रविवार दिल्ली नेटवर्क
नाहन : तालाबों के शहर नाम से प्रसिद्ध नाहन में तालाबों की दुर्दशा से स्थानीय लोग चिंतित इंट्रो :रियासत काल में सिरमौर जिला में नाहन में पांच तालाबों का निर्माण किया गया था जोकि नगर के सौंदर्य को बढ़ाने के साथ साथ जल सरंक्षण का संदेश भी देते थे। विकास की गति बढ़ाने को एक तालाब में बस अड्डा बनाया गया और अन्य तालाब बचे रहे। अनदेखी के चलते एक तालाब और सुख गया।
इस समय भी शहर में तीन तालाब बचे हैं जोकि नगर परिषद के सरंक्षण में हैं। इन दिनों इन तालाबों में रानीताल तालाब को छोड़कर पक्का तालाब और कालीस्थान तालाब की हालत चिंताजनक बनी हुई है। इन तालाबों में कूड़े के ढेर व कूड़ा कर्कट देखा जा सकता है। एक और जहां केंद्र सरकार प्राचीन जल स्रोत्रों के सरंक्षण को कार्य कर रही है वहीं शहर के पक्का तालाब की हालत गंभीर बनी हुई है।
शहर के बीचों बीच बने इस तालाब में आसपास से कूड़ा फेंका जाता है और अनदेखी के चलते इसकी हालत खराब है। जिला पर्यावरण समिति व शहर की अन्य संस्थाएं इन तालाबों की बिगड़ती स्तिथि से चिंतित हैं व नगर परिषद से अनुरोध किया जा रहा है कि इन की दशा सुधारने का कार्य किया जाये या फिर लोगों को इन जलाशयों को सुधारने में शामिल लिया जाये।
जिला पर्यावरण समिति अध्यक्ष डॉ सुरेश जोशी ने बताया कि शहर की ऐतिहासिक धरोहरों को बचाने में समिति ने लम्बी लड़ाई लड़ी है लेकिन पिछले कुछ समय से पक्का तालाब की हालत बदतर होती जा रही है। नगर परिषद को इसके रखरखाव हेतु कदम उठाने चाहिए ताकि ये प्राचीन जलाशय सुरक्षित रह सकें।
साईं सेवा समिति अध्यक्ष प्रोफेसर अमर सिंह चौहान ने बताया कि ये प्राचीन जलाशय नगर की सुंदरता बढ़ाते है और जल सरंक्षण का संदेश भी दे रहे हैं लेकिन देखरेख के आभाव में ये खराब होने लगे हैं। नगर परिषद को इनकी सुध लेनी चाहिए या फिर संस्थाओं का सहयोग लेकर इनको सुधारने के कदम उठाने चाहिए।
पोंटा से आये संजय कंवर ने बताया कि वो बड़े अरसे बाद आज तालाब देखने आए थे और इनकी हालत बड़ी खराब है। उन्होंने कहा कि परिषद प्रशासन को इनकी स्वछता हेतु कड़े कदम उठाने चाहिए ताकि ये तालाब स्वच्छ व सुंदर रहें।
उल्लेखनीय है कि ये प्राचीन जलाशय जहां नाहन के आकर्षक बनाते हैं वहीं जल के महत्व बारे भी संदेश देते हैं। प्रशासन को इनकी स्वछता बारे कदम उठाने चाहिए ताकि ये प्राचीन धरोहर सरंक्षित रह सकें।