लोकसभाध्यक्ष ओम बिरला ने राष्ट्रमंडल संसदीय संघ के 68वें सम्मेलन के अवसर पर आयोजित कार्यशाला की अध्यक्षता की

Lok Sabha Speaker Om Birla chairs workshop on the sidelines of the 68th Commonwealth Parliamentary Association Conference

  • लोकसभाध्यक्ष ने एआई के जिम्मेदार और नैतिक उपयोग को बढ़ावा देने का आग्रह किया
  • निकट भविष्य में, “संसद भाषिणी” जैसी रियल-टाइम एआई अनुवाद प्रणाली की सहायता से प्रत्येक संसद सदस्य अपनी भाषा में संवाद करने में सक्षम होगा

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

ब्रिजटाउन (बारबाडोस)/नई दिल्ली : लोकसभाध्यक्ष ओम बिरला ने राष्ट्रमंडल देशों के सांसदों से आग्रह किया कि वे प्रौद्योगिकी का समुचित उपयोग करते हुए और डिजिटल डिवाइड की समस्या का समाधान करते हुए आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (एआई) के विवेकपूर्ण और नैतिक उपयोग को बढ़ावा दें ।

ब्रिजटाउन (बारबाडोस) में आयोजित राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) के 68वें सम्मेलन के दौरान ‘प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना: डिजिटल परिवर्तनों के माध्यम से लोकतंत्र को सशक्त बनाना और डिजिटल डिवाइड को दूर करना’ विषय पर आयोजित कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए, बिरला ने कहा कि आपसी सहयोग से और जानकारी साझा करते हुए यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि प्रौद्योगिकी अवरोध न बनकर सेतु की भूमिका निभाए ।

ओम बिरला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत ने डिजिटल क्षेत्र में विश्वस्तरीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं। उन्होंने आगे कहा कि 1.4 बिलियन नागरिकों के लिए किफ़ायती और सुलभ डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया गया है, जिससे शासन प्रणाली और अर्थव्यवस्था दोनों का कायाकल्प हुआ है।

भारत के “एआई मिशन” — एआई फॉर ऑल और एआई फॉर गुड — के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि यह पहल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शी सोच को दर्शाती है। उन्होंने एआई को मात्र तकनीकी प्रगति ही नहीं समझा, बल्कि नागरिक सशक्तिकरण और पारदर्शी शासन के प्रभावी साधन के रूप में देखा है। भारत के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में तेज़ी से हो रहे विकास के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि देश में 5जी का तेजी से विस्तार हो रहा है और 5जी के क्षेत्र में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बाज़ार बन गया है। साथ ही, 6जी के विकास के लिए भी सक्रिय रूप से प्रयास किए जा रहे हैं।

भारत में डिजिटल भुगतान क्रांति के बारे में बोलते हुए, बिरला ने कहा कि यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) ने डिजिटल भुगतान को एक जन आंदोलन बना दिया है। इसके अतिरिक्त, सरकार दस लाख नागरिकों को एआई संबंधी निःशुल्क प्रशिक्षण प्रदान कर रही है, जिससे जमीनी स्तर पर एआई के संबंध में जागरूकता और नवाचार को बढ़ावा मिल रहा है। उन्होंने आगे कहा कि इन पहलों ने डिजिटल कनेक्टिविटी को किफायती, समावेशी और जन-केंद्रित बना दिया है।

बिरला ने इस बात पर प्रकाश डाला कि एआई-आधारित डिजिटल प्रणालियाँ भारत की संसदीय प्रक्रियाओं को अधिक प्रभावी और समावेशी बना रही हैं। उन्होंने प्रतिनिधियों को बताया कि एआई-आधारित अनुवाद, एआई-सक्षम ई-लाइब्रेरी और स्पीच-टू-टेक्स्ट रिपोर्टिंग जैसी प्रणालियाँ संसदीय प्रक्रियाओं को अधिक सफल और समावेशी बना रही हैं। आगामी डिजिटल पहलों के बारे में बताते हुए, बिरला ने कहा कि निकट भविष्य में, “संसद भाषिणी” जैसी रियल-टाइम एआई अनुवाद प्रणालियों से प्रत्येक संसद सदस्य को अपनी भाषा में संवाद करने में मदद मिलेगी, जो भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में लोकतंत्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी।

बिरला ने भारत की संसद में कार्यान्वित किए गए विभिन्न डिजिटल नवाचारों का उल्लेख किया और कहा कि “डिजिटल संसद” पहल के तहत, भारत की संसद ने एकीकृत डिजिटल इकोसिस्टम विकसित किया है जो सांसदों, मंत्रालयों और नागरिकों को एक ही डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से जोड़ता है।

अपने संबोधन में, उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के विकास और ई-संसद के उपयोग से हमारे संसदीय लोकतंत्र के कार्यकरण में बड़े पैमाने पर बदलाव आए हैं । उन्होंने उल्लेख किया कि ई-संसद पहल,ई-लोकतंत्र को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है जिससे लोकतन्त्र में नागरिकों की भागीदारी भी बढ़ रही है ।उन्होंने कहा कि लोकतंत्र तब मज़बूत बनता है जब देश के नागरिक अपनी संसद से गहराई से जुड़े होते हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इस जुड़ाव को मज़बूत करने में तकनीक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस संदर्भ में, उन्होंने उल्लेख किया कि पारंपरिक संसदीय प्रणाली से ई-संसद तक की भारतीय संसद की यात्रा, अपनी पहुँच, कार्यप्रणाली और जन आकांक्षाओं के प्रति जवाबदेही की दृष्टि से अभूतपूर्व रही है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि यह बदलाव लोकतांत्रिक शासन में एक बड़ी प्रगति का प्रतीक है, जो विधायी प्रक्रियाओं को मज़बूत करने और नागरिकों की अधिकाधिक भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए प्रोद्योगिकी की क्षमता का प्रभावी उपयोग करता है।