“जीवन पिच के गेम में”

"Life in the game of pitch"

(क्रिकेट और जिंदगी दोनों का कॉकटेल)

जीवन पिच के गेम में, भरे पड़े है ट्विस्ट।
अपने ही जब आउट करें, छा जाती है मिस्ट।।

जीवन की पिच पर लगे, रोज नई ही फील्ड।
अपने ही जब कैच पकड़ लें, हो जाए फिर नील्ड।।

चाल छुपी हर बात में, पहचानो हर ट्रिक।
पास खड़े जो खेलते, करते तुरंत क्लिक।।

स्ट्रेट ड्राइव, शॉट कवर, सोचो हर इक बॉल।
पास खड़े आउट करे, उन पर मत कर टॉल।।

नो बॉल के लालच में, आउट होते लोग।
फ्री हिट्स का चांस समझ, मत करना कुछ भोग।।

हँसते- गाते लोग ये, देते बाउंसर तेज।
सीधा दिल पर जब लगे, देते कोमा भेज।।

गुगली फेंके, कैच लें, दे गिरा हमें कौन।
सोचो समझों फ्रेंड ली, होकर सौरभ मौन।।

गुगली,बाउंसर मिले, रहना तुम तैयार।
रन आउट से भी बचो, दौड़ों हो हुशियार।।

बैटिंग सत्य की करो, रखना मन का होश।
वरना अपनी टीम से, खा जाओगे लॉश।।

लाइफ के इस ग्राउंड में, खुद को रखना सेट।
खेल सही जो खेलते, वही मारते बैस्ट।।

फिनिशर बन कर खेलिए, रखो धैर्य से मेल।
बैटिंग स्वय से बचे, वरना पलटे खेल।।

सिक्सर मारो वक़्त पर, पर देखो हर ट्रैप।
बैकस्टैब जो भी करें, रखो उनसे गैप।।

डॉ.सत्यवान सौरभ