टीएमयू में श्रमिक कलुवा को मिला नया जीवन

Laborer Kaluva gets new life in TMU

रविवार दिल्ली नेटवर्क

  • दिल की मुख्य धमनी यानी लेफ्ट मेन कोरोनरी थी पूरी तरह बंद
  • यह दुर्लभ केस, एंजियोग्रॉफी करने पर हुआ खुलासा
  • हदय की मुख्य धमनी में सफलतापूर्वक डला एक स्टेंट
  • डॉ. शलभ अग्रवाल कर चुके हैं पांच हजार हार्ट सर्जरी

तीर्थंकर महावीर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, मुरादाबाद के डॉक्टर्स ने गांव कैसरा, अमरोहा के 45 साल के कलुवा को नया जीवन दिया है। इमरजेंसी में एडमिट पेशेंट की एंजियोग्रॉफी करने पर पता चला कि मरीज के दिल की मुख्य धमनी यानी लेफ्ट मेन कोरोनरी पूरी तरह से बंद है। मेडिकल साइंस में यह एक दुर्लभ केस माना जाता है। मुख्य धमनी दिल के 90 प्रतिशत हिस्से को रक्त भेजने का काम करती है। इसके बंद होने का मतलब, हार्ट तक खून का न पहुंचना है। ऐसे में सभी जरूरी जांचों के कराने के बाद कलुवा की एंजियोग्राफी आपातकाल में अल सुबह पांच बजे की गई। अमूमन ऐसी हालत में डॉक्टर्स बाईपास सर्जरी करते हैं, लेकिन इस मरीज की अवस्था बाईपास सर्जरी को सहन करने की नहीं थी। डॉक्टर्स की टीम ने स्पेशल टेक्निक- एंजियोप्लास्टी वायर, बलून और अन्य उपकरणों की मदद से हदय की की मुख्य धमनी में सफलतापूर्वक एक स्टेंट डाला। इससे हार्ट नलियों में रक्त का प्रवाह सामान्य रूप से होने लगा, जिससे बाईपास सर्जरी से पेशेंट बच गया और जान का जोखिम भी टल गया। अब पेशेंट स्वस्थ है।

पेशेंट कलुवा को दो महीने से सांस फूलने, उबकाई और सीने में दर्द की शिकायत थी। पेशे से मजदूर बहुतेरे डॉक्टर्स से इलाज कराया, लेकिन कोई लाभ नहीं मिला। एक दिन अचानक से पेशेंट के सीने में तेज दर्द हुआ तो आनन-फानन में उनके घरवाले पेशेंट को टीएमयू हॉस्पिटल में लेकर आए। इमरजेंसी में एडमिट पेशेंट की एंजियोग्रॉफी के बाद अंततः टीएमयू हॉस्पिटल के वरिष्ठ कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ. शलभ अग्रवाल ने एंजियोप्लास्टी और स्टेंटिंग के जरिए धमनी को खोलने का निर्णय लिया।

उल्लेखनीय है, ऐसे सर्वाधिक केसों में पेशेंट को अंत तक यह पता नहीं चलता है कि उसकी कोरोनरी सही से काम नहीं कर रही है। पेशेंट की अचानक से मौत हो जाती है। हार्ट की मुख्य धमनी पूरी तरह से बंद होने के कारण इस प्रक्रिया को अंजाम देना बेहद मुश्किल भरा था। उल्लेखनीय है, एंजियोप्लास्टी विद स्टेंट प्रक्रिया में हार्ट की नली को वॉयर और बलून डालकर खोला जाता है, जिस जगह पर नली ब्लॉक होती है, वहां पर स्टेंट डाल दिया जाता है। इस तरह रोगी बाईपास सर्जरी से बच जाता है। वरिष्ठ कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ. शलभ को 10 बरस का लंबा अनुभव है। वह अब तक पांच हजार से अधिक हार्ट की सर्जरी कर चुके हैं।