- महान सन्त कबीर की जन्म स्थली वाराणसी में हुआ कबीर उत्सव का शुभारम्भ
- केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने किया उद्घाटन,मेघवाल का दिखा अलग ही तरन्नुम अंदाज
- देश के सभी राज्यों में 75 से 100 स्थानों पर होगा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन
गोपेंद्र नाथ भट्ट
नई दिल्ली। महान सन्त कबीर की जन्म स्थली और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी के रुद्राक्ष सभागार में रविवार 16 अक्टूबर को सुर संगम जयपुर द्वारा आयोजित कबीर उत्सव का भव्य शुभारम्भ हुआ ।
केंद्रीय संस्कृति और संसदीय राज्य मंत्री अर्जुन मेघवाल ने समारोह का उद्घाटन किया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश के राज्य मंत्री श्री रवींद्र जायसवाल भी उपस्थित रहे।
इस कार्यक्रम में संस्कृति मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का एक अलग ही तरन्नुम अन्दाज देखने मिला और उन्होंने स्वयं को इसमें डुबोते हुए कबीर के दोहे, पद और मनभावन भजन गाये और उनमें निहित भावों को भी बताया।
प्रारम्भ में मुख्य अतिथि अर्जुन राम मेघवाल, सुर संगम और वीणा संगीत समूह के अध्यक्ष के. सी. मालू, समाजसेवी अनिल के जाजोदिया, रीता चौधरी, उमाशंकर अग्रवाल, दीपक बजाज आदि ने दीप प्रज्ज्वलन कर इस विशाल कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
इन अवसर पर अपने उद्बोधन में मुख्य अतिथि अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि कबीर विद्रोही नहीं सनातन संस्कृति के अद्भुत ध्वजवाहक रहे हैं। उन्होंने विभिन्न सामाजिक परीस्थितियों का विश्लेषण करते हुए, कबीर के दृष्टांतों का उदाहरण दिया। कबीर के दोहों से जोड़ते हुए चिंतन और मंथन के माध्यम से स्वयं के और समाज का मूल्यांकन हेतु कबीर को सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ व्यक्तित्व बताते हुए मेघवाल ने भारतीय संस्कृति की विशालता और महानता पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कबीर के बहुआयामी व्यक्तित्व के साथ सनातन परम्परा एवं भगवान राम के बारे में कबीर के दर्शन को भी प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर मारवाड़ी युवा मंच की सभी शाखाओं द्वारा अर्जुन राम मेघवाल का अभिनंदन किया किया.
अपने स्वागत भाषण में सुर संगम के अध्यक्ष के. सी. मालू, जयपुर ने बताया कि कबीर उत्सव के आयोजन का मुख्य उद्देश्य कबीर के मौलिक चरित्र, उनके पद, दोहे, साखियों, उलटबांसियों आदि के संगीतमय गायन व नृत्य प्रस्तुति के माध्यम से जनता के समक्ष रखना है.
उन्होंने आगे कहा कि मध्ययुगीन भक्ति साहित्य धारा के महान संत कबीर के विचार और कथन आज भी उतने ही प्रासंगिक है, इसी विषय को ध्यान में रखते हुए आजादी के अमृत महोत्सव के कार्यक्रमों की श्रृंखला में भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा कबीर उत्सव का आयोजन देश भर में किया जा रहा है। इस श्रृंखला का प्रथम कार्यक्रम से शुभारंभ कबीर की जन्म स्थली वाराणसी में 16 अक्टूबर को किया गया और देश भर में 75 से 100 स्थानों पर आयोजन के बाद समापन कबीर की निर्वाण स्थली मगहर में होगा.
कार्यक्रम के प्रारंभ में ऑडियो विजुअल प्रस्तुति के माध्यम से भी कबीर दर्शन के बारे में जानकारियां प्रदान की गयी.
साथ ही राम वल्लभाचार्य द्वारा रचित व पं. भवदीप जयपुर वाले द्वारा संगीतबद्ध नवीनतम भारत वंदना “वंदे भूभातरम” का समूह गायन प्रस्तुत किया गया. रामकृष्ण महावीर की कर्मभूमि – मर्यादा का श्रेष्ठ गौरव जैसे बोलों से सजा यह गीत श्रोताओं को देशप्रेम से ओतप्रोत कर गया।
कार्यक्रम का विशेष आकर्षण बॉलीवुड के प्रसिद्ध गायक व संगीतकार रामायण फेम सतीश देहरा व शम्भू लहरी का गायन रहा. मुम्बई के सतीश लहरी द्वारा गाया भजन मन लागो मेरो यार फकीरी में और अब जाग मुसाफिर जाग कबीर के संदेशों को पुनर्जीवित कर गया. कबीर को विचार नहीं भावों का कवि बताते हुए सतीश ने आगे माला फेरत जुग भया भजन गाया।
शम्भू लहरी ने बीत गए दिन भजन बिना रे और माटी कहे कुम्हार से रचना प्रस्तुत की।
साथ ही रीवा की लोकप्रिय पार्श्व गायिका मुकुल सोनी, वाराणसी की डा. श्वेता जायसवाल, प्रियांशु घोष व पूजा राय ने भी कबीर के दोहों, पदों और भजनों की रोचक प्रस्तुतियां दी और कबीर के अनमोल वचनों को संगीतमय रूप में रखा.
उप शास्त्रीय गायिका डॉक्टर श्वेता ने अजपा जाप जपो भाई साधो और साहेब है रंगरेज चुनर मोरी रंग दीनी भजन प्रस्तुत किये.
पूजा राय ने मानत नहीं मान मेरा साधो और मोको कहाँ ढूंढे रे बंदे भजन गाया. मुकुल सोनी ने भजो रे भैया राम गोविंद हरी और कबीरा खड़ा बाजार में दोहा प्रस्तुत किया. प्रियांशु घोष ने आई गवनवा की सारी और हमारे निर्धन के धन राम गीत प्रस्तुत किये.
कार्यक्रम की विशेष प्रस्तुति के रूप में कबीर पर एक आकर्षक नृत्य नाटिका कबीर द वीवर डा. विधि नागर एवं उनकी टीम द्वारा प्रस्तुत की गई. कबीर की फक्कड़ जीवन शैली और जीवन की आखिरी मंजिल को जानने की उनकी योग्यता से जुड़े प्रसंगों को कलाकारों ने बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत किया. इस प्रस्तुति में 19 कलाकारों ने अभिनय और नृत्य को संयोजित करते हुए अद्भुत प्रदर्शन किया.
इस अवसर पर वाराणसी के मारवाड़ी युवा मंच की सभी शाखाओं वाराणसी, गंगा, काशी, वरुणा, अन्नपूर्णा, काशी शिवा व उदया के सदस्यों के साथ साथ, कबीर के अनुगामी, विशिष्ट जन, रोटरी क्लब वाराणसी सेंट्रल, पब्लिक रिलेशन्स सोसाइटी ऑफ इंडिया, भारत विकास परिषद, काशी जेसीज, सेठ एम आर जैपुरिया स्कूल्स बनारस बाबतपुर कैम्पस और काशी हिंदु विश्वविद्यालय संगीत विभाग के छात्र छात्राएं, संगीत प्रेमी इत्यादि बड़ी संख्या में सम्मिलित हुए और कार्यक्रम का अविस्मरणीय आनंद लिया।
सुर संगम संस्थान जयपुर और मारवाड़ी युवा मंच द्वारा आयोजित इस विशाल कार्यक्रम का सुरुचिपूर्ण संचालन विदुषी अंकिता खत्री ने किया और सुर संगम संस्थान के महासचिव मुकेश अग्रवाल एवं स्थानीय संयोजक आनंद लड़िया व स्मिता लोहिया ने धन्यवाद प्रकाश किया।