अजय कुमार
बिहार विधान सभा के लिये प्रथम चरण के मतदान के बीच नेताओं ने 11 नवंबर को दूसरे चरण के मतदान के लिए भी बिसात बिछा दी है। दूसरे चरण के मतदान के लिये आज सभी राजनैतिक दल चुनावी मैदान में प्रचार के लिये दिग्गज नेताओं के साथ जनता के बीच उतर रहे हैं। चुनाव प्रचार ने रफ्तार पकड़ ली है, हर ओर जनसभाएं, रैलियां और नेताओं के काफिलों की हलचल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अररिया जिले के फारबिसगंज और भागलपुर के हवाई अड्डा मैदान में विशाल जनसभाओं को संबोधित कर रहे हैं। इन सभाओं में मोदी मतदाताओं से लोकतंत्र को मजबूत करने, एनडीए सरकार के विकास कार्यों और राष्ट्रहित के मुद्दों को सामने रखते हुए मतदान की अपील कर रहे हैं। इसके अलावा वे सीमांचल और पूर्वी बिहार के मतदाताओं को जोड़ने के लिए इस रणनीतिक दौरे को महत्व दे रहे हैं। मोदी अगले दो दिनों में भभुआ, औरंगाबाद, सीतामढ़ी और पश्चिमी चंपारण में भी सभाएं करने वाले हैं, जिससे सत्ता पक्ष की चुनावी रणनीति स्पष्ट दिख रही है।
कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी आज औरंगाबाद तथा वजीरगंज में जनसभा को संबोधित कर रहे हैं। वे बेरोजगारी, महंगाई और किसानों की समस्याओं को प्रमुखता से उठा रहे हैं, विपक्ष की सरकार बनने पर बदलाव की संभावना को हवा दे रहे हैं। बिहार के नेता विपक्ष तेजस्वी यादव भी आज पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर और सीतामढ़ी समेत कई स्थानों पर जनसभाएं कर रहे हैं। उनकी हर रैली में रोजगार, शिक्षा, और सामाजिक-आर्थिक न्याय के वादे गूंज रहे हैं। महागठबंधन की ओर से जनसभा का फोकस युवाओं, किसानों और पिछड़े वर्ग के मतदाताओं पर है।
बसपा प्रमुख मायावती भी आज यूपी से सटी सीमांत सीटों पर रैलियां कर रही हैं। उनका पूरा जोर दलित वोटरों को साधने, पूर्व सरकारों की विफलताओं और बसपा की बिना प्रचार खर्च, सत्ता पर भरोसे की रणनीति के इर्द-गिर्द घूम रहा है। एनडीए के ओर से गृह मंत्री अमित शाह पश्चिम चंपारण और पूर्वी चंपारण में हुंकार भर रहे हैं, वहीं जेडीयू नेता व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी लगातार सभाएं कर रहे हैं, मुख्य रूप से अपने सुशासन मॉडल और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का बखान कर रहे हैं। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी चंपारण और मधुबनी में सभाएं कर एनडीए सरकार की उपलब्धियां गिना रहे हैं, जबकि विपक्ष उनके शासनकाल में हुई अराजकता, बेरोजगारी और पलायन के मुद्दों पर कटघरे में खड़ा कर रहा है।
ऐसा पहली बार हो रहा है जब चुनाव के दूसरे चरण में इतने बड़े-बड़े नेता एक ही दिन, अलग-अलग जिलों में जनता के बीच जाकर संवाद कर रहे हैं। हर रैली, हर जनसभा मतदाताओं को रिझाने की होड़ को दिखाती है। गांव, कस्बों से लेकर शहरों तक, चौपालों और मैदानों में लोग सुबह से नेताओं की रैलियों का बेसब्री से इंतजार करते हैं। महिलाएं, युवा, किसान, अल्पसंख्यक हर वर्ग की हिस्सेदारी इन सभाओं में देखी जा सकती है तथा उनके सवालों और वोटों का महत्व सभी दल अच्छे से समझ रहे हैं।
दूसरे चरण की वोटिंग में जिन प्रमुख नेताओं के भाग्य का फैसला होना है, उनमें अनेक बड़े चेहरे शामिल हैं। एनडीए से कई मंत्री, पूर्व मंत्री और ताकतवर विधायक, महागठबंधन से वरिष्ठ विधायक, नवोदित युवा उम्मीदवार और पूर्व आईएएस, आईपीएस अधिकारी तक इस बार मैदान में हैं। खासकर सीमांचल, मिथिलांचल, कोशी, चंपारण, मगध अंचल की सीटों पर भाजपा-जदयू, आरजेडी, कांग्रेस, बसपा, वाम दल, एआईएमआईएम जैसी पार्टियों के बड़े चेहरों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। बिहार में दूसरे चरण में 20 जिलों की 122 सीटों पर वोट डाले जाएंगे जिनमें 1300 से ज्यादा उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इनमें से कई विधायक, पूर्व विधायक, मंत्री, सांसद की सीटें भी हैं। यह भी दिलचस्प है कि दूसरे चरण के चुनावी रण में 43 फीसदी उम्मीदवार करोड़पति बताये जा रहे हैं, जबकि लगभग 32 फीसदी पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। लगभग 133 महिलाएं भी मैदान में हैं, जिससे मुकाबला त्रिकोणीय और कई स्थानों पर सीधा होता दिख रहा है।
भाजपा-जदयू और राजद-कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर वाली सीटों पर परिणाम न सिर्फ उम्मीदवार, बल्कि शीर्ष नेताओं की प्रतिष्ठा से भी जुड़ जाते हैं। इसलिए सभी दलों ने प्रचार के आखिरी दिनों में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। पार्टी के स्थानीय प्रत्याशी और प्रदेश स्तर के नेता भी केंद्रीय नेताओं की रैलियों के साथ जनसंपर्क में व्यस्त हैं, ताकि मतदाताओं के मन में अंतिम वक्त में पार्टी के हक में माहौल बनाया जा सके। लोगों को डराने-धमकाने या बरगलाने के आरोप भी एक-दूसरे पर लग रहे हैं। चुनाव आयोग ने भी कई विवादास्पद बयानों, रोड शो और भीड़ नियंत्रण को लेकर नेताओं पर आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों में संज्ञान लिया है। सोशल मीडिया पर आरोप-प्रत्यारोप, जनसभा के वीडियो और वादों की गूंज हर तरफ है। ज्यादा से ज्यादा मतदान कराने और शांति बनाए रखने की अपील नेताओं और प्रशासन की तरफ से लगातार की जा रही है। वोटर लिस्ट से लेकर मतदान केंद्रों में बेहतर व्यवस्था का दावा किया जा रहा है।
मतदाताओं की नजर खासकर उन सीटों पर है जहां से कोई बड़ा मंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री या विपक्ष के नेता चुनाव लड़ रहे हैं। इसी कारण से सभी प्रमुख दल अपने प्रमुख चेहरों को आज ज्यादा से ज्यादा सीटों पर ले जा रहे हैं। रोड शो, नुक्कड़ सभा, मीडिया को बयान, सभाओं में क्षेत्रीय मुद्दों पर फोकस, हर तरफ राजनीति की गहरी हलचल साफ दिख रही है। कुल मिलाकर आज का चुनावी समर नेताओं की रैली, जनता की प्रतिक्रियाओं और सबसे अहम- मतदान के प्रति जागरूकता पर निर्भर है। जनता के हाथ में सत्ता की चाबी है और कौन नेता आज अपने भाषण, वादों, मुद्दों, और जनसंपर्क से यह भरोसा जगा पाता है, इसका फैसला मतदान के अगले चरणों में साफ हो जाएगा। यह चुनाव न सिर्फ प्रत्याशियों की जीत-हार बल्कि बिहार की राजनीति की दिशा भी तय करेगा।





