मुंबई (अनिल बेदाग) : कभी-कभी फैशन सिर्फ परिधान नहीं होता—वह एहसास, कहानी और व्यक्तित्व की भाषा बन जाता है। काशिका कपूर का यह मोहक फोटोशूट उसी अदा का बेहतरीन उदाहरण है, जहाँ एक गाउन ने सिर्फ लुक नहीं, बल्कि पूरा मूड रच दिया।
काले रंग के हैंड-एम्ब्रॉइडर्ड गाउन में, जिस पर चांदी की कढ़ाई रात के आसमान में बिखरे तारों की तरह चमक रही थी, काशिका ओल्ड-हॉलीवुड ग्लैमर की कालातीत मोहकता को अपने अंदाज़ में जीती हुई दिखाई दीं। उनका गाउन मानो रौशनी के साथ साँसें ले रहा हो—हर पैनल, हर पैटर्न और हर मोड़ उनके हर कदम और हर निगाह के साथ जीवंत होता हुआ। यह सिर्फ एक आउटफिट नहीं बल्कि ऐसी कला थी जो देखने वाले की नज़र रोक ले।
लेकिन जादू सिर्फ कपड़ों में नहीं था—वह काशिका में था। वह गाउन को पहनती नहीं, वह उसे ज़िंदा करती हैं। हाथों की नाज़ुक बैले-सी मुद्राएँ, ठोड़ी का रोशनी की दिशा में ठहराव, मुलायम कर्ल्स की क्लासिक गिरावट और ज्वेलरी का नफासत भरा चयन—सब कुछ मिलकर एक ऐसा दृश्य रचते हैं जो आधा सिनेमा, आधा कविता लगता है। और उनका स्माइल — उतनी ही शालीन, उतनी ही गहरी — जैसे पूरे माहौल की धड़कन हो।
फिर आता है वह दिल छू लेने वाला फ्रेम — क्रीम-रंग के नन्हे पप्पीज़ से घिरी काशिका। वैभव और मासूमियत का ऐसा संगम शायद ही कभी देखा जाए। हाई-फैशन गाउन के बीच कोमल पप्पीज़ की चंचलता एक ऐसा विरोधाभास गढ़ देती है जो तस्वीर को आइकॉनिक बना देता है। यह सिर्फ एक क्लिक नहीं — यह एक भावना है जो स्क्रोल खत्म होने के बाद भी मन में टिकी रहती है।
काशिका कपूर अपने हर फैशन पल को भावनाओं से रंग देने के लिए जानी जाती हैं। लेकिन यह शूट उनसे कहीं आगे जाता है — यह उनकी विकसित होती पहचान, उनके आत्मविश्वास और उनकी सहज ग्लैमर की परिभाषा का चमकता उत्सव है।
यह लुक सिर्फ कूट्योर की जीत नहीं, बल्कि उस जादू की याद है जो काशिका अपने हर फ्रेम में जोड़ती हैं — बिना बनावट के चमकना, बिना शोर के प्रभाव छोड़ जाना, और हर बार खुद को नए अंदाज़ में फिर से गढ़ लेना।
हर प्रोजेक्ट, हर अपीयरेंस और हर छवि के साथ, काशिका कपूर अपनी खुद की कहानी लिख रही हैं — और यह गाउन उस कहानी का एक चमकता अध्याय बन चुका है।





