
रविवार दिल्ली नेटवर्क
ग्रामीण छात्राओं को 15 से 20 किमी दूर जाना पड़ता है, कई आर्थिक-सामाजिक कारणों से स्नातक के बाद शिक्षा छोड़ने को मजबूर, पलायन की समस्या भी गहराती
डू समथिंग सोसाइटी ने उत्तराखण्ड सरकार से मांग की है कि राजकीय महाविद्यालय कण्वघाटी, कण्वनगरी –कोटद्वार को स्नातकोत्तर महाविद्यालय में उन्नत किया जाए। महाविद्यालय में आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध होने के बाद भी महाविद्यालय को स्नातकोत्तर नही किया गया है।
“बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” के प्रथम प्रणेता महर्षि कण्व के आश्रम के सन्निकट राजकीय महाविद्यालय कण्वघाटी स्थित है। महर्षि कण्व ने अपने आश्रम में उस प्रत्यक्ता बालिका (विश्वामित्र एवं मेनका की पुत्री शकुंतला ) का लालन पालन ही नहीं किया, बल्कि उसे सुशिक्षित भी बनाया। कालान्तर में इसी शकुंतला का विवाह हस्तिनापुर नरेश दुष्यंत से हुआ और इन्हीं का पुत्र आगे चलकर चक्रवर्ती सम्राट भरत बना, जिनके नाम से हमारे देश का नाम भारतवर्ष पड़ा। वर्ष 2015 में स्थापित यह महाविद्यालय वर्तमान में लगभग 450 विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान कर रहा है। स्नातकोत्तर कक्षाएँ न होने के कारण छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए दूरस्थ शहरों तक जाना पड़ता है। कई बार अभिभावक बेटियों को इतनी दूर भेजने में असमर्थ रहते हैं, जिससे पढ़ाई बीच में ही छूट जाती है। इससे ग्रामीण अंचल की प्रतिभाशाली बालिकाएँ अवसर से वंचित रह जाती है।
मुख्य बिंदु:
- स्थापना 2015 में, वर्तमान में लगभग 450 छात्र-छात्राएँ अध्ययनरत।
- स्नातकोत्तर शिक्षा का अभाव, छात्राओं को 15 से 20 किमी दूर जाना पड़ता है।
- आर्थिक व सामाजिक कारणों से अनेक बेटियाँ स्नातक के बाद पढ़ाई छोड़ने को मजबूर।
- महाविद्यालय में पर्याप्त भूमि व आधारभूत संरचना उपलब्ध।
- उन्नयन से क्षेत्र में पलायन रुकेगा और स्थानीय स्तर पर शिक्षा का माहौल सशक्त होगा।
सोसाइटी अध्यक्ष ने कहा “सरकार शीघ्र निर्णय लेकर इस महाविद्यालय को स्नातकोत्तर स्तर पर उन्नत करती है तो सैकड़ों बेटियों का भविष्य संवर सकता है। यह कदम न केवल शिक्षा बल्कि ग्रामीण समाज के समग्र विकास के लिए भी मील का पत्थर सिद्ध होगा।”
सोसाइटी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री से तुरंत कार्रवाई करने की अपील की है