केएल राहुल इस समय भारत की पारी का आगाज करने के हकदार : रोहित

KL Rahul deserves to open India's innings at this point: Rohit

  • अश्विन और रवींद्र जडेजा को आगे टेस्ट सीरीज में बड़ी भूमिका निभाते देख रहा हूं
  • सुंदर की बल्लेबाजी तकनीक बेहद मजबूत,दुनिया में कहीं भी बल्लेबाजी कर सकते हैं
  • आज के नौजवान क्रिकेटरों के जेहन में बस एक बात होती है जीत और जीत

सत्येन्द्र पाल सिंह

नई दिल्ली : 2019 से टेस्ट क्रिकेट में आमतौर पर भारत के लिए पारी का आगाज करने वाले कप्तान रोहित शर्मा ने मेजबान ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉर्डर-गावसकर ट्रॉफी के एडिलेड में शुक्रवार को शुरू हो रहे गुलाबी गेंद से खेले जाने वाले दूसरे क्रिकेट टेस्ट की पूर्व संध्या पर इस बात की पुष्टि की वह बल्लेबाजी क्रम में नीचे खेलेंगे। इससे साफ है कि भले ही फौरी तौर पर ही सही पर्थ में पहले टेस्ट की दूसरी पारी में यशस्वी जायसवाल के साथ पहले विकेट के लिए 201 की बड़ी भागीदारी कर भारत को 295 रन से बड़ी जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले केएल राहुल एडिलेड में दूसरे टेस्ट में भी भारत की पारी का आगाज करना जारी रखेंगे। रोहित शर्मा ने कहा, ‘बल्लेबाजी क्रम में पारी का आगाज करने की बजाय मैंने नीचे खेलने का फैसला किया क्योकि हम नतीजे और कामयाबी चाहते हैं। यशस्वी जायसवाल और केएल राहुल ने पर्थ में पहले टेस्ट में पारी का आगाज कर खासतौर पर दूसरी पारी में भारत के लिए बेहतरीन बल्लेबाजी की। अपने नवजात बेटे को अपने हाथों में लिए मैंने पर्थ में केएल राहुल को बल्लेबाजी करते देख रहा था और उन्होंने वाकई शानदार बल्लेबाजी की। मैंने इसीलिए महसूस किया कि ऐसे में यशस्वी और केएल राहुल की जोड़ी को अभी बदलने की कोई जरूरत नहीं है। मुमकिन है भविष्य में स्थितियां अलग हों, फिलहाल मैं इस बाबत नहीं जानता। इस आधार पर मैं कह सकता हूं कि केएल राहुल ने भारत के बाहर जिस शानदार ढंग से बल्लेबाजी की उसके मद्देनजर वहुुंदर) इस समय भारत की पारी का आगाज करने के हकदार हैं। केएल राहुल की यशस्वी जायसवाल के साथ पहले विकेट की भागीदारी ने ही संभवत: हमने पर्थ का पहला टेस्ट जीता।’

अपने बेटे के जन्म के समय अपनी पत्नी के साथ रहने के कारण पर्थ में पहले टेस्ट मैच से रोहित शर्मा बाहर रहे और उनकी गैरमौजूदगी में तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह की अनुकरणीय कप्तानी और गेंदबाजी से भारत ने 295 रन से बड़ी जीत हासिल कर पांच टेस्ट की सीरीज में 1-0 की बढ़त हाासिल की। केएल राहुल ने भले ही पर्थ में पहले टेस्ट में सेंचुरी न जड़ी हो लेकिन दोनो ही पारियों में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ गजब की पारी खेली। यशस्वी जायसवाल ने पर्थ में पहले टे्स्ट की पहली पारी में शून्य पर आउट होने के बाद दूसरी पारी में बेहतरीन शतक जड़ कर वापसी की। रोहित शर्मा ने कहा, ‘मेरे लिए पारी का आगाज न कर अपनी जगह जगह केएल राहुल को मौका देना आसान नहीं था लेकिन टीम इंडिया के नजरिए से यह एक समझदारी वाला फैसला है। टेस्ट क्रिकेट में मिलकर 800 से ज्यादा टे्स्ट विकेट लेने वाले रवींद्र जडेजा और रविचंद्रन अश्विन जैसे धुरंधर ऑलराउंडरो को पर्थ में पहले टेस्ट से एकादश से बाहर रखना वाकई मुश्किल फैसला था। पर्थ में वक्त की नजाकत और जरूरत और टीम के हित को जेहन में रखकर ही इन दोनो को एकादश से बाहर रखने का यह मुश्किल फैसला लिया गया। मैं निश्चित रूप से अश्विन और रवींद्र जडेजा को आगे टेस्ट सीरीज में बड़ी भूमिका निभाते देख रहा हूं और इन दोनों को कभी भी खारिज नहीं किया जा सकता है। जहां वाशिंगटन सुंदर की बात है हमने देखा है कि वह गेंद और बल्ले से क्या कमाल कर सकते हैं। वाशी (सुंदर) की बल्लेबाजी तकनीक बहुत मजबूत है और वह दुनिया में कहीं भी बल्लेबाजी कर सकते हैं। जब सुंदर जैसा क्रिकेटर आपकी टीम में होता है तो आपका आत्मविश्वास बढ़ता है और मैं बस यही दुआ करूंगा वह चोट से दूर रहे और यहां से बतौर क्रिकेटर उनका ग्राफ उंचा ही बढ़ेगा। जहां तक ऋषभ पंत, शुभमन गिल और यशस्वी जैसे भारत के नौजवान क्रिकेटरों के अपने करियर में शुरू में कामयाबी की बात है तसे में इस बाबत बस यही कहूंगा कि आजकल के नौजवान क्रिकेटर बेखौफ हो कर खेलते हैं और खुद पर किसी तरह का बोझ नहीं लादते हैं। मैं अपनी बात करूं तो जब मैं पहली बार ऑस्ट्रेलिया आया था तो हमारे जेहन में बस यही था कि हम रन किस तरह बनाएंगे और हमने खुद पर ज्यादा दबाव डाला। क्रिकेट में हर पीढ़ी अलग होती है। आज के क्रिकेटरों का बेखौफ और साहसिक होना उनके हक में जाता है। मैं जब आप के नौजवान क्रिकेटरों से बात करता हूं तो उनके जेहन में बस एक ही बात होती है, जीता कैसे जाए। आज के नौजवान क्रिकेटर यह नहीं सोचते कि मैं कैसे शतक और दोहरा शतक पूरा करूंगा और जब आप इस तरह सोचना शुरू कर देते हैं तो आपका खुद का प्रदर्शन स्वत: बेहतर होता जाता है। यदि आपको जीतना है तो आपको बढ़िया प्रदर्शन करना होगा और यह खुद ब खुद हो जाता है। यदि आपका ध्यान मैच, सीरीज और टूर्नामेंट जीतने पर है तो ये लोग जो बड़े स्कोर बनाते हैं वह गौण हो जाता है। यदि ये नौजवान खिलाड़ी बल्ले से योगदान नहीं कर पाते तो वे तब यह सोचते हैं कि चुस्त फील्डिंग और बढ़िया गेंदबाजी कर क्या कर सकते हैं। आज के नौजवान क्रिकेटर इसी तरह सोचते हैं और यह वाकई बहुत बढ़िया बात है। मुझे नहीं मालूम कोई उनसे इस बाबत बात करता है अथवा उन्हें बताता है। यही उनकी नैसर्गिक जेहनी सोच है और जब वे दौरे पर आते हैं तो उनकी बस एक यही सोच रहती है जीता कैसे जाए।’