जिन्ना का देश डूबा कंगाली के गर्त में

ओम प्रकाश उनियाल

भारत जहां 74वां गणतंत्र दिवस मनाकर गौरवान्वित हुआ वहीं पड़ौसी मुल्क पाक कंगाली के साये में मातम मनाता रहा। पाक की अर्थव्यवस्था बुरी तरह लड़खड़ायी हुई है। ऐसी ही स्थिति से श्रीलंका भी गुजरा। बढ़ती मंहगाई, बिजली कटौती जैसी समस्याओं ने पाक के आवाम को सरकार के विरोध में खड़ा कर दिया है। पाक की स्थिति ‘न तीन में न तेरह में’ वाली बनी हुई है। आखिर हाथ भी फैलाए तो किसके आगे। भारत की पीठ पर बार-बार छुरा भौंककर जिस तरह वह छद्म करता आया है उसी भारत के आगे अब गिड़गिड़ा रहा है। भारत तो हर संकट में मददगार बना। भारत ने कभी किसी देश के साथ छल-कपट की नीति नहीं अपनायी। इसी कारण से भारत का विश्व में डंका बज रहा है। पाकिस्तान जब से बना है तब से वह भारत के प्रति नफरत की आग उगलता आया है। उसकी नीति और नीयत यदि पाक-साफ होती तो आज तरक्कीशुदा मुल्कों की कतार में होता। अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जहां का आवाम अपने देश की नीतियों से त्रस्त होकर भारत के गुणगान कर रहा हो, वहां भला सुकून कैसे संभव हो सकता है। पाकिस्तान खुद ही अपनी नीतियों के प्रति मुखालते में है। पाक का इतिहास उठाकर देखा जाए तो जिसने भी राज किया उसने वहां के आमजन के बारे में न सोचकर तानाशाही का रवैया अपनाया। पाक की राजनीति कमजोर होने के कारण हमेशा सेना हावी रहती आयी है। पाक का सबसे बड़ा हितैषी केवल चीन है। चीन चाहता है कि श्रीलंका की भांति पाकिस्तान उसके कर्ज तले डूबा रहे। और धीरे-धीरे इन देशों पर अपना अधिपत्य जमा सके। जिन्ना का देश यदि ऐसे ही संकट के दौर से गुजरता रहा तो यह तय है कि एक न एक दिन इस देश का नाम विश्व के नक्शे से भी गायब हो जाएगा।