चलता है।
उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के बारे में विपक्ष की राय/ धारणा अपनी जगह पर है। विपक्ष के प्रति जगदीप धनखड़ का राजनैतिक व्यवहार तो, जैसा है वैसा ही रहेगा, क्योंकि राजनीति में यह सब स्वाभाविक/सामान्य है।
संवेदनशील चेहरा-
लेकिन जगदीप धनखड़ का एक ऐसा रुप इस पत्रकार ने शुक्रवार 28 मार्च 2025 को राज्यसभा में देखा, जिसमें उनका मानवीय और संवेदनशील चेहरा नज़र आया।
राज्य सभा में हंगामे और शोर शराबे के बीच में भी विपक्ष के सदस्यों के प्रति भी वह कितने संवेदनशील और उनकी परवाह करने वाले हैं। कहने, सुनने और देखने में यह व्यवहार बेशक बहुत सामान्य सा लगेगा, लेकिन सही मायने में ऐसे व्यवहार से ही व्यक्ति के संस्कार, परवरिश, इंसानियत और चरित्र का पता चलता है।
खरगे जी को पानी दो-
राज्य सभा में शुक्रवार 28 मार्च को सदन में सत्ता पक्ष के सदस्यों द्वारा समाजवादी पार्टी के रामजी लाल सुमन द्वारा मेवाड़ के महान योद्धा राणा सांगा के बारे में दिए बयान पर हंगामा किया जा रहा था।
राज्य सभा में विपक्ष के नेता कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे इस विषय पर बोलने के लिए खड़े हुए। मल्लिकार्जुन खरगे ने जैसे ही बोलना शुरू किया, उन्हें खांसी आ गई। सभापति जगदीप धनखड़ ने तुरंत अपने पास रखे हुए, पानी के गिलास की तरफ हाथ बढ़ाया और अपने स्टाफ़ से कहा, खरगे जी को पानी दो। स्टाफ़ तुरंत सभापति वाला पानी का गिलास खरगे को दे कर आया।
इससे पता चलता है कि हंगामे और शोर शराबे के बीच में भी जगदीप धनखड़ सदस्यों के प्रति कितने संवेदनशील, जागरूक है।
तानाशाह कौन नहीं है ?
सत्ता/भाजपा के राजनेता होने के कारण जगदीप धनखड़ का विपक्ष के प्रति राजनैतिक व्यवहार तो स्वाभाविक रूप से वैसा ही है, जैसा विपक्षी दलों के नेता खुद सत्ता में होने पर तत्कालीन विपक्ष के साथ करते रहे हैं। सत्ता और राजनेताओं का मूल चरित्र लगभग एक जैसा ही होता है। जो विपक्षी दल आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तानाशाह कह रहे हैं। अतीत में वह खुद भी तानाशाही करते रहे हैं।
(इंद्र वशिष्ठ दिल्ली में 1989 से पत्रकारिता कर रहे हैं। दैनिक भास्कर में विशेष संवाददाता और सांध्य टाइम्स (टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप) में वरिष्ठ संवाददाता रहे हैं।)