रविवार दिल्ली नेटवर्क
कोलकाता : अंतर्राष्ट्रीय संस्था रचनाकार एक साहित्यिक एवं सांस्कृतिक क्रांति द्वारा राजस्थान सूचना केंद्र में एक प्रेस वार्ता आयोजित की गई। इस प्रेस वार्ता में सर्वप्रथम संस्था के संस्थापक अध्यक्ष सुरेश चौधरी ने संस्था के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसका मूल उद्देश्य साहित्य, कला एवं संस्कृति के विभिन्न आयामों को अपने कार्यक्रमों के माध्यम से विश्व स्तरीय पहचान दिलानी है और जहां महत्वपूर्ण साहित्यकारों को सम्मानित करना है वहीं नवोदित रचनाकारों को उचित मंच भी प्रदान करना है। उन्होंने साल भर होने वाले ऑनलाइन तथा ऑफलाइन कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी भी दी।
इस मौके पर संस्था के प्रसार मंत्री रावेल पुष्प ने बताया कि आगामी 1 अक्टूबर को भारतीय भाषा परिषद् के सभागार में 2023 के घोषित साहित्य पुरस्कारों को प्रदान किया जाएगा। जिसके अन्तर्गत है ननी गोपाल क्षेत्रीय साहित्य सम्मान जिसमें प्रशस्ति पत्र के अलावे रु 7100 नगद प्रदान किए जाते हैं। इस बार बांग्ला साहित्य के लिए कोलकाता के डॉक्टर रामकुमार मुखर्जीै,उर्दू साहित्य के लिए फ़े शीन ऐजाज, राजस्थानी भाषा के लिए बीकानेर के श्री जगदीश दान रतनू को प्रदान किया जाएगा । इसके अलावा रचनाकार साहित्य गंधा प्रज्ञा सम्मान हैदराबाद के साहित्यकार श्री विश्वजीत सपन को, रचनाकार सुरभि कला विभूति सम्मान श्री मिथिलेश कुमार सिंह पटना को, रचनाकार दुर्गावती चौधरी स्मृति साहित्य सारथी सम्मान कोलकाता के वरिष्ठ कवि योगेंद्र शुक्ल सुमन को, रचनाकार दिनकर साहित्य शिरोमणि सम्मान कोलकाता के मृत्युंजय कुमार सिंह को, रचनाकार दिनकर साहित्य सेवी सम्मान कोलकाता का वरिष्ठ पत्रकार विश्वंभर नेवर को तथा रचनाकार दिनकर साहित्य शिखर सम्मान वरिष्ठ गीतकार देहरादून के बुद्धिनाथ मिश्र को प्रदान किया जाएगा। उक्त अवसर पर देश विदेश से साहित्य प्रेमियों की उपस्थिति में कवि सम्मेलन की एक छटा भी दिखेगी।
प्रेस वार्ता के आखिरी चरण में राजस्थान सूचना केंद्र के प्रभारी तथा राजस्थान सरकार के सूचना एवं जन संपर्क विभाग के सहायक निदेशक श्री हिंगलाज दान रतनू ने घोषणा की कि रचनाकार को इस केंद्र का सहयोग तो हमेशा मिलता ही रहेगा बल्कि राजस्थान सरकार रचनाकार के अगले वृहद् कार्यक्रम को राजस्थान में करने और पूर्ण सहयोग देने का वचन भी देती है।
प्रेस वार्ता में रचनाकार की नई कार्यकारिणी की कार्यकारी अध्यक्ष रचना सरन तथा वर्ष भर चलने वाली आभासी कवि गोष्ठियों की प्रभारी मौसमी प्रसाद भी उपस्थित थीं।