स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के प्रदेश समन्वयक और न्याय मित्र के के गुप्ता ने राजस्थान में गन्दगी से पर्यटन पर हो रहे प्रतिकूल असर पर जताई चिन्ता मुख्यमंत्री से स्वच्छ भारत मिशन अभियान की अवेहलना करने वाले स्थानीय निकायों पर कार्यवाही की माँग
नीति गोपेंद्र भट्ट
नई दिल्ली/जयपुर : स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) राजस्थान सरकार के प्रदेश समन्वयक और न्याय मित्र के के गुप्ता ने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन की अवहेलना करने वाली स्थायी निकायों के खिलाफ़ सख़्त कदम उठाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वच्छता का जन स्वास्थ्य और पर्यटन के साथ सीधा सम्बन्ध हैं। अतः राज्य सरकार को स्वच्छता के साथ खिलवाड़ करने वाले लोगों के खिलाफ़ सख्त कार्यवाही करना चाहिए।
राजस्थान में लम्बे समय से देशी विदेशी पर्यटकों की बहार रहती आई हैं । इस वर्ष क्रिसमस से नए वर्ष के मध्य एक सप्ताह में ही रिकार्ड्स संख्या में 18 करोड़ पर्यटक पहुँचें थे लेकिन प्रदेश के कई पर्यटक शहरों में गन्दगी के अम्बारों के कारण जन स्वास्थ्य और पर्यटन पर इसका बुरा असर पड़ रहा है। प्रदेश की राजधानी जयपुर भी इसका अपवाद नही है।
उन्होंने कहा कि शुरू में प्रधान मंत्री का स्वच्छ भारत मिशन एक जन आन्दोलन बना था जिसके परिणाम स्वरूप डूंगरपुर जैसा छोटा सा शहर अपनी सुन्दरता से निखरा और अहमदाबाद से उदयपुर जाने वाले गुजराती पर्यटकों के साथ ही अन्य देशी विदेशी पर्यटकों ने डूंगरपुर की ओर रुख किया। साथ ही डूंगरपुर को कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड भी मिलें।
गुप्ता ने चिन्ता व्यक्त की कि पर्यटन प्रदेश की आर्थिक धुरी है इसके बावजूद कई नगरों और क़स्बों में गन्दगी के अम्बार लगने के कारण धीरे-धीरे अब विदेशी पर्यटक हमारे राजस्थान से दूर हो रहे है । विशेष कर शेखावाटी में गन्दगी के साथ साथ पुरानी विरासतों हवेलियों की दुर्दशा होना इसका मुख्य कारण है ।
राजस्थान की विश्व प्रसिद्ध हवेलियों वाले शेखावाटी के क़स्बों से पर्यटक होने लगे विमुख
माननीय स्थाई एवं अनवरत लोक अदालत जिला झुंझुनू द्वारा निकाय नगर परिषद झुंझुनूं और नगर पालिका नवलगढ़ एवं मांडवा के लिए नियुक्त न्याय मित्र के के गुप्ता ने बताया कि आज यदि हम राजस्थान के शेखावाटी अंचल की बात करे तो झुंझुनू जिला के मंडावा का नाम विश्व के 50 खुबसूरत कस्बों में शामिल था जहाँ प्रतिवर्ष 39,802 विदेशी ट्यूरिस्ट तथा लाखों की संख्या में देशी ट्यूरिस्ट आते थे । ट्रेवलर मेग्जिन की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में यह संख्या घट कर 2023 में 5,393 विदेशी ट्यूरिस्ट की रह गई हैं। यहाँ की हवेलियों की दीवारों पर फ्रेस्को पेंटिंग, लुभाते कलात्मक प्रवेश द्वार, पेंटिंग्स से भरे झरोखे एवं खिडकियों ने मंडावा को सात समुन्दर पार भी विशेष पहचान दिलायी। यहाँ पीके, बजरंगी भाईजान, जब वी मेट और पहेली सहित अनेकों फिल्मो की सूटिंग भी हो चुकी हैं | इसमे न केवल मंडावा बल्कि आस-पास नवलगढ़, झुंझुनू ,अलसीसर, मलसीसर कस्बो की हवेलियाँ भी ट्यूरिस्ट से आबाद हुई है।
दूसरी तरफ स्थानीय निकायों द्वारा ध्यान नही देने के कारण इन शहरों में गन्दगी फैल रही है, जानवर सड़कों पर घुम रहे है, चारों तरफ प्लास्टिक फैल रहा है, सार्वजनिक स्थानों एवं सार्वजनिक टोयलेटों की दुर्दशा और स्ट्रीट लाइटों की उचित व्यवस्था नही होने आदि से ट्यूरिस्टों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। आपसी मिलीभगत से कई पुरानी हवेलियों को तुड़वा कर वहां मल्टी कोम्प्लेक्स बनाने का कार्य किया जा रहा है जिसे रोकना जरुरी है तथा पर्यटक हब को समाप्त करने वालों के विरुद्ध जब तक दंडनात्मक कार्यवाही नहीं होगी हमारा यह हेरिटेज हब ही समाप्त नहीं हो जा रहा है । साथ ही हजारों रोजगार समाप्त होने के साथ ही करोड़ों रुपयों का विदेशी राजस्व आय का नुक़सान होने के साथ ही विदेशों में हमारे देश का मान-सम्मान भी घट रहा है ।
उन्होंने बताया कि ऐसे में मेरे द्वारा शेखावाटी का “न्यायमित्र ” रहते हुए स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि पुरातत्व से कोई छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए और अगर कोई हवेली जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है तो उसे नोटिस देकर ठीक करवाने हेतु सम्बंधित मालिकों को नोटिस दिया जावे उसके उपरांत भी वह मरम्मत नहीं करवाता है तो स्थानीय निकाय उसे सीजकर अपने खर्चे पर मरम्मत करवाएं जिससे हमारा ट्यूरिस्ट कम न हो तथा जहाँ-जहाँ ट्यूरिस्ट आता है उन स्थानों पर सरकार द्वारा अलग से बजट राशि का प्रावधान रखा जावें तथा यहाँ यह भी निश्चित करना पड़ेगा कि वह बजट राशि वास्तव में खर्च हो रही है या मात्र लीपापोथीं।
उन्होंने दुःख व्यक्त किया कि राजस्थान में आज ज्यादातर ट्यूरिस्ट गन्दगी से दुःखी है। करोड़ों रुपया खर्च करने के बाद भी निकाय गन्दगी को साफ़ नहीं कर पा रही है डूंगरपुर शहर ही मात्र राजस्थान का एक मात्र शहर है जहाँ प्रतिमाह 11,00,000/- (ग्यारह लाख रुपयों) में नियमित 365 दिन, हर घर से समय की पाबन्दी से कचरा उठाना,आईसी की सारी गतिविधियां करना, यूजर चार्ज संग्रहण करना, गीले कचरे से खाद बनाना आदि कार्य किए जा रहें है जबकि दूसरी जगह कचरा उठाने को लेकर भारी अनियमिततायें की जा रही है तथा टेंडर प्रक्रिया में इतनी जटिलता की जा रही है । ऐसे में सभी निकायों को डूंगरपुर से सीख लेने की आवश्यकता है ।राजस्थान में लेगेसी वेस्ट (पुराने कचरों के ढेरों) को लेकर भी भारी भ्रष्टाचार किया जा रहा है जिससे रोकना भी अतिआवश्यक है जो भी बड़ी-बड़ी कंपनी इन टेंडरों को लेती है वह छोटे-छोटे लोगों को भारी राशि लेकर दे देती है जिससे सरकार का भारी पैसा व्यर्थ लोगों की जेबों में जा रहा है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत प्रदेश के सभी 196 नगर निकाय में जितना फंड सरकार द्वारा दिया जाता है उसका यदि पूर्ण ईमानदारी के साथ और पारदर्शिता के साथ प्रयोग किया जाए तो निश्चित रूप से प्रदेश के सभी नगर निकाय में स्थित पर्यटन स्थल कांच जैसे स्वच्छ और सुंदर बन सकते हैं। इसके साथ ही नगर निकाय द्वारा जो कचरा घर-घर से एकत्र किया जाता है, उसका भी वैज्ञानिक पद्धति द्वारा निस्तारण करके विशेष गीले कचरे को उपयोगी बनाया जाए तो इससे निकाय के राजस्व में भी वृद्धि देखी जा सकती है। इससे संबंधित निकाय आर्थिक रूप से सुदृढ़ होगी और पर्यावरण संतुलन में भी उसका महत्वपूर्ण योगदान रहेगा।
के के गुप्ता ने राज्य सरकार विशेष कर मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा से निवेदन किया है कि वे इस मामले में हस्तक्षेप कर प्रदेश में प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत मिशन को कारगर रूप से लागू करवा प्रदेश के हेरिटेज पर्यटन को होने वाले नुक़सान से बचायें।