दीपक कुमार त्यागी
“जस्टिस फॉर ऑल” का उद्देश्य देश में लंबित मामलों को कम करना और मध्यस्थता को बढ़ावा देना है, क्योंकि इस प्रक्रिया में सभी को न्याय मिलता है, जबकि निर्णय प्रक्रिया में एक पक्ष को लगता है कि उसे न्याय मिला है, लेकिन हारने वाले पक्ष को नहीं – विकास सिंह, अध्यक्ष, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन
दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने उच्चतम न्यायालय परिसर से इंडिया गेट, नई दिल्ली तक पहली “जस्टिस फॉर ऑल” रन / वॉकाथॉन एवं एक पौधारोपण अभियान का सफलतापूर्वक आयोजन किया। इस ऐतिहासिक पहल ने न्यायिक समुदाय और नागरिकों को एकजुट करते हुए एकता, जनसेवा और पर्यावरणीय उत्तरदायित्व का एक सशक्त प्रदर्शन किया। इस अवसर पर माननीय मुख्य न्यायाधीश, उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति, उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश एवं न्यायाधीशगण तथा बार के सदस्य व अधिवक्ता उपस्थित रहे, जिससे यह आयोजन न्याय के प्रति सामूहिक प्रतिबद्धता का एक ऐतिहासिक क्षण बन गया। इस कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई व सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने झंडी दिखाकर किया।
यह चार किलोमीटर व आठ किलोमीटर की रन / वॉकाथॉन सर्वोच्च न्यायालय परिसर से इंडिया गेट तक हुई, जिसमें चार किलोमीटर पुरुष वर्ग में नरेंद्र कुमार वर्मा व महिला वर्ग में लूना दीपक विजेता रहे, वही आठ किलोमीटर पुरुष वर्ग में पुरुषइंद्र कुमार कौरव व महिला वर्ग में राम्या एस. गोयल विजेता रही।
इस ‘वॉकथॉन’ के कार्यक्रम में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी, न्यायमूर्ति संजय करोल आदि के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की सचिव प्रज्ञा बघेल व सम्मानित अन्य सदस्यों के साथ हजारों की संख्या में अधिवक्ताओं ने भाग लिया।
यह रन / वॉकाथॉन एक प्रतीकात्मक आह्वान था, जो इस बात पर बल देता है कि न्याय केवल अदालतों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रत्येक नागरिक के प्रति एक जीवंत वादा है। भारतीय न्याय प्रणाली में करोड़ों लंबित मामलों के बीच, SCBA ने इस अवसर का उपयोग न्यायिक सुधार की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करने के लिए किया। न्याय में देरी न केवल प्रणाली पर बोझ डालती है, बल्कि जनता के विश्वास को भी कमजोर करती है, क्योंकि दशकों बाद मिलने वाला निर्णय अक्सर सही मायनों में समाधान प्रदान नहीं कर पाता।
रन / वॉकाथॉन के बाद, पौधारोपण अभियान ने जनसेवा की स्थायी प्रकृति को रेखांकित किया। माननीय न्यायाधीशों और प्रतिभागियों ने अपने नाम पर या प्रियजनों की स्मृति में पौधारोपण किया, जो देखभाल, जिम्मेदारी और आने वाली पीढ़ियों के लिए आशा की विरासत का प्रतीक है। पर्यावरणीय प्रबंधन के इस कार्य ने SCBA की समग्र राष्ट्र-निर्माण और नागरिक कर्तव्य के प्रति प्रतिबद्धता को सुदृढ़ किया।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा कि, “यदि सभी मामलों का निपटारा भी हो जाए, तब भी यह सभी के लिए न्याय नहीं होगा,” क्योंकि जीतने वाला पक्ष महसूस करता है कि उसे न्याय मिला है, लेकिन हारने वाला पक्ष ऐसा नहीं मानता। सच्चा न्याय केवल मध्यस्थता के माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता है, जहाँ दोनों पक्षों को सुना जाता है और समाधान सहमति के आधार पर बनाए जाते हैं, न कि टकराव के। हमें मुकदमेबाज़ी में लेन-देन की भावना को विकसित करना चाहिए, और न्यायाधीश इस बदलाव को पोषित करने में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। मध्यस्थता को प्रोत्साहित करके, न्यायपालिका न्याय वितरण प्रणाली को एक ऐसी व्यवस्था में बदल सकती है जो विभाजन नहीं बल्कि उपचार प्रदान करती है। “जस्टिस फॉर ऑल” का उद्देश्य देश में लंबित मामलों को कम करना और मध्यस्थता को बढ़ावा देना है, क्योंकि इस प्रक्रिया में सभी को न्याय मिलता है, जबकि निर्णय प्रक्रिया में एक पक्ष को लगता है कि उसे न्याय मिला है, लेकिन हारने वाले पक्ष को नहीं। “जस्टिस फॉर ऑल” पहल का उद्देश्य न्याय को एक ऐसी प्रक्रिया के रूप में पुनर्परिभाषित करना है जो समयबद्ध और सार्थक समाधान प्रदान करे।
इस आयोजन में 2000 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जो इस उद्देश्य के प्रति व्यापक समर्थन और उत्साह को दर्शाता है। इस पहल को एमिटी यूनिवर्सिटी, टाटा पावर डीडीएल, इफ्को टोकियो, जिंदल स्टील, ओएनजीसी और पावरग्रिड द्वारा उदारतापूर्वक प्रायोजित किया गया, जिनका योगदान इस कार्यक्रम को शानदार सफलता दिलाने में सहायक रहा।





