रविवार दिल्ली नेटवर्क
नई दिल्लीः दिल्ली हाई कोर्ट ने मुख्य मंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को वैध बताया है। उसका कहना है कि सीबीआई ने जो साक्ष्य रखे हैं उनमें दम है। अदालत ने इसे ध्यान में रखते हुए ही उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी। उसने कहा कि सीबीआई ने पूरे प्रमाण इकट्ठे किये और स्वीकृति ली तब जाकर अप्रैल 2024 में अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया।
अदालत ने कहा कि अपराध की सीमा पंजाब तक पहुंची हुई है। पहले ठोस प्रमाण नहीं मिल रहे थे लेकिन बाद में जब उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया तो गवाह खुद सामने आने लगे। उन्होंने अपने-अपने बयान दर्ज कराये। केजरीवाल के वकीलों ने अदालत से कहा कि एफआईआर अगस्त 2022 में की गई थी और जांच दो साल चलती रही। इस मामले में कोई नया प्रमाण उभरकर सामने नहीं आया जिससे उनकी गिरफ्तारी को वैध ठहराया जा सके। इस पर अदालत ने कहा कि केजरीवाल मुख्य मंत्री थे और इसलिए इस मामले में पुलिस ने बहुत सावधानी से काम किया और अन्य अभियुक्तों से प्रमाण इकट्ठा किया। इसके बाद ही सारे देश में गहन जांच की गई ताकि पूरे षडयंत्र के जाल का पता लगे। पिछले डेढ़ सालों में एजेंसी ने काफी प्रमाण इकट्ठे किये और तब जाकर गिरफ्तारी के लिए मंजूरी मांगी।
अदालत ने केजरीवाल के वकीलों के इस तर्क को गलत बताया कि इसके लिए ट्रायल कोर्ट से कोई मंजूरी नहीं ली गई। अदालत ने कहा कि इसके लिए महज क ऐप्लीकेशन ही काफी था क्योंकि केजरीवाल पीएमएलए ऐक्ट में जेल में ही थे। उसने यह भी कहा कि केजरीवाल की गिरफ्तारी इसलिए भी जरूरी हो जाती है कि उन्हें अन्य अभियुक्तों के साथ बिठाकर पूछताछ करना जरूरी हो गया था। सीबीआई ने कहा कि केजरीवाल एजेंसी के सवालों का जवाब नहीं दे रहे हैं और न ही सहयोग कर रहे हैं।