
गोपेन्द्र नाथ भट्ट
राजस्थान के दूसरे सबसे बड़े नगर जोधपुर वासियों का तीन दशक का सपना आने वाले दिनों में पूरा होने जा रहा है। दिवाली पर जोधपुर वासियों को नए एयरपोर्ट टर्मिनल की सौगात मिलेगी । इस सुविधा शुरू होने से जोधपुर देश के सभी बड़े शहरों से कनेक्ट हो सकेगा। अब तक एयरपोर्ट की सेवायें एयरफोर्स के एयरपोर्ट पर ही चल रही है।
जोधपुर पश्चिमी राजस्थान के थार मरुस्थल का गेट-वे है, उस दृष्टिकोण से भी जोधपुर एयरपोर्ट के विस्तार की अनेक वर्षों से प्रतीक्षा थी। जोधपुर एयरपोर्ट के विस्तार में दो तरह की बाधाएं थीं। एक एयरपोर्ट पर भूमि की कमी थी, क्योंकि इसका अधिकांश भाग इंडियन एयरफोर्स के पास है। दूसरा, जोधपुर एयरपोर्ट पर ऑटोमेटिक लैंडिंग की फैसिलिटी नहीं थी। इसके कारण नाइट लैंडिंग नहीं हो पाती। 10 साल के लगातार प्रयासों के बाद ये बाधाएं दूर हुई हैं।
जोधपुर राजस्थान का राजधानी जयपुर के बाद दूसरा बड़ा शहर है। जोधपुर न केवल सांस्कृतिक रूप से समृद्ध है, बल्कि सामरिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।जोधपुर जैसलमेर और बाड़मेर जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों से जुड़ा हुआ है। इस टर्मिनल के निर्माण से क्षेत्रीय विकास को नया आयाम मिलेगा और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। आने वाले समय में जब कभी आवश्यकता होगी, एक महीने के शॉर्ट नोटिस पर जोधपुर एयरपोर्ट को डोमेस्टिक से इंटरनेशनल में कन्वर्ट किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि एयरपोर्ट विस्तार का लाभ जोधपुर के हैंडीक्रॉफ्ट, स्टील, टेक्सटाइल, केमिकल, स्टोन, इंजीनियरिंग इंडस्टरीज आदि क्षेत्रों से जुड़े उद्यमियों के साथ ही देशी विदेशी पर्यटकों को मिलेगा ।
जोधपुर एयरपोर्ट पर 480 करोड़ रुपए के निर्माण कार्य हो रहें है। मल्टीलेवल पार्किंग, जो अभी उत्तर भारत में केवल मुंबई और दिल्ली में है, यहां भी बन रही है। अभी जोधपुर एयरपोर्ट में मात्र 200 पैसेंजर की क्षमता है, जो अब 2000 पैसेंजर की होने वाली है। एयरपोर्ट की बिल्डिंग अभी 3900 स्क्वायर मीटर की है, जो छह गुना बढ़कर 24 हजार स्क्वायर मीटर होने जा रही है। इंजीनियर्स के मुताबिक नई बिल्डिंग में 20 साल के लिए प्रोविजन किया गया, लेकिन जिस तरह से देश में विस्तार हो रहा है और अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, विश्वास है कि 10 साल तक यह बिल्डिंग सभी आवश्यकताओं को पूरा करेगी।
पैसेंजर्स के सामान के लिए कन्वेयर बेल्ट की संख्या एक से बढ़ाकर तीन की गई है ।नए बिल्डिंग में छह एरो ब्रिज की सुविधा भी शामिल की गई है, इससे पैसेंजर सीधा टर्मिनल बिल्डिंग से जहाज में जा सकेंगे। आने और जाने के लिए एस्केलेटर और लिफ्ट की सुविधा भी विकसित की जा रही है।
पहले चरण में 300 कारों की पार्किंग सुविधा मिलेगी जबकि, अभी 60 कारें ही खड़ी हो सकती हैं। नए टर्मिनल पर बारह एयरक्राफ्ट एक साथ खड़े हो सकेंगे। पुराने टर्मिनल को भी हज यात्रा या ऐसे अन्य विशेष अवसरों पर उपयोग में लिया जा सकेगा।नाइट लैंडिंग सिस्टम लगाया जा रहा है, जिससे अब रात में भी विमान उतर सकेंगे।टर्मिनल पर ऊर्जा दक्षता और पर्यावरण अनुकूल डिजाइन पर विशेष ध्यान दिया गया है । नए टर्मिनल की डिजाइन को जोधपुर की पहचान छीतर पत्थर से तैयार किया जा रहा है, जिससे इसकी भव्यता और स्थानीय वास्तु शिल्प दोनों की पहचान बरकरार रहेगी।
केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने जोधपुर एयरपोर्ट के विस्तार के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद दिया। शेखावत ने बताया कि मोदी जी के विकसित भारत बनाने के संकल्प ने देश के इंफ्रास्ट्रक्चर को फ्यूचर रेडी बनाने का काम किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एविएशन सेक्टर में एक नई क्रांति का सूत्रपात हुआ है। अभी भारत में 480 एयरक्राफ्ट फंक्शनल हैं, जिसकी संख्या अगले तीन साल में 1480 होने वाली है। प्रधानमंत्री जी ने 10 साल पहले कहा गया कि हवाई चप्पल पहनने वाला देश में हवाई जहाज में घूमेगा, उनकी यात्रा वह बात अब साकार होती दिख रही है। उन्होंने बताया की पूर्व रक्षामंत्री स्वर्गीय मनोहर पर्रिकर के प्रयासों से राज्य सरकार, नगर निगम, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया और एयरफोर्स के बीच समझौता पत्र पर हस्ताक्षर हुए थे । एयरपोर्ट के लिए आवश्यक 37 एकड़ जमीन मिली। पुराने एयरपोर्ट पर स्थानाभाव में लंबे समय एयरक्राफ्ट को रनवे पर खड़े रहना पड़ता है। पर्रिकर ने इस दर्द को समझते हुए लैंड एक्सचेंज की टेक्निकल फॉर्मेलिटी से पहले ही एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया अपना काम शुरू करने की अनुमति दिलाई। शेखावत ने तत्कालीन सिविल एलिवेशन मंत्री अशोक गजपति राजू को भी धन्यवाद दिया, जिनके प्रयासों से जोधपुर में ऑटोमेटिक लैंडिंग सिस्टम की सुविधा मिली।
उल्लेखनीय है कि जोधपुर एयरपोर्ट की स्थापना 1930 के दशक में जोधपुर के तत्कालीन महाराजा उम्मेद सिंह द्वारा की गई थी। यह एयरपोर्ट ब्रिटिश रॉयल एयरफोर्स के उपयोग में भी रहा है। स्वतंत्रता के बाद इस एयरपोर्ट को भारतीय वायुसेना के अधीन कर दिया गया। जोधपुर एयरबेस आज भी भारतीय वायुसेना की एक अहम सामरिक इकाई है। 1950 के दशक में यहां से सिविल उड़ानों की शुरुआत हुई। यह एयरपोर्ट देश के सबसे पुराने और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हवाई अड्डों में शामिल है।