ललित गर्ग
एक महान् कर्मयोद्धा के रूप में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजनैतिक, सामाजिक, आध्यात्मिक, सामरिक और आर्थिक सशक्तता की छाप छोड़ते हुए भारत को विश्वगुरु बनाने को तत्पर है, यह इतिहास के निर्माण का भाव है। निश्चित ही उनकी दृष्टि एवं दिशा भारत के नवशिल्प का आधार है। उन्होंने अंधेरों, अवरोधों एवं अक्षमताओं से संघर्ष करने की एक सार्थक मुहिम वर्ष 2014 में शुरू की। वे राजनीति में शुचिता के प्रतीक, अध्यात्म एवं विज्ञान के समन्वयक, कुशल राजनेता, प्रभावी प्रशासक, विलक्षण व्यक्तित्व के धनी हैं। उनके 73वें जन्म दिवस पर सुखद एवं उपलब्धिभरी प्रतिध्वनियां सुनाई दे रही है, जिनमें नये भारत एवं आत्मनिर्भर भारत के अमृतमय स्वर गूंज रहे हैं। हमने हाल ही में उनके नेतृत्व में भारत की अध्यक्षता में हुई जी-20 के समिट में विश्व मंच पर भारत की अमिट छाप छोड़ी है। उनका करिश्माई व्यक्तित्व एवं कृतित्व ही है कि नयी दिल्ली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन के घोषणापत्र पर आम सहमति बनी। वैश्विक विश्वास की कमी को पाटने तथा दुनिया में भरोसा विकसित करने की दिशा में यह एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है। उनके जीवन का प्रत्येक पल नये आयाम एवं नयी दिशाएं उद्घाटित करता रहा है, हमने मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के मन्दिर के शिलान्यास का दृश्य देखा तो भारत को दुनिया की तीसरी आर्थिक ताकत बनने की ओर अग्रसर होते हुए देख रहे हैं। मोदी के नेतृत्व में राजग सरकार के 9 वर्ष पूरे हो गए। इस दौरान उनके अनेकों यशस्वी कीर्तिमानों एवं उपलब्धियों में जो दो विशेष उपलब्धियां भारत के हर नागरिक के मन को अधिक छूती हैं, उनमें पहली है दुनिया में ‘भारत का इकबाल’ स्थापित होना। दूसरी-देश के भीतर ‘भारत भी कर सकता है’ भावना का संचार होना। अर्थात ‘सब चलता है’ वाला दृष्टिकोण अब भूतकाल के गर्त में है।
नरेन्द्र मोदी ने उद्देश्यपूर्ण जीवन जीकर जो ऊंचाइयां एवं उपलब्धियां हासिल की हैं, वे किसी कल्पना की उड़ान से भी अधिक है। अपने जीवन के सार्थक प्रयत्नों से उन्होंने इस बात को सिद्ध किया है कि साधारण पुरुष वातावरण से बनते हैं, किन्तु महामानव वातावरण बनाते हैं। समय और परिस्थितियां उनका निर्माण नहीं करती, वे स्वयं समय और परिस्थितियों का निर्माण करते हैं। साधारण पुरुष जहां अवसर को खोजते रहते हैं, वहां मोदी जैसे महापुरुष नगण्य अवसरों को भी अपने कर्तृत्व की छेनी से तराश कर उसे महान् बनाते हैं। उम्र के जिस मोड़ पर व्यक्ति पूर्ण विश्राम की बात सोचता है, उस स्थिति में मोदी जैसे राष्ट्रनायक नव-निर्माण, नव-सृजन करने एवं दूसरों को प्रेरणा देेने में अहर्निश लगे हैं। विरोध को समभाव से सहकर वे जिस प्रकार उसे विनोद के रूप में बदलते रहते हैं। निश्चित ही एक प्रेरक पृष्ठ है नरेन्द्र मोदी।
नरेन्द्र मोदी के प्रभावी एवं चमत्कारी नेतृत्व में हमने आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के बाद वास्तविक आजादी का स्वाद चखने लगे हैं, आतंकवाद, जातिवाद, क्षेत्रीयवाद, अलगाववाद की कालिमा धूल गयी है, धर्म, भाषा, वर्ग, वर्ण और दलीय स्वार्थाे के राजनीतिक विवादों पर भी नियंत्रण हो रहा है। इन नवनिर्माण के पदचिन्हों को स्थापित करते हुए कभी हम मोदी के मुख से स्कूलों में शोचालय की बात सुनते है तो कभी गांधी जयन्ती के अवसर पर स्वयं झाडू लेकर स्वच्छता अभियान का शुभारंभ करते हुए उन्हें देखते हैं। मोदी कभी विदेश की धरती पर हिन्दी में भाषण देकर राष्ट्रभाषा को गौरवान्वित करते है तो कभी “मेक इन इंडिया” का शंखनाद कर देश को न केवल शक्तिशाली बल्कि आत्म-निर्भर बनाने की ओर अग्रसर करते हैं। नई खोजों, दक्षता, कौशल विकास, बौद्धिक संपदा की रक्षा, रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी उत्पादन, श्रेष्ठ का निर्माण-ये और ऐसे अनेकों सपनों को आकार देकर सचमुच मोदीजी लोकतंत्र एवं राष्ट्रीयता को सुदीर्घ काल के बाद सार्थक अर्थ दे रहे हैं।
नरेन्द्र मोदी एक कर्मयोद्धा है, विकास एवं जनकल्याणकारी योजनाओं उनके नेतृत्व में सरकार और सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक/एयर स्ट्राइक कर जबरदस्त पराक्रम का प्रदर्शन कर दिखाया है कि भारत की रक्षा शक्ति दुनिया के किसी विकसित देश से कम नहीं है। भारत पारंपरिक लड़ाई के साथ-साथ माडर्न लड़ाई में दुनिया की पेशेवर सेनाओं में से एक है। भारतीय जवानों द्वारा पाकिस्तान की सीमा में घुसकर आतंकियों के ठिकानों को तबाह कर देना भारत की बड़ी शक्ति एवं सामर्थ्य का परिचायक है। मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में सबसे बड़ा एवं साहसिक ऐतिहासिक फैसला जम्मू-कश्मीर को लेकर लिया जो जनसंघ के जमाने से उसकी प्राथमिकता रहा है। जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाने का कदम उठाने के साथ-साथ राज्य को दो हिस्सों में बांटने का काम भी इसी कार्यकाल में हुआ। मोदी सरकार के फैसले के बाद कश्मीर में एक देश, एक विधान और एक निशान लागू हो गया है। मोदी की विकास की योजनाएं, नीतियां, सिद्धान्त और संकल्प सही परिणामों के साथ सही लोगों तक पहुंच रहे हैं।
श्री मोदी का जन्म 17 सितंबर 1950 को गुजरात के एक छोटे से शहर में हुआ था। वे ‘अति पिछड़ा वर्ग’ परिवार से आते हैं, जो समाज के हाशिए पर पड़े वर्गों में से है। वह बेहद गरीब, लेकिन प्यार देने वाले परिवार में पले बड़े। जीवन की शुरुआती कठिनाइयों ने न केवल उन्हें कड़ी मेहनत के मूल्य को सिखाया बल्कि उन्हें आम लोगों के कष्टों से भी अवगत कराया। आम जन की गरीबी ने उन्हें बहुत कम उम्र में ही लोगों और राष्ट्र की सेवा में डूबने के लिए प्रेरित किया। अपने प्रारंभिक वर्षों में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के साथ काम किया, जो राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पित एक राष्ट्रवादी संगठन है और बाद में राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर भारतीय जनता पार्टी के संगठन में काम करने के लिए खुद को राजनीति में समर्पित किया।
नरेंद्र मोदी विश्व के चर्चित एवं शिखर नेता होकर भी जन-जन के एवं जमीनी नेता हैं और वे आमजन के बीच जाने, उनकी समस्याओं को हल करने और उनके जीवन स्तर में सुधार करने के लिए समर्पित हैं। लोगों के बीच रहने, उनके साथ खुशियाँ साझा करने और उनके दुखों को दूर करने से ज्यादा कुछ भी उनके लिए संतोषजनक नहीं है। जमीनी स्तर पर तो उनका लोगों के साथ एक मजबूत व्यक्तिगत जुड़ाव तो है ही साथ ही साथ सोशल मीडिया पर भी उनकी मजबूत उपस्थिति है। राजनीति से परे नरेंद्र मोदी को लिखना पसंद है। उन्होंने कई कविता और कई किताबें लिखी हैं। उनके विचारों में राष्ट्रवादी, सामाजिक एवं व्यक्तिगत उन्नयन के क्रांति-बीज मिलते हैं। मन की बात कार्यक्रम में वे राष्ट्र उन्नयन, सामाजिक-क्रांति, आडम्बरप्रधान विकृत प्रवृत्तियों को बदलने एवं समाज-राष्ट्र-निर्माण में उल्लेखनीय कार्य करने के उपाय निर्दिष्ट करते हैं। वे अपने दिन की शुरुआत योग से करते हैं। योग उसके शरीर और दिमाग को मजबूत बनाता है और तेज गति चलने वाली दिनचर्या में शांति का भाव पैदा करता है। वे प्रकृति प्रेमी हैं।
नरेन्द्र मोदी विश्वनेता के रूप में प्रतिष्ठित है, उन्हें अनेक देशों ने अपने सर्वोच्च सम्मान प्रदत्त किये हैं। सऊदी अरब के सर्वाेच्च नागरिक सम्मान ‘किंग अब्दुलअजीज सैश’ से तो रूस के शीर्ष सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टले सम्मान’, फिलिस्तीन के ‘ग्रैंड कॉलर ऑफ द स्टेट ऑफ फिलिस्तीन’ सम्मान, अफगानिस्तान के ‘अमीर अमानुल्ला खान अवॉर्ड’, यूएई के ‘जायेद मेडल’ और मालदीव के ‘निशान इज्जुद्दीन’ सम्मान से सम्मानित किया गया है। 2018 में प्रधानमंत्री मोदी को शांति और विकास में उनके योगदान के लिए प्रतिष्ठित सियोल शांति पुरस्कार भी दिया गया।
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद दुनिया के तमाम देशों के साथ भारत के संबंध प्रगाढ़ हुए हैं और देश का सिर सम्मान से ऊंचा उठा और अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली है। मोदी-दर्शन कहता है-जो आदमी अभय से जुड़ता है वह अकेले में जीने का साहस करता है। जो अहिंसा को जीता है वह विश्व के साथ मैत्री स्थापित करता है। जो अनेकांत की भाषा में सोचता है वह वैचारिक विरोधों को विराम देता है। उनका आत्मविश्वास उन्हें नित-नवीन रोशनी देता है। यही पुरुषार्थ और निष्ठा उनको सीख और समझ देती है कि सिर्फ कुर्सी पर बैठने वालों का कर्तृत्व ही कामयाबी पर नहीं पहुंचता, सामान्य कागजों पर उतरने वाले आलेख भी इतिहास की विरासत बनते देखे गये हैं। समय से पहले समय के साथ जीने की तैयारी का दूसरा नाम है मोदी। दुनिया का कोई सिकंदर नहीं होता, वक्त सिकंदर होता है इसलिए जरूरी है कि हम वक्त के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना सीखें।