दोस्ती के बिना प्रेम अधूरा

love is incomplete without friendship

गंगा पाण्डेय

प्रेम और दोस्ती, ये दोनों ही मानवीय जीवन के सबसे कोमल और आवश्यक भाव हैं। प्रेम जीवन को पूर्णता देता है, लेकिन यदि उसमें दोस्ती का अभाव हो, तो वह अधूरी रह जाती है। प्रेम केवल आकर्षण, समर्पण या जिम्मेदारी का नाम नहीं है, बल्कि यह आपसी समझ, भरोसे और सहजता का मेल भी है। जब किसी रिश्ते में दोस्ती होती है, तो वह मजबूत और खुशहाल बनता है, लेकिन यदि प्रेम से दोस्ती गायब हो जाए, तो वह केवल एक दायित्व बनकर रह जाता है।

प्रेम और दोस्ती के बीच गहरा संबंध होता है। दोस्ती में निस्वार्थता, सहजता और खुलापन होता है, जो किसी भी प्रेम संबंध को अधिक स्थायी और मजबूत बनाता है। जब दो लोग प्रेम में होते हैं, तो उन्हें एक-दूसरे का सबसे अच्छा मित्र भी होना चाहिए। मित्रता वह आधार है, जो प्रेम को सिर्फ रोमांटिक आकर्षण से ऊपर उठाकर एक गहरे आत्मीय रिश्ते में बदल देती है। यदि कोई प्रेमी जोड़ा मित्रता के भाव से रहित है, तो धीरे-धीरे उनमें संवादहीनता, अविश्वास और बंधन की भावना घर करने लगती है, जिससे प्रेम में खटास आ सकती है।

अगर प्रेम में दोस्ती नहीं होती, तो यह कई समस्याओं को जन्म दे सकता है। सबसे पहले, संवादहीनता बढ़ जाती है, जिससे प्रेमी एक-दूसरे से खुलकर अपनी भावनाएँ व्यक्त नहीं कर पाते। इस कारण रिश्ते में दूरी बढ़ने लगती है। दूसरा, भरोसे की कमी और संदेह उत्पन्न हो सकता है, क्योंकि दोस्ती ही वह तत्व है, जो पारदर्शिता लाता है और गलतफहमियों को दूर करता है। तीसरा, यदि प्रेम में मित्रता नहीं हो, तो वह एक प्रकार का बंधन बन सकता है, जहाँ व्यक्ति खुद को स्वतंत्र रूप से व्यक्त नहीं कर पाता। इससे प्रेम केवल कर्तव्यों और जिम्मेदारियों तक सीमित रह जाता है और धीरे-धीरे अपना आकर्षण खो देता है।

प्रेम में दोस्ती की उपस्थिति रिश्ते को स्थायित्व और गहराई प्रदान करती है। जब प्रेमी एक-दूसरे के मित्र होते हैं, तो वे न केवल एक-दूसरे की भावनाओं को समझते हैं, बल्कि हर परिस्थिति में साथ निभाते हैं। दोस्ती के कारण प्रेम में सहजता बनी रहती है, जिससे प्रेमी बिना झिझक अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं और आपसी संवाद को मजबूत बना सकते हैं। यह संबंध को अधिक पारदर्शी और ईमानदार बनाता है, जिससे उसमें विश्वास और सम्मान की भावना बढ़ती है।

इसके अलावा, प्रेम में मित्रता होने से रिश्ता आनंददायक और जीवंत बना रहता है। जब प्रेमी दोस्त होते हैं, तो वे एक-दूसरे को हँसा सकते हैं, मज़ाक कर सकते हैं और जीवन के हर पल को खुलकर जी सकते हैं। इससे रिश्ता केवल भावनात्मक या दायित्वपूर्ण नहीं रह जाता, बल्कि उसमें एक आत्मीय जुड़ाव भी आता है, जो कठिन समय में भी प्रेम को बनाए रखता है।

ऐतिहासिक और साहित्यिक दृष्टि से भी यह देखा गया है कि जिन प्रेम संबंधों में दोस्ती का तत्व मौजूद था, वे अधिक सफल रहे। कई दंपतियों के बीच गहरी मित्रता उनके विवाह को अधिक सुखद और स्थायी बनाती है। प्रसिद्ध उपन्यासकार जेन ऑस्टिन और कई अन्य लेखकों ने भी इस तथ्य को अपने साहित्य में उजागर किया कि प्रेम में मित्रता न केवल आवश्यक है, बल्कि यह रिश्ते को और अधिक मूल्यवान बनाती है।

अतः यह कहा जा सकता है कि प्रेम और दोस्ती एक-दूसरे के पूरक हैं। दोस्ती के बिना प्रेम अधूरा और अस्थायी रह सकता है, जबकि मित्रता प्रेम को स्थायित्व और गहराई प्रदान करती है। यदि कोई व्यक्ति अपने प्रेम संबंध को सुदृढ़ बनाना चाहता है, तो उसे अपने साथी को अपना सबसे अच्छा मित्र बनाना चाहिए। यही वह आधार है, जो प्रेम को सच्चे अर्थों में संपूर्ण, सुखद और स्थायी बनाता है।