गुवाहाटी के कामाख्या मंदिर के समकालीन है गया के भष्म कूट पर्वत पर स्थित मां मंगला गौरी मंदिर

Maa Mangala Gauri Temple situated on Bhasma Kut mountain of Gaya is contemporary with Kamakhya Temple of Guwahati

रविवार दिल्ली नेटवर्क

गया : गया शहर के भष्मकुट पर्वत पर स्थित मां मंगला गौरी मंदिर देवी को समर्पित उन 52 महाशक्तिपीठों में से एक है जहां देवी के स्तन ( वक्ष ) गिरे थे, वह आज भी विराजमान है। 15 वीं सदी से भस्म कूट पहाड़ी पर विराजमान मंगला गौरी शक्तिपीठ गुवाहाटी के कामाख्या शक्तिपीठ के समकालीन पालन पीठ के नाम से भी जाना जाता है। यहां प्रत्येक मंगलवार को श्रद्धालुओं की काफ़ी भीड़ लगती है।

मंदिर के मुख्य पुजारी बताते हैं की इस मंदिर का वर्णन पद्म पुराण, वायु पुराण, अग्नि पुराण, मार्कंडेय पुराण में भी मिलता है। मंदिर परिसर में मां काली, गणपति, भगवान शिव और हनुमान के भी मंदिर हैं। मंगला गौरी मंदिर में नवरात्रि के महीने में हजारों की संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन और पूजन करने आती हैं।

सिद्धपीठ के रूप में चर्चित मां मंगलागौरी मंदिर के गर्भगृह में मां सती के स्तन का एक टुकड़ा स्थापित है। इसलिए मां मंगला गौरी मंदिर को शक्तिपीठ/ पालनपीठ के रूप में जाना जाता है। इस मंदिर में मां मंगला की अदभुत प्रतिमा स्थापित है।

ऐसी मान्यता है की भगवान भोले शंकर जब अपनी पत्नी सती का जला हुआ शरीर आकाश में उद्विग्न होकर घूम रहे थे तो इसी क्रम में मां सती के शरीर का टुकड़ा देश के 51 स्थानों पर गिरा था। जिसे बाद में शक्ति पीठ के रूप में जाना गया। उस समय 51 स्थानों पर गिरे ह़ुए टुकड़ा में स्तन का एक टुकड़ा गया के भस्मकुट पर्वत पर गिरा था।

मान्यता है कि इस मंदिर में आकर जो भी सच्चे मन से मां की पूजा व अर्चना करते है, मां उस भक्त पर खुश होकर उसकी मनोकामना को पूर्ण करती है। यहां पूजा करने वाले किसी भी भक्त को मां मंगला खाली हाथ नहीं भेजती है। यों तो मां मंगला गौरी मंदिर में सालों भर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। परंतु सबसे ज्यादा श्रद्धालुओं की भीड़ हर मंगलवार को लगती है।

नवरात्रा के दौरान दिन भर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। इस मंदिर के परिसर में नवरात्रा के दौरान दर्जनों श्रद्धालु व पंडित रोजाना आकर मां दुर्गा सप्तशती का भी पाठ करते है। ऐसे तो हर दिन मंदिर की साफ-सफाई होती है, और फूल व माला से सजाया जाता है। परंतु, नवरात्र के दौरान मां मंगला मंदिर की खुबसूरती और भी बढ़ जाती है। मंदिर के गर्भगृह में कई दशक से अखंड दीप प्रज्ज्वलित है।

इस मंदिर में केवल स्थानीय लोग ही नहीं बल्कि विदेशी भी आकर मां मंगला गौरी में पूजा अर्चना करते हैं। मां मंगलगौरी मंदिर में पूजा करने के लिए श्रद्धालुओं को सीढ़ी चढ़कर उपर जाना पड़ता है।