किंग्सवे….फिर राजपथ …….अब कर्तव्य पथ

संदीप ठाकुर

इंडिया गेट स्थित ऐतिहासिक,प्रचलित और लोकप्रिय राजपथ का नाम अब कर्तव्य
पथ हो गया है। नामकरण की सारी औपचारिकताएं पूरी कर सरकारी नोटिफिकेशन
जारी कर दिया गया है। अंग्रेजों के समय इसका नाम किंग्सवे था। किंग्जवे
यानी राजा का पथ। हुक्मरानों का पथ। शासकों का पथ। 1911 में लगे ऐतिहासिक
‘दिल्ली दरबार’ के बाद ब्रिटेन के राजा जॉर्ज पंचम के सम्मान में इस सड़क
को किंग्सवे नाम दिया गया था। आजादी के बाद उसका हिंदी अनुवाद करके
‘राजपथ’ कर दिया गया था। लेकिन अब यह कर्तव्य पथ के नाम से जाना जाएगा।
नए नामकरण के पीछे सरकार की दलील है कि पुराना नाम औपनिवेशिक गुलामी का
प्रतीक हाेने के साथ साथ उसकी याद भी दिलाता था। नया नाम पूरी तरह भारतीय
है और यह गर्व का एहसास कराता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार शाम को एक भव्य समारोह में कर्तव्य
पथ का उद्घाटन किया। इसके साथ ही राजपथ और सेंट्रल विस्टा लॉन को अब
कर्तव्य पथ के नाम से जाना जाएगा। यह आम लोगों के लिए 9 सितंबर से खुल
जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने इंडिया गेट के ग्रैंड कैनोपी में नेताजी
सुभाष चन्द्र बोस की ग्रेनाइट से बनी 28 फीट ऊंची भव्य प्रतिमा का भी
लोकार्पण किया। पहले यहां ब्रिटेन के किंग जॉर्ज पंचम की प्रतिमा लगी हुई
थी जिसे 1968 में हटा दिया गया था। इसी साल 23 जनवरी को नेताजी सुभाष
चन्द्र बोस की जयंती के मौके पर ग्रैंड कैनोपी में उनकी होलोग्राम
स्टैच्यू लगाई गई थी। अब वहां पर
ग्रेनाइट से बनी मूर्ति लगाई गई है। वैसे हमारे देश में औपनिवेशिक
गुलामी के प्रतीक के रूप में ढेरों चीजें मौजूद हैं। उन्हें धीरे धीरे
हटाया जा रहा है। कई चीजाें काे पिछली यूपीए 2 सरकार ने हटाया था। कई
चीजाें काे 2014 के बाद से एनडीए सरकार हटा रही है।

औपनिवेशिक काल के पुराने कानूनों से मुक्ति दिलाने का प्रयास 2014 के बाद
से शुरू हुआ है। मोदी सरकार 1500 से अधिक पुराने कानूनों को खत्म कर दिया
है। अंग्रेजों के जमाने के ये कानून अप्रासंगिक हो चुके थे लेकिन उन्हें
ढोया जा रहा था। 2014 में दस्तावेजों के स्व-प्रमाणन की शुरुआत हुई। पहले
नौकरी, पढ़ाई के लिए दाखिला जैसे आवेदनों के साथ किसी राजपत्रित अधिकारी
से प्रमाणित कराई हुईं सर्टिफिकेट की कॉपी को जमा करना होता था।
अंग्रेजों के समय से चली आ रही इस परंपरा पर रोक से युवाओं को अनावश्यक
तौर पर अधिकारियों के चक्कर लगाने से मुक्ति मिली। इसी महीने गत 2 सितंबर
को इंडियन नेवी के ध्वज से गुलामी के प्रतीक को हटाया दिया गया है। नेवी
के ध्वज में औपनिवेशिक अतीत की छाप दिखती थी। नए ध्वज में लाल रंग के
सेंट जॉर्ज क्रॉस को हटा दिया गया। उसकी जगह पर छत्रपति शिवाजी महाराज की
शाही मुहर से प्रेरित चिह्न लगाया गया है। ऊपर बाईं ओर तिरंगा बना है।
दाहिनी ओर नीले रंग की पृष्ठभूमि वाले एक अष्टकोण में सुनहरे रंग का
राष्ट्रीय प्रतीक अशोक चिन्ह बना है। सबसे नीचे संस्कृत में ‘शं नो
वरुण:’ लिखा है जिसका अर्थ है ‘जल के देवता वरुण हमारे लिए शुभ हों।’
इंडियन नेवी का नया ध्वज गुलामी के प्रतीक से मुक्ति और विरासत पर गर्व
का एक शानदार उदाहरण है। मोदी सरकार ने 2016 में ही रेस कोर्स रोड का नाम
लोक कल्याण मार्ग कर दिया था। इसके साथ ही प्रधानमंत्री आवास का पता 7,
रेस कोर्स मार्ग से बदलकर 7, लोक कल्याण मार्ग हो गया। रेस कोर्स नाम
अंग्रेजों का दिया था।

2017 में मोदी सरकार ने 92 साल पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए रेल बजट का
आम बजट में विलय कर दिया। इसके अलावा बजट पेश करने की तारीख में भी बदलाव
किया गया। औपनिवेशिक काल से ही बजट फरवरी महीने के आखिरी दिन पेश किया
जाता था। अब पहली फरवरी को पेश किया जाता है। ये बदलाव छोटे जरूर दिख
सकते हैं लेकिन हैं अहम। इस साल 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की
जयंती के मौके पर इंडिया गेट की ग्रैंड कैनोपी में नेताजी की होलोग्राम
प्रतिमा का उद्घाटन हुआ। अब उसकी जगह पर ग्रेनाइट से बनी 28 फीट ऊंची
नेताजी की भव्य प्रतिमा है। किसी जमाने में इस कैनोपी में जॉर्ज पंचम की
प्रतिमा लगी थी जिसे आजादी के 21 साल बाद 1968 में हटाया दिया गया था।
इसी साल गणतंत्र दिवस समारोह के बाद होने वाली बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी
से चर्चित क्रिश्चियन प्रेयर गीत ‘अबाइड विद मी’ को हटा दिया गया। उसकी
जगह पर कवि प्रदीप के मशहूर गीत ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ को शामिल किया
गया। 2015 में भी बीटिंग रिट्रीट समारोह में कुछ बड़े बदलाव किए गए थे।
भारतीय वाद्य यंत्र सितार, संतूर और तबला को पहली बार इसमें शामिल किया
गया था। इसी वर्ष जनवरी में अमर जवान ज्योति की लौ का नैशनल वॉर मेमोरियल
में विलय कर दिया गया था।

सड़कों के नाम बदले जाने की परंपरा काे आगे बढ़ाते हुए 2015 में दिल्ली
स्थित औरंगजेब रोड का नाम बदल दिया गया। सबसे क्रूर मुगल शासक के नाम की
जगह इस रोड का नाम महान वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे
अब्दुल कलाम के नाम पर कर दिया गया। 2017 में डलहौजी रोड का नाम बदलकर
दारा शिकोह रोड कर दिया गया। 2018 में तीन मूर्ति चौक का नाम तीन मूर्ति
हाइफा चौक कर दिया गया। दिसंबर 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की भावनाओं के अनुरूप अंडमान-निकोबार द्वीप समूह
के तीन द्वीपों के नाम बदल दिए। नेताजी ने तो 1943 में पूरे अंडमान और
निकोबार द्वीप का नाम बदलकर शहीद और स्वराज द्वीप करने का सुझाव दिया था।
मोदी सरकार ने रॉस आइलैंड का नाम नेताजी सुभाष चन्द्र बोस द्वीप कर दिया।
नील आइलैंड को शहीद द्वीप और हैवलॉक आइलैंड को स्वराज द्वीप का नाम मिला।
इस साल 23 मार्च को भगत सिंह के बलिदान दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी ने कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल हॉल में बिप्लोबी भारत गैलरी का
उद्घाटन किया। गैलरी में भारत के महान क्रांतिकारियों के योगदान को
दिखाया गया है।