जैश, लश्कर व हिजबुल भी हमास से कम नहीं

शिशिर शुक्ला

विगत सात अक्टूबर को इजराइल में घुसकर हमास के आतंकवादियों ने जिस बर्बरता, जघन्यता एवं कत्लेआम का परिचय दिया, उससे पूर्ण जाहिर है कि आतंकवाद एक खौफनाक वैश्विक खतरे के रूप में धीरे-धीरे अपने पांव पसारता ही जा रहा है। हमास के इस हमले में मारे जाने वालों की संख्या सैकड़ों के आंकड़े को पार कर चुकी है। गौरतलब है कि ईरान, सीरिया, मिस्र व लेबनान जैसे देशों में हमास की इस मानवता की सीमाओं को लांघकर की गई हरकत पर जश्न मनाते हुए मिठाइयां बांटी गई हैं। प्रतिक्रियास्वरूप इजराइल ने भी हमास के सफाये की घोषणा करते हुए ताबड़तोड़ वार करना शुरू कर दिया। हम यदि इस स्थिति व परिस्थिति की अपने भारत पर मंडराते आतंकवाद से तुलना करें तो निष्कर्ष यह है कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठन जैसे जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन आदि भी किसी हमास से कम नहीं हैं। आए दिन हम भारत के सुरक्षा प्रहरियों पर हमले की घटनाएं सुनते रहते हैं और बल्कि यदि यह कहा जाए कि कश्मीर घाटी में भारतीय सैनिकों के लिए प्रत्येक दिन जिंदगी और मौत के बीच जूझने का दिन होता है, तो कुछ गलत न होगा। स्वतंत्रता के साथ ही भारत को विभाजन का एक ऐसा घाव भी मिला जो आज तक भर नहीं पाया है और भविष्य में भी इसके भरने की संभावना न के बराबर ही नजर आती है। कुटिल व धूर्त पाकिस्तान भारत के इस घाव पर चोट करने के उद्देश्य से खूंखार आतंकी संगठनों को अपनी सरजमीं पर पनाह देता है और उन्हें भारत पर हमला करने हेतु पूर्ण समर्थन व सहायता उपलब्ध कराता है।

हमारा पड़ोसी चीन भी महज दिखावे के लिए स्वयं को आतंकवाद का विरोधी बताकर अंदर ही अंदर अपने दोगलेपन का परिचय देते हुए पाकिस्तान एवं पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों को पूर्ण सहयोग देता है। चिंतनीय बात यह है कि हमास जैसे आतंकवादी संगठन के इस बर्बरतापूर्ण व भयानक कृत्य से पाक समर्थित खूंखार आतंकवादी संगठनों का उत्साह अपनी चरम सीमा तक पहुंच सकता है और वे मानवता का कत्लेआम करने के लिए कोई भी बड़ा कदम उठा सकते हैं।

आतंकवाद जैसी गंभीर वैश्विक समस्या का समाधान इतनी आसानी से होने वाला नहीं है क्योंकि यह एक परमसत्य है कि आतंकवादी लातों के भूत होते हैं जोकि बातों से मानने वाले कदापि नहीं हैं। शर्मनाक बात तो यह है की जहां एक तरफ लाशों का ढेर लगा हुआ है, जघन्यता की सारी सीमाएं लांघी जा चुकी हैं, पल भर में ही सैकड़ो जिंदगियों को मौत में तब्दील कर दिया गया है, वहीं दूसरी ओर इस कत्लेआम की कतिपय राष्ट्रों के द्वारा सराहना भी की जा रही है। मानवता का दुश्मन प्रत्येक व्यक्ति एवं प्रत्येक राष्ट्र का दुश्मन होता है और होना चाहिए। आतंकवाद मानवताविरोधी गतिविधि है और मानवताविरोधी कृत्यों पर सभी देशों का रुख एक जैसा होना चाहिए। निस्संदेह इजरायल के द्वारा हमले की प्रतिक्रियास्वरूप की गई कार्यवाही से फिलिस्तीनी जनता को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है, किंतु यदि थोड़ी देर के लिए जनता से स्वतंत्र होकर बात की जाए तो सत्य यह है कि हमास, लश्कर, जैश व हिजबुल जैसे आतंकवादी संगठनों से मुक्ति पाने का सही मार्ग यही है।

परमाणु हथियारों पर निगाह रखने वाली संस्था स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की ताजा रिपोर्ट यह बताती है कि बीते वर्ष चीन के द्वारा साठ एवं पाकिस्तान के द्वारा पांच नए परमाणु हथियार विकसित किए गए हैं। रिपोर्ट यह भी कहती है कि विश्व में सर्वाधिक तेजी से यदि कोई देश परमाणु हथियार जमा कर रहा है तो वह चीन है। वर्तमान में चीन व पाकिस्तान दोनों के पास भारत की तुलना में अधिक परमाणु हथियार हैं। यह रिपोर्ट चीन की गंदी व भारतविरोधी मानसिकता को उजागर करती है। सीमा पर आए दिन चीन की हरकतें भारत और चीन के बीच संबंधों में तनातनी का माहौल बरकरार रखे हुए हैं। भारत की उत्तरोत्तर प्रगति चीन व पाकिस्तान को तनिक भर भी रास नहीं आ रही है और ये दोनों ‘खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे’ वाली कहावत को चरितार्थ करने में लगे हुए हैं। आतंकवाद के जहर से मुक्ति पाने के लिए भारत को भी आर या पार की नीति अपनानी होगी क्योंकि शांति और सद्भावना के मार्ग पर चलकर दुष्टता और दानवता से छुटकारा कदापि नहीं पाया जा सकता। इसके साथ ही विश्व की महाशक्तियों को आतंकवाद के विरुद्ध खुलकर मोर्चा खोलना चाहिए और आतंकवाद का समर्थन करने वाले राष्ट्रों के प्रति कड़ा रुख अपनाते हुए आतंकवाद पीड़ित देशों के साथ पूर्ण सहानुभूति बरतते हुए संपूर्ण विश्व से आतंकवाद का सफाया करने का बीड़ा उठाना चाहिए।