दीपक कुमार त्यागी
जिस गौरवशाली संस्कृति वाले महान भारत में मातृशक्ति स्त्री को आदिकाल से ही बेहद पूजनीय माना जाता रहा है, आज वहां पर मातृशक्ति के प्रति आयेदिन बेहद जघन्य श्रेणी के अपराध घटित होना एक साधारण घटना व बेहद आम बात बनती जा रही है, जो ठीक नहीं है। आज हमारे सभ्य समाज के लिए बेहद चिंताजनक बात यह है कि हमारे प्यारे देश भारत में वर्ष दर वर्ष महिलाओं के प्रति घटित होने वाले अपराध कम होने की जगह बहुत तेजी के साथ बढ़ते ही जा रहे हैं। जबकि अब तो समाज के अधिकांश व्यक्ति यह बहुत अच्छे से जानते हैं कि सर्वशक्तिमान ईश्वर की पृथ्वी पर सबसे बेहतरीन व खूबसूरत रचना मातृशक्ति के रूप में ही है, जो कि इंसान को जन्म देने की शक्ति भी रखती है और मां बहन पत्नी व बेटी जैसे बेहद अनमोल रिश्ते को भी देती है। हालांकि आज देश के कुछ बेहद व्यवसायिक लोगों के द्वारा अपने हितों को साधने के चक्कर में स्त्री को बाजारवाद के इस दौर में एक वस्तु मात्र बनाकर रखने का बेहद शर्मनाक मानसिक दिवालियेपन का गंदा खेल चल रहा है, जिसको हमें समय रहते रोकना होगा। वहीं देश में आज आधी अधूरी पाश्चात्य सभ्यता के अंधानुकरण के चलते व कुछ लोगों की बेहद ओछी सोच ने महिलाओं को उपभोग का एक खिलोना मात्र बनाने का दुस्साहस किया है, जिसे प्रभावित होकर कुछ लोग उनके मान सम्मान से आयेदिन खिलवाड़ करने का निंदनीय अक्षम्य अपराध करने का प्रयास करते हैं, जो कि हमारे सभ्य समाज के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है और एक बहुत बड़ा अपराध है। वैसे भी जिस तरह से आज देश मे़ बेहद सुलभता से उपलब्ध इंटरनेट ने दुनिया को छोटे से मोबाइल में सिमेटने का कार्य किया है, उससे आम लोगों को भी अच्छा व बुरा सब कुछ बहुत ही आसानी से मोबाइल पर देखने को मिल रहा है, जिसका कुछ नादान लोगों के द्वारा बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया जा रहा है, जिसके चलते भी बहुत तेजी के साथ कुछ लोग संस्कार विहीन होते जा रहे हैं। वैसे धरातल पर निष्पक्ष रूप से देखा जाए तो भारतीय समाज में नैतिक मूल्यों में पिछले कुछ वर्षों से बहुत ही तेजी से गिरावट आती जा रही है, नैतिक पतन के चलते ही आज देश में बच्चों, बच्चियों, नोजवानों, महिलाओं व बुजुर्गों के साथ भी आयेदिन लोगों के दिलोदिमाग को झकझोर देने वाली बेहद शर्मनाक कृत्य वाली आपराधिक घटनाएं घटित होती रहती हैं, रोजाना ही देश के किसी ना किसी भाग से अपराध की बेहद चिंतित करने वाली खबरें आती रहती हैं। वैसा ही एक बेहद झकझोर देने वाला समाचार हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जनपद से भी आया है।
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जनपद के निघासन थाना इलाके के तमोलीन पुरवा गांव में बुधवार 14 सितंबर को दो सगी नाबालिग बहनों के शव गांव के बाहर खेत में पेड़ पर संदिग्ध परिस्थितियों में लटके हुए मिलने से पूरे इलाके में सनसनी मच गयी थी। सूत्रों के अनुसार इस घटना के संदर्भ में बुधवार की शाम तकरीबन 5 बजकर 40 मिनट पर पुलिस को डायल 112 पर सूचना मिलने के बाद से स्थानीय जिला प्रशासन, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लेकर देश की राजधानी दिल्ली तक जबरदस्त हड़कंप मच गया था। चंद मिनटों में ही हर तरफ सोशल मीडिया के बेहद ताकतवर हो चुके प्लेटफॉर्म ने लोगों को जघन्य अपराध की इस शर्मनाक घटना से अवगत करवा दिया था। जिसके बाद हर घटना की तरह ही ट्विटर पर आरोप प्रत्यारोप व बचाव करने के लिए ट्वीट-ट्वीट खेलने वाले बयानवीरों की बाढ़ आ गयी थी, देश के कुछ दिग्गज राजनेता भी ट्विटर के इस खेल में शामिल थे, उनमें कोई तो उत्तर प्रदेश सरकार को जमकर कोस कर नाबालिग लड़कियों की लाशों पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहा था, वहीं कोई उत्तर प्रदेश सरकार व पुलिस के बचाव में अपना पक्ष रख रहा था। खैर जो भी हर घटना की तरह ही इस घटना पर भी देश में भरपूर राजनीति लंबे समय तक चलती रहेगी, पीड़ित पक्ष व अपराधियों की जाति व धर्म को विभिन्न तरह से निशाना बनाकर चर्चा चलती रहेगी, राजनेताओं के राजनीतिक पर्यटन के साथ-साथ संवेदना व्यक्त करने के लिए पीड़ित पक्ष के घर के दौरे भी शुरू हो जायेंगे, वह पीड़ित पक्ष के सामने अपने सच्चे व घड़ियाली आंसू जमकर बहाएंगे, सरकार व प्रशासन राजनेताओं के उस पर्यटन को कानून व्यवस्था खराब हो जाने का हवाला देकर रोकने का कार्य करेगी, फिर रोके जाने वाले राजनेताओं के दलों के भक्तों का सड़कों पर जमकर हंगामा बरपेगा, क्योंकि भाई उनको तो केवल अपनी राजनीति चमकानी है, शायद ही किसी राजनेता को वास्तव में परिवार के दुःख से सरोकार हो। प्रशासन के द्वारा परिवार को सार्वजनिक रूप से बोलने से रोका जायेगा, उचित मुआवजा धनराशि देकर ज़ख्मों पर अलग ही तरह का मरहम लगाया जायेगा। लेकिन सोचने वाली बात यह है कि क्या तारीख़ पर तारीख़ के बाद मृतक बच्चियों के अपराधियों को जल्द कठोर से कठोर सजा दिलवाने का कार्य भी समय रहते हो पायेगा, क्या देश में अपराधियों के हौसले पस्त करने के लिए पीड़ित परिवार को समय से न्याय मिल पायेगा।
देश की राजधानी दिल्ली से मात्र 465 किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जनपद के निघासन इलाके के तमोलीन पुरवा गांव में जब से दो नाबालिग बच्चियों के शव पेड़ पर झूलते हुए मिले हैं, उसके बाद एकबार फिर इस नृशंस हत्याकांड ने हम सभी देशवासियों को बुरी तरह से झकझोर कर इंसानियत को शर्मसार करने का कार्य किया है। इस हैवानियत भरे मामले पर सभ्य समाज के सभी वर्गों के लोगों में बहुत गुस्सा देखा जा रहा है। घटना के बाद क्षेत्र के लोग व परिजन पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाकर के सड़क जाम करके, विरोध प्रदर्शन करके व विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जल्द न्याय के लिए मुहिम चलाकर अपना आक्रोश व्यक्त करने कार्य कर रहे हैं। वैसे पुलिस ने इस मामले पर तत्परता दिखाते हुए 24 घंटे के अंदर ही खुलासा करते हुए, सभी 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान छोटू, जुनैद, सोहेल, हाफिजुल, करीमुद्दीन और आरिफ के रूप में हुई है। लेकिन फिर भी क्षेत्र के आम लोगों में जबरदस्त आक्रोश व्याप्त हैं, लोग यह सोचकर हैरान व परेशान है कि आखिर देश में बार-बार दरिंदों की हैवानियत का बच्चियां क्यों शिकार बनती हैं। आज सबसे बड़ी सोचने वाली बात यह है कि हमारे देश में पिछ़ले कुछ वर्षों में छोटे बच्चों व बच्चियों के साथ आयेदिन बर्बरता, बलात्कार और हत्या जैसी गंभीर घटनाएं होना बेहद आम होता जा रहा है, जिन्होंने हमारे सभ्य समाज को झकझोर कर रख दिया है। देश में घटित इस तरह की शर्मनाक घटनाओं ने एक बार फिर से कुछ राक्षसी प्रवृत्ति के लोगों के इंसान होने पर प्रश्नचिन्ह लगाकर यह बता दिया है कि देश में आज भी इंसान व इंसानियत के दुश्मन बहुत सारे घातक राक्षस जिंदा हैं। इस मसले पर परिजनों व लोगों की मांग है कि पुलिस इस मसले की जल्द से जल्द जांच करे और शासन-प्रशासन फास्टट्रैक कोर्ट में जल्द से जल्द इस मसले का निर्णय करावा कर आरोपियों को जल्द से जल्द फांसी देने का कार्य करे।
लेकिन आज सोचने वाली बात यह है कि 21वीं सदी के भारत में हम किस तरह के संस्कार विहीन, असभ्य, बर्बर, जाहिल समाज की ओर बढ़ते जा रहे हैं, जिसमें कुछ लोगों के मन में नियम, कायदे, कानून का कोई भय या सम्मान ही नहीं बचा है। आज भी देश में राक्षसी प्रवृत्ति के कुछ लोग पूरी तरह से बेखौफ होकर अपराध कर रहे हैं, इनको अपराध करने से रोकने के लिए पुलिस व्यवस्था नाकाफी साबित हो रही है। वैसे सोचने वाली बात यह है कि जिस भारत में वैसे तो मातृशक्ति की पूजा होती है, जिस देश में कहा जाता है कि जहाँ स्त्रियों की पूजा होती है वहाँ देवता निवास करते हैं और जहाँ स्त्रियों की पूजा नहीं होती है, उनका मान-सम्मान नहीं होता है, वहाँ पर किये गये समस्त अच्छे कर्म भी निष्फल साबित हो जाते हैं। लेकिन बेहद अफसोस की बात यह है कि उसी देश में आयेदिन मातृशक्ति के साथ ऐसे जघन्य अपराध घटित हो रहे हैं। एक तरफ तो भारत सरकार ‘बेटी बचाओ बेटी पढाओं’ का नारा बुलंद कर रही है, लेकिन सच यह है कि भारत में मातृशक्ति के प्रति बढ़ते अपराधों को देखकर लगता है कि देश में यह सब एक ढोंग मात्र है। वैसे आज के समय में विचारणीय तथ्य यह है कि हम लोग इन राक्षसों से अपने बच्चों व बच्चियों की इज्जत आबरू और जिंदगी की हिफाजत आखिरकार कैसे करें, देश में शासन-प्रशासन व हमारे सामने यह एक बहुत बड़ी चुनौती खड़ी है। वैसे हमको भी देश में अगर इस तरह के अपराध को कम करना है तो किसी अन्य के साथ होने वाली बर्बरता पूर्ण घटना को केवल एक अपराध मानकर चुपचाप आंख मूंदकर घर में नहीं बैठ जाना है, हम सभी को जागरूक रहकर बिना किसी के कहें तत्काल ही अपने-अपने हिस्से के दायित्वों का निर्वहन करना चाहिए। आज हम सभी को यह समझना होगा कि अपराधी का कोई जाति व धर्म नहीं होता है, वह केवल इंसान व इंसानियत का दुश्मन अपराधी होता है। देश-दुनिया के किसी भी हिस्से में सभी प्रकार के जघन्य अपराधों में विशेषकर की अपहरण, हत्या, बलात्कार आदि में लोगों को अपनी बेहद जहरीली जातिवाद, धार्मिक सोच से दूर रखते हुए व राजनीतिक प्रतिबद्धताओं से इतर रखते हुए, न्याय के लिए कार्य करना ही होगा, वहीं इस तरह की आयेदिन होने वाली हैवानियत को रोकने के लिए पीड़ित पक्ष को जल्द से जल्द न्याय दिलवाने की नियमित परंपरा शासन-प्रशासन को शुरू करनी ही होगी और ऐसे जघन्य अपराधों के गुनहगारों को देश दुनिया में नज़ीर बनने वाली बेहद कठोर सजा दिलवाने का प्रावधान करना होगा, जिससे कि भविष्य में फिर कोई राक्षस किसी और के साथ ऐसी पाशविक-बर्बरता करने का दुस्साहस ना कर पाए, तब ही देश में भविष्य में नियम-कायदे व कानून का राज स्थापित होकर के सभ्य समाज को एक भयमुक्त वातावरण मिल सकता है।