- राजस्थान के साथ भी था प्रसिद्ध उद्योगपति और परोपकारी रतन टाटा का गहरा सम्बन्ध
गोपेन्द्र नाथ भट्ट
प्रसिद्ध उद्योगपति और परोपकारी रतन टाटा का अंतिम संस्कार बृहस्पतिवार शाम मध्य मुंबई स्थित एक शवदाह गृह में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया. मुंबई पुलिस ने उन्हें श्रद्धांजलि और गार्ड ऑफ ऑनर दिया. वर्ली स्थित शवदाह गृह में टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा समेत उनके परिवार के सदस्य और टाटा समूह के अध्यक्ष एन चंद्रशेखरन समेत शीर्ष अधिकारी मौजूद थे. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे सहित अन्य लोग भी शवदाह गृह में उपस्थित थे। शवदाह गृह में मौजूद एक धर्म गुरु ने बताया कि अंतिम संस्कार पारसी परंपरा के अनुसार किया गया. उन्होंने बताया कि अंतिम संस्कार के बाद दिवंगत उद्योगपति के दक्षिण मुंबई के कोलाबा स्थित बंगले में तीन दिन तक अनुष्ठान किए जाएंगे. पद्म विभूषण से सम्मानित रतन टाटा (86) का बुधवार रात शहर के एक अस्पताल में निधन हो गया था।
रतन टाटा ने व्यापार क्षेत्र के साथ ही समाज सेवा में भी कई अहम कार्य किए है। रतन टाटा ट्रस्ट और अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष (आईएफएडी) ने राजस्थान के पश्चिमी जिलों में गरीबी कम करने के लिए संयुक्त प्रयास शुरू किए थे। आईएफएडी, संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी, विकासशील देशों के ग्रामीण इलाकों में गरीबी और भूखमरी से निपटने के लिए काम करती है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत देश-विदेश की कई बड़ी हस्तियों और आम लोगों ने रतन टाटा के निधन पर शोक व्यक्त किया है. कुछ प्रदेशों में राजकीय भी रखा गया । महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने आज राजकीय शोक घोषित किया . जिसके चलते राज्य के सभी सरकारी कार्यालयों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा. साथ ही झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने भी प्रदेश में राजकीय शोक का एलान किया ।
राजस्थान राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और वसुन्धरा राजे सहित अन्य ने रतन टाटा के निधन पर संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि रतन टाटा राजस्थान के हितेषी मित्र थे।
दुनिया के सबसे प्रभावशाली उद्योगपतियों में शामिल रतन टाटा अपनी शालीनता और सादगी के लिए मशहूर रहे. लेकिन वह कभी अरबपतियों की किसी सूची में नजर नहीं आए. वह 30 से ज्यादा कंपनियों के कर्ताधर्ता थे, जो छह महाद्वीपों के 100 से अधिक देशों में फैली हैं. उन्होंने अपना जीवन एक संत की तरह जीया.
सरल व्यक्तित्व के धनी टाटा एक कॉरपोरेट दिग्गज थे, वहीं अपनी शालीनता और ईमानदारी के बूते वह एक संत की तरह जिए. टाटा ने कभी शादी नहीं की. हालांकि, चार बार ऐसा हुआ जब उनकी शादी होने वाली थी. एक बार ऐसा तब हुआ जब वह अमेरिका में थे।
भारत के दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा दूरदर्शी थे। उन्होंने अपने कारोबार को लोगों की जरूरतों के लिए समर्पित किया। लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाने के उनके जेहन में नए-नए विचार आते थे। ऐसा ही एक विचार था एक ऐसी कार बनाने का जिससे हर मध्यवर्गीय परिवार के पास एक कार हो। इसका नाम उन्होंने नैनो रखा। यह रतन टाटा का ड्रीम प्रोजेक्ट था। टाटा नैनो को लॉन्च करने के बाद, यह हर मध्यवर्गीय परिवार का सपना बन गई थी। खुद रतन टाटा ने इसे आम लोगों की कार कहा था। आखिर रतन टाटा को नैनो कार बनाने का ख्याल कैसे आया। आइए जानते हैं टाटा नैनो की पूरी कहानी।
साल 2008 में रतन टाटा ने नैनो कार को पहली बार भारत में ऑटो एक्सपो में पेश किया था। यह एक छोटी कार थी और खास तौर पर उन परिवारों के लिए लाई गई थी जिन्हें मोटरसाइकिल की कीमत में एक कार उपलब्ध करना मकसद था। यह कार ज्यादातर मध्यवर्गीय परिवार का सपना बन गई थी। अब लोग मोटरसाइकिल नहीं बल्कि नैनो कार की बातें करने लगे थे। साल 2009 में टाटा मोटर्स ने नैनो कार को लॉन्च कर दिया। ये देश की सबसे सस्ती कार थी। एक लाख रुपये में आने वाली इस कार को लोग लखटकिया बोलने लगे थे। अखबार से लेकर टीवी तक में नैनो के विज्ञापन लोगों में उत्सुकता पैदा कर रहे थे। इस कार ने लोगों के दिलों में अपनी जगह बना ली थी। और लाख रुपये में इतनी सुविधाएं देने वाली इकलौती कार बन गई थी। टाटा नैनो को खरीदने के लिए लोग टूट पड़े थे। नैनो कार इतनी मशहूर हुई कि इस कार के लिए वेटिंग चालू हो गई थी।
रतन टाटा ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में इस कार को बनाने के पीछे के आइडिया के बारे में बताया था। उन्होंने लिखा था, “मैं अक्सर लोगों को अपनी फैमिली के साथ स्कूटर पर जाते देखता था, जहां बच्चे अपने पिता और माता के बीच में किसी तरह बैठे दिखते थे। लगता था जैसे सैंडविच हो। मुझे इससे प्रेरणा मिली कि मैं इन लोगों के लिए कार बनाऊं। आर्किटेक्चर स्कूल से होने का ये फायदा मिला कि मैं खाली समय में डूडल बनाता।”
वह आगे लिखते हैं, “सबसे पहले हमने ये पता लगाने की कोशिश की कि दोपहिया वाहन को कैसे सुरक्षित बनाया जाए। तब मेरे दिमाग में जो डूडल बना, वो चार पहिया का बना, जिसमें कोई विंडो नहीं, कोई दरवाजा नहीं, वो बस केवल एक बग्घी की शक्ल वाली कार बनी। लेकिन मैंने आखिरकार तय किया कि ये एक कार होनी चाहिए। नैनो हर व्यक्ति के लिए बनाई गई।” उन्होंने आगे बताया कि हमने समय के साथ काम किया और पहली बार देश की सबसे सस्ती कार टाटा नैनो को लॉन्च किया।
टाटा नैनो का माइलेज 21.9 से 23.9 किलोमीटर प्रति लीटर था। मैनुअल पेट्रोल वेरिएंट का माइलेज 23.9 किलोमीटर प्रति लीटर था। ऑटोमेटिक पेट्रोल वेरिएंट का माइलेज 21.9 किलोमीटर प्रति लीटर था। मैनुअल सीएनजी वेरिएंट का माइलेज 36 किलोमीटर प्रति किलोग्राम था। शुरुआती सफलता के बाद नैनो कार काफी आलोचनाओं से घिर गई। टाटा नैनो की कई गाड़ियों में आग लगने की घटनाएं भी सामने आई थीं। इससे कार की सुरक्षा को लेकर कुछ आशंकाएं पैदा हो गईं और इसकी छवि पर इसका गहरा असर पड़ा। फिर पश्चिम बंगाल के सिंगूर में टाटा मोटर्स ने नैनो प्लांट के खिलाफ आंदोलन के बाद इस प्लांट को गुजरात शिफ्ट करना पड़ा था।
देश भर में दिवंगत रतन टाटा को भारत रत्न की उपाधि से अलंकृत करने की मांग उठ रही है। देखना है भारत सरकार जन भावनाओं के अनुरूप इस मांग को काम तक पूरा करती है?