लोकसभा ने पारित किया सेंट्रल एक्साइज़ अमेंडमेंट बिल 2025 तंबाकू व ‘सिन प्रोडक्ट्स’ पर कर संरचना होगी कड़ी

Lok Sabha passes Central Excise Amendment Bill 2025; tightens tax structure on tobacco and sin products

प्रमोद शर्मा

नई दिल्ली : संसद के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन लोकसभा में मंगलवार को सेंट्रल एक्साइज(अमेंडमेंट ) बिल , 2025 पर विस्तृत चर्चा हुई और अंततः इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। यह विधेयक मुख्य रूप से तंबाकू, सिगरेट, पान-मसाला, बेड़ी और अन्य ऐसे उत्पादों पर केंद्रित है जिन्हें “डिमेरिट गुड्स” या “सिन प्रोडक्ट्स” की श्रेणी में रखा जाता है। बिल के माध्यम से सरकार ने इन उत्पादों पर लगने वाली केंद्रीय उत्पाद शुल्क (एक्साइज ड्यूटी ) एवं संबंधित सेस में संशोधन का प्रावधान किया है। वित्त मंत्रालय के अनुसार, विधेयक की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि आने वाले समय में जीएसटी (GST) क्षतिपूर्ति सेस हटने वाला है। ऐसे में यदि तंबाकू और धूम्रपान उत्पादों पर वैकल्पिक कर प्रणाली स्पष्ट न हो, तो इनके दामों में कमी आ सकती है जो स्वास्थ्य-हित में ठीक नहीं मानी जाती। सरकार का तर्क है कि तंबाकू व संबंधित उत्पादों को सस्ता होने से रोकना जरूरी है, क्योंकि स्वास्थ्य पर इनके प्रभाव गंभीर होते हैं। बिल में इस बात का प्रावधान किया गया है कि एक्साइज संरचना को इस प्रकार सुदृढ़ किया जाए कि GST सेस के हटते ही इन उत्पादों पर कर में कमी न आए। लोकसभा में प्रस्तुति के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह संशोधन “राजस्व संरक्षण” का भी एक महत्वपूर्ण साधन है। उनका कहना था कि जब कर संरचना कमजोर होती है तो एक ओर स्वास्थ्य-हानिकारक वस्तुएं सुलभ हो जाती हैं और दूसरी ओर सरकार को मिलने वाला राजस्व भी घटता है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियानों पर असर पड़ता है। मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि संशोधन केवल तंबाकू तक सीमित नहीं है, बल्कि उन सभी उत्पादों पर लागू होगा जिन्हें “सिन गुड्स” की श्रेणी में रखा गया है। बिल पर चर्चा के दौरान विपक्ष के कुछ सदस्यों ने प्रक्रिया और प्रावधानों को लेकर सवाल उठाए, हालांकि व्यापक सहमति इस बात पर दिखी कि तंबाकू के उपभोग को नियंत्रित करना आवश्यक है। कई सांसदों ने इस बात पर जोर दिया कि भारत में युवाओं के बीच निकोटिन-आधारित उत्पादों का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है, ऐसे में सरकार को कर व्यवस्था के साथ-साथ जागरूकता अभियानों को भी मजबूत करना चाहिए। बिल पारित होने के साथ ही सरकार को अब राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार रहेगा। जैसे ही यह अधिनियम के रूप में अधिसूचित होगा, तंबाकू और संबंधित उत्पादों पर नई कर दरें लागू हो जाएँगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे इन उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी लगभग तय है, जिसका उद्देश्य उपभोग को कम करना है। लोकसभा में बिल पारित होने के बाद इसे सरकार की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है, क्योंकि लंबे समय से इस बात की आवश्यकता महसूस की जा रही थी कि तंबाकू जैसे स्वास्थ्य-हानिकारक उत्पादों पर कर संरचना स्पष्ट और सख्त हो। सरकार के अनुसार, यह कदम “राजस्व संरक्षण” के साथ-साथ “लोक-स्वास्थ्य संरक्षण” की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।