जैसलमेर बर्निग बस हादसा दे गया कई सबक

Jaisalmer burning bus accident taught many lessons

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

पश्चिम राजस्थान के विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल जैसलमेर नगर से सटे थईयात गाँव के पास मंगलवार को दोपहर एक निजी एसी स्लीपर बस में भयावह आग लगने की घटना ने पूरे राज्य और देश को झकझोर दिया। बस में करीब 57 यात्री सवार थे। इस भयावह आग में अब तक 21 लोगों की मौत हुई है और लगभग 15 अन्य यात्री गंभीर रूप से झुलसे हुए हैं जिनका जोधपुर में इलाज हो रहा है। यह दुर्घटना 14 अक्टूबर 2025 को दोपहर के लगभग 3:30 बजे हुई, जब एक प्राइवेट बस जो जैसलमेर से जोधपुर जा रही थी, थईयात गाँव (जैसलमेर से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर) के पास अचानक आग की लपेट में आ गई।

दुर्घटना की सूचना मिलते ही मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने अपने सभी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम कैंसिल कर घटना स्थल पर पहुंच कर अपनी संवेदनशीलता दिखाई। उनके साथ राज्य के चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खीवसर और स्थानीय विधायक प्रताप पूरी भी थे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े, विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने इस भीषण दुर्घटना पर गहरा शोक जताया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मृतकों के परिजनों को पीएम राष्ट्रीय राहत कोष से ₹2 लाख और घायलों को ₹50,000 रु की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है । राज्य सरकार ने भी आवश्यक सहायता का आश्वासन दिया है।

यह दुर्घटना सिर्फ एक सड़क हादसा नहीं, बल्कि यात्री सुरक्षा, बस संचालन व्यवस्था, आपदा प्रबंधन और प्रशासनिक जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े करती है। इस घटना ने कई परिवारों को अपूरणीय क्षति पहुँचाई, और फिर से याद दिलाया कि अगर समय रहते सुरक्षा मानकों का ठीक से पालन न हो तो एक साधारण यात्रा भी तांडव बन सकती है।

जैसलमेर बस दुखांतिका में जिस तरह से आग तेजी से फैली और यात्रियों के बाहर निकलने के रास्ते बंद हो गए, उससे यह स्पष्ट है कि यह हादसा भयानक रूप ले चुका था। कई शव इतने जल चुके थे कि उनकी पहचान करना मुश्किल हो गया और डीएनए परीक्षण से मृतकों की पहचान की जा रही है। इस दुर्घटना ने अहमदाबाद में हुई विमान हादसे की याद ताजा कर दी जिसमें एक ही परिवार के सभी सदस्य आग में भस्म हो गए थे। इसी तरह इस बस हादसे में भी महेंद्र मेघवाल उनकी पत्नी और तीन बच्चों सहित पूरा परिवार भीषण अग्नि की भेंट चढ़ गया और दीपावली से पहले अपने परिवार जनों को दुःख के दरिया में डूबो गया। उनके परिवार जनों की त्रासदी देखी नहीं जा रही। महेंद्र मेघवाल, सेना के गोला-बारूद डिपो में तैनात थे, वह अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ दिवाली मनाने जैसलमेर से अपने घर जा रहे थे लेकिन उन्हें शायद यह नहीं पता था कि यह सफर उनकी जिन्दगी का आखिरी सफर बन जाएगा।

प्रारंभिक रिपोर्टों में यह संभावना जताई गई है कि बस के एसी (एयर कंडीशनिंग) सिस्टम में शॉर्ट सर्किट हुआ, जिसकी वजह से गैस लीक हो गया और आग भड़क गई। कतिपय लोगों का यह भी कहना है कि बस में पटाखों आदि ज्वलनशील वस्तुओं का परिवहन होना भी हादसे के अति गंभीर परिणाम का कारण बना। इसके अलावा, इस बस में केवल एक ही दरवाजा था और वह आपातकालीन निकासी के लिए अपर्याप्त था इससे लोग अन्दर फंस गए और दम घुटने तथा आग फैलने से बस में स्वाह हो गए।

जैसे ही हादसे की सूचना मिली, स्थानीय लोगों, सेना के जवानों ,पुलिस, दमकल विभाग और राज्य प्रशासन ने राहत एवं बचाव कार्य शुरू कर दिए। घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया तथा बाद में लगभग 300 किमी का एक विशेष कॉरिडोर बना सभी को जोधपुर लाया गया।स्थानीय नागरिकों ने घायलों विशेष कर फटे कपड़ों से पीड़ितों महिलाओं की मदद की और उनके लिए आन आबरू सुरक्षित करने कपड़ों का प्रबन्ध कर उन्हें तुरंत उपचार के लिए अस्पताल पहुंचाने में तत्परता दिखाई।

इस बस दुर्घटना में हुई भारी मानवीय क्षति ने राजनैतिक और सामाजिक बहस को झकझोर कर रख दिया है। सामान्य नागरिक, पत्रकार और राजनेता सभी इस पर सवाल उठा रहे हैं कि कैसे एक नई नवेली बस इतनी जल्दी आग की चपेट में तब्दील हो सकती है? इस मामले में राजस्थान की भाजपा सरकार ने जांच एवं कार्रवाई में तत्परता दिखाते हुए नई बस को परमिट स्वीकृत करने वाले चितौड़गढ़ के दो परिवहन अधिकारियों को निलंबित कर दिया हैं, ताकि कथित लापरवाही की जांच की जा सके। पुलिस ने बस मालिक, ड्राइवर और खलासी से पूछताछ शुरू कर दी है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि बस केवल दस दिन पहले खरीदी गई थी इसलिए यह देखना आवश्यक है कि नई बस में कैसे इतनी तेजी से आग लगी। भजन लाल सरकार ने राज्य परिवहन विभाग, आर टी ओ और अन्य एजेंसियों को आदेश दिए गए हैं कि वे अन्य बसों की सुरक्षा जांच और मानकों की तत्काल समीक्षा करें। परिवहन विभाग में जैसलमेर बस हादसे के बाद हड़कंप मच गया है।

परिवहन सचिव शुचि त्यागी ने आदेश कर विभाग में सभी अधिकारियों के अवकाश निरस्त कर दिए है। आर टी ओ, डीटीओ के अवकाश निरस्त किए गए है।परिवहन निरीक्षक और उप निरीक्षकों की भी छुट्टी निरस्त कर दी है।त्योहारी सीजन को देखते हुए परिवहन विभाग ने बसों की सघन जांच शुरू कर अनियमितता बरतने वाले बस मालिकों के विरुद्ध कार्यवाहीका अभियान आरम्भ कियाक है। लगेज और क्षमता से अधिक सवारियों लेकर चलने वाली बसों और बिना परमिट-फिटनेस और टैक्स के चल रही बसों के खिलाफ अभियान शुरू किया गया. 30 से अधिक बसों के चालान बनाए गए. बसें एक्स्ट्रा लगेज और सवारियां लेकर चलती है. दीपावली तक RTO का विशेष अभियान लगातार जारी रहेगा।

यह भयावह हादसा कई सबक दे गया है कि सुरक्षा मानकों का सख्त पालन कराना अति आवश्यक है। साथ ही इस तरह की बसों में पर्याप्त संख्या में इमरजेंसी दरवाजे, अग्रिम निकासी मार्ग और आग बुझाने की उपकरण अनिवार्य रूप से होने चाहिए। क्योंकि जैसलमेर हादसे में बस में एक ही दरवाजा और अनुपयुक्त निकासी व्यवस्था इतनी भयावह आपदा का कारण बनी।बसों का समय-समय पर तकनीकी निरीक्षण करना और अग्नि सुरक्षा प्रमाणन आवश्यक है। यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बसों में कोई ज्वलनशील या अवैध सामग्री न रखी जाए। ड्राइवर, टिकट चेक करने वाला स्टाफ और खलासी को अग्नि सुरक्षा, आपातकालीन निकासी और यात्रियों को निर्देश देने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। दुर्घटना के तुरंत बाद बचाव कार्यों की गति अत्यंत महत्वपूर्ण है। स्थानीय पुलिस, दमकल और स्वास्थ्य सेवाओं का समन्वित प्रतिक्रिया तंत्र होना चाहिए। दुर्घटना की जांच निष्पक्ष और पारदर्शी होनी चाहिए, और दोषियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। इस तरह की घटनाओं से जनता की आस्था नहीं टूटनी चाहिए।

पश्चिमी राजस्थान के विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल जैसलमेर के निकट हुआ यह बस हादसा एक बहुत ही दुखद और संवेदनशील है। यह केवल एक दुर्घटना नहीं है बल्कि हम सभी को एक चेतावनी है कि जब हम सुरक्षा की अनदेखी करते हैं,तो सामान्य जीवन भी किसी त्रासदी में बदल सकता है। यह हादसा हमें याद दिलाता है कि यात्रियों की जान, उनके परिवार की आशाएं और सपने ये सबसे कितने अधिक कीमती होते हैं। भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए न सिर्फ सख्त नियम बनाना बल्कि उनका कठोर अनुपालन सुनिश्चित करना भी अति आवश्यक है। बस मालिकों, परिवहन विभाग, राज्य सरकार और जनता सभी की जिम्मेदारी है कि वे सुरक्षा व्यवस्था को हल्के में न लें तथा दोषी लोगों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करें। साथ ही ऐसी भयंकर त्रासदी को रोकने के लिए तत्काल आवश्यक कदम उठाएं।