पिंकी सिंघल
वर्तमान युग की भाग दौड़ भरी जिंदगी में शायद हम में से किसी को भी यह सोचने की फुर्सत ही नहीं है कि हम खाने पीने के लिए जिन चीजों का इस्तेमाल कर रहे हैं क्या वे वास्तव में हमारे लिए लाभदायक हैं, क्या उनका कोई हानिकारक प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर नहीं पड़ता या यूं कहें कि हम सोचना ही नहीं चाहते कि हमारे स्वास्थ्य के लिए क्या चीज फायदेमंद है और क्या चीज नुकसानदेह। दिन भर की भागदौड़ के बाद शायद हमारे पास यह सोचने की फुरसत या समय ही नहीं होता कि आज दिन भर में हमने जो भी खाया वह हमारे स्वास्थ्य पर क्या असर करेगा प्रत्येक व्यक्ति कम समय में अधिक कमाने की चाह रखता है और आगे बढ़ने की होड़ में वह यह तक भूल जाता है कि इस आपाधापी भरी दौड़ में वह कुछ ऐसा सेवन कर रहा है जिसका दूरगामी दुष्परिणाम उसे भुगतना पड़ सकता है ।
जी हां ,आज हम बात कर रहे हैं प्लास्टिक और प्लास्टिक से बनी चीजों की। वर्तमान समय में प्लास्टिक हमारे लिए एक खतरनाक दुश्मन से कम नहीं है। प्लास्टिक पर हमारी निर्भरता इस कदर बढ़ चुकी है कि हम बिना प्लास्टिक के जीवन यापन की कल्पना तक नहीं कर सकते ।खाने में प्लास्टिक, पीने में प्लास्टिक ,सामान स्टोर करने में प्लास्टिक,सब और केवल प्लास्टिक ही प्लास्टिक।आवश्यकता की छोटी से छोटी चीज से लेकर बड़ी से बड़ी चीज के लिए हम प्लास्टिक पर निर्भर हो चुके हैं, बिना प्लास्टिक के हम अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते ।
आज के भौतिक युग में जहां एक तरफ प्लास्टिक के दुष्परिणाम और जहर संपूर्ण मनुष्य जाति के स्वास्थ्य को निगल रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इस पर हमारी आत्मनिर्भरता दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है। कभी कभी तो ऐसा प्रतीत होता है कि हम सब कुछ जानते हुए भी प्लास्टिक के मकड़ जाल में फंसते जा रहे हैं।सोशल मीडिया के जरिए समय-समय पर हमें यह जानकारी मिलती रहती है कि प्लास्टिक और पॉलीथिन के क्या क्या दुष्परिणाम हमें भुगतने पड़ सकते हैं। यह किसी विष से कम नहीं है यह हमारी बॉडी के भीतर स्लो पोइज़निंग का काम कर रही है।परंतु उसके बावजूद भी हम प्लास्टिक का उपयोग करना बंद नहीं कर पाते।
*धीमे धीमे ले रहा प्राण है प्लास्टिक*
*फिर भी क्यों सबकी शान है प्लास्टिक*
हम सभी जानते हैं कि प्लास्टिक का कचरा हमारी पृथ्वी को धीरे धीरे दूषित कर रहा है जिसकी वजह से आने वाले समय में कृषि पर बहुत ही बुरा असर पड़ने वाला है और पशुओं के लिए तो प्लास्टिक जानलेवा तक साबित हो रहा है। गलती से कचरे में फेंका गया प्लास्टिक जानवरों के लिए कैंसर का कारण भी बन रहा है, फिर भी हम बिना किसी की परवाह किए प्लास्टिक और पॉलिथीन का अंधाधुंध प्रयोग किए जा रहे हैं।
*मूक निरीह पर दया कीजै*
*प्लास्टिक उत्पादों पर बैन लगा दीजै*
शायद हम प्रकृति के प्रति पूर्ण रूप से असंवेदनशील हो चुके हैं ।अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए प्लास्टिक का प्रयोग हम बेखौफ होकर कर रहे हैं ।अपने आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए हम क्या संजोकर रख रहे हैं इस बात से हम में से कोई भी अनभिज्ञ नहीं है।सोचिए, यदि हमारे पूर्वजों ने भी हमारी तरह ही सोचा होता तो हमारा अस्तित्व कब का खत्म हो चुका होता।
*नई पीढ़ी को अब सब हम देंगे यह उपहार*
*पर्यावरण की रक्षा मिलकर हम करेंगे बार बार*
प्लास्टिक के जलने से खतरनाक रसायन उत्सर्जित होते हैं जिसका हानिकारक प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ता है। प्लास्टिक के जलने से प्रत्येक आयु वर्ग के लोगों को सांस लेने में दिक्कत होती है। अस्थमा जैसी खतरनाक बीमारियां भी तो इसी वजह से होती हैं। हम में से काफी लोगों की आदत में यह शुमार हो गया है कि हम प्लास्टिक की थैलियों जैसे दूध की थैली को खाली करते वक्त उसका एक छोटा सा टुकड़ा काटकर यूं ही फेंक देते हैं बिना यह जाने कि उस छोटे से टुकड़े को रिसाइकल करना संभव नहीं होगा, परंतु हमारी बला से कुछ भी हो ,हम ने तो अपना स्वार्थ साध ही लिया न।
यह सत्य है कि पूरे संसार में प्लास्टिक अपनी पैठ बना चुका है और प्रकृति के प्रतिकूल होने के बावजूद भी हम इसके प्रयोग पर बैन नहीं लगा पा रहे हैं या यूं कहें कि हम प्लास्टिक के प्रयोग को बंद करना ही नहीं चाहते ।यह तो हम सब जानते हैं कि खाने पीने की चीजों को प्लास्टिक पैकिंग में स्टोर नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से केमिकल रिएक्शन होती है और पैक्ड फूड हमारे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है,जो धीरे-धीरे कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों में तब्दील हो जाता है।
*पैक्ड फूड को बिसराइए,ताजा पका हुआ ही खाइए*
*अपने प्राणों के साथ साथ अपनों के प्राण बचाइए*
वैज्ञानिकों के अनुसार अभी नई बात निकल कर सामने आई है जिसके अनुसार मनुष्य के रक्त प्रवाह में भी प्लास्टिक पाया गया है l
हाल ही में प्रकाशित हुई साइंटिफिक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि हमारे द्वारा प्रयोग किए गए प्लास्टिक और वातावरण में पाए जाने वाले प्लास्टिक और पॉलिथीन के पार्टिकल्स हमारे रक्त में अवशोषित हो रहे हैं जो धीरे-धीरे कैंसर का कारण बन सकते हैं ।यह अत्यधिक चिंता का विषय है। मनुष्य के रक्त प्रभाव में प्लास्टिक का होना इस बात का सबूत है कि हम किस कदर भारी मात्रा में प्लास्टिक व पॉलिथीन पर निर्भर हो चुके हैं, और यह जानते हुए भी हम प्लास्टिक का प्रयोग बंद नहीं कर रहे,चाहे इसके लिए हमें अपनी जान से ही हाथ क्यों ना धोना पड़े,विचारणीय है।
*नस नस में प्लास्टिक दौड़ रहा,जान पर कर रहा यह प्रहार*
*दमा,अस्थमा और त्वचा कैंसर के, हैं ये सारे आसार*
“सिंगल यूज वाली वाली प्लास्टिक वस्तु” जिसका अर्थ है एक प्लास्टिक की वस्तु जिसको डिस्पोज या रिसाइकिल से पहले एक काम के लिए एक ही बार यूज किया जाता है,पर भी सरकार आगामी जुलाई से प्रतिबंध लगाने की दिशा में काम कर रही है। फिलहाल देश में 50 माइक्रॉन से कम के पॉलीथीन बैग पर बैन है। पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार 1 जुलाई, 2022 से पॉलीस्टाइनिन और एक्सपैंडेड पॉलीस्टाइनिन सहित सिंगल यूज वाले प्लास्टिक के उत्पादन, आयात,स्टॉकिंग,वितरण,बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध रहेगा।(स्त्रोत: गूगल)
माना कि प्लास्टिक हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग बन चुका है ,परंतु फिर भी हमें यह ध्यान रखना होगा कि हमें वही प्लास्टिक यूज करना है जिसे रीसायकल करने में आसानी हो। हम सबको मिलकर आज यह शपथ लेनी होगी कि हम भी पर्यावरण मंत्रालय की इस सुखद पहल में भागीदार बनेंगे और प्लास्टिक की वस्तुओं के प्रयोग पर अधिक से अधिक बैन लगा प्रकृति को एक सुंदर और अनमोल उपहार देंगे क्योंकि प्लास्टिक मुक्त होगा भारत,तभी तो स्वस्थ होगा भारत।
*हम पर्यावरण को बचाएंगे*
*प्लास्टिक मुक्त भारत बनाएंगे*