मप्र की लखपति दीदियां प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से करेंगी संवाद, सम्मान पत्र भी लेंगी

Lakhpati Didis of Madhya Pradesh will interact with Prime Minister Shri Narendra Modi and will also receive certificate of honour

  • सौ दिनों में बन गईं 96,240 लखपति दीदियां
  • महिला स्व-सहायता समूहों को 110 करोड़ रूपये का बैंक ऋण, 171 करोड रूपये की सामुदायिक निवेश निधि
  • लखपति दीदियां मध्यप्रदेश का गौरव – ग्रामीण विकास मंत्री श्री प्रहलाद पटेल

रविवार दिल्ली नेटवर्क

भोपाल : प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी मध्यप्रदेश की लखपति दीदियों से संवाद करेंगे और उन्हें सम्मानित करेंगे। सम्मान कार्यक्रम 25 अगस्त रविवार को महाराष्ट्र राज्य के जलगांव में हो रहा है। मध्यप्रदेश की पांच लखपति दीदियां कार्यक्रम में शामिल होने जलगांव पहुंच गई हैं। प्रधानमंत्री श्री मोदी मध्यप्रदेश की लखपति दीदियों को सम्मान-पत्र देंगे। इनमें गुना जिले की लखपति दीदी श्रीमती गंगा अहिरवार को सम्मान-पत्र दिया जायेगा। उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार के सौ दिनों में लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य मिलने के बाद मध्यप्रदेश में 96 हजार 240 बहनें लखपति दीदी बन गईं। इनको मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की ओर से वित्तीय सहायता, बाज़ार सहायता एवं तकनीकी सहायता दी गई है। इनके स्व-सहायता समूहों के उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक बनाने के लिये डिजीटल प्लेटफार्म पर लाकर ऑनलाईन मार्केटिंग की जा रही है।

उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में गठित लगभग पांच लाख महिला स्व-सहायता समूहों से गांवों के लगभग 62 लाख गरीब परिवार जुड़ गये हैं और वे सामाजिक-आर्थिक रूप से सशक्त बन रहे हैं। लखपति दीदी बनने की संभावना वाली स्व-सहायता समूह की सदस्य बहनों की पहचान लखपति सीआरपी (सामुदायिक स्त्रोत व्यक्ति) दीदियां कर रही है। ग्रामीण विकास मंत्री श्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि लखपति दीदियां मध्यप्रदेश का गौरव हैं।

प्रधानमंत्री श्री मोदी से सीहोर जिले की लखपति दीदी श्रीमती संगीता मालवीय और गुना की लखपति दीदी श्रीमती कामिनी शर्मा संवाद करेंगी। छिंदवाड़ा जिले की लखपति दीदी श्रीमती लक्ष्मी तिर्के और देवास जिले की लखपति दीदी श्रीमती रोशनी लोधी भी उपस्थित रहेंगी।

जलगांव के कार्यक्रम के बाद मध्यप्रदेश के संकुल स्तरीय संघ (सीएलएफ) स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे, जहां सीएलएफ की समस्त लखपति दीदियों को सम्मान-पत्र दिये जायेंगे। प्रदेश के सभी जिलों में महिला स्व-सहायता समूहों को लगभग 110 करोड़ रूपये बैंक ऋण (सीसीएल) राशि दी जायेगी और लगभग 171 करोड़ सामुदायिक निवेश निधि (आरएफ सीआईएफ) का वितरण किया जायेगा।

गुना जिले के मुहालपुर गांव की गंगा अहिरवार ने 28 वर्ष की कम उम्र में कमाल कर दिया। लगभग 7 साल पहले 44 महिलाओं के साथ मिलकर उमा स्व-सहायता समूह बनाया। इस समूह के माध्यम से वर्ष 2019 में कलेक्ट्रेट परिसर में केन्टीन लगाई और नाश्ता-चाय से जो आय हुई उससे घर का खर्च उठाया।

भारत सरकार की 100 दिवस की कार्ययोजना में गंगा दीदी को संभावित लखपति दीदी के रूप में चयनित किया गया था। गंगा दीदी ने कलेक्ट्रेट परिसर गुना में वर्ष 2019 से केन्टीन का संचालन कर रही थी। चाय-नाश्ता बनाकर उनको 800 रू रोज की बिक्री होती थी।

चूंकि गंगा दीदी ने आई.एच.एम. भोपाल से पाककला का प्रशिक्षण लिया था। उन्होंने नाश्ते के साथ-साथ भोजन एवं टिफिन सेवा शुरू कर दी। बाद में केन्टीन विस्तार करते हुये भोजनालय प्रारम्भ किया, जिससे लगभग 15-20 हजार रूपये बचत हर महीने होने लगी। लगभग 40-60 टिफिन हर दिन जाने लगे। अब गंगा दीदी को केन्टीन, उन्नत कृषि कार्य, फलोद्यान, सिलाई जैसे काम करते हुए पिछले तीन महीनों से निरन्तर लगभग 15-20 हजार रूपये मासिक आय होने लगी है। वे लखपति दीदी की श्रेणी में शामिल हो गई है।

जिला देवास के विकासखण्ड बागली के छोटे से गांव कजलीवन की रहने वाली रोशनी लोधी शादी के बाद एक ग्रहणी के रूप में कार्य करते हुए अपने सास-ससुर एवं पति के साथ खेती के काम में मदद करती थी। पैसों की कमी से आस-पास के गांवो से कर्ज लेते थे।

रोशनी लोधी ने 2019 में स्व-सहायता समूह बनाया। शुरूआत में 20 रूपये प्रति सप्ताह की बचत की और समूह ऋण के माध्यम से घर की छोटी-मोटी जरूरतें पूरी करने लगीं। रोशनी लोधी ने अपने आस-पास के गांवों की 600 महिलाओं के साथ 50 स्व-सहायता समूहों का गठन किया और उन्हें आजीविका की गतिविधियां शुरू करने के लिए प्रेरित किया। इस प्रकार सक्रिय कम्यूनिटी रिसोर्स पर्सन के रूप में उन्हें कुछ आय होने लगी। स्व-सहायता समूह के माध्यम से रोशनी ने बैंक बीसी का प्रशिक्षण लिया एवं दूसरी आजीविका के रूप में उसने ग्राम संगठन से 50 हजार रू. का ऋण लेकर कम्प्यूटर, प्रिंटर खरीद कर बैंक सखी का कार्य शुरू किया।

रोशनी ने अपने सास,ससुर एवं पति के साथ मिलकर गणवेश सिलाई का काम चल निकला। साथ ही गांव की अन्य महिलाओं को भी जोड़ा। समूह गठन के दौरान बैंक के काम के लिये बैंक सखी के रूप में उन्हें चुना गया। उन्होंने बैंक बीसी का 7 दिवसीय प्रशिक्षण लिया और इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ बैंकिंग एण्ड फाइनेंस की परीक्षा पास की। बैंक ऑफ इण्डिया की शाखा नेवरी की बैंक बीसी के रूप में काम करने लगीं। आज वे आस-पास के कई गांवों में बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध करवा रही हैं। प्रतिदिन 3 से 5 लाख रूपये एवं प्रतिमाह 20 से 25 ल्राख रूपये तक का ट्रांजेक्शन सफलतापूर्वक कर रही हैं। कमीशन के रूप मेँ हर महीने उन्हें 20 से 25 हजार रूपये मिल जाते हैं।

वे अपने कियोस्क का संचालन पूरे आत्मविश्वास से कर रही हैं। बैंक संबंधित काम – जैस राशि आहरण, जमा, खाता खुलवाना, केवायसी अपडेट, बीमा योजना और अन्य योजनाओं के संबंधित कामों के लिए बैंकिंग सुविधाएं देने में मदद कर रही हैं। इससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होने के साथ मान-सम्मान भी बढ़ा है।