
मोहित त्यागी
- आज के युवाओं से जातिगत स्वार्थों और अहंकारो से मुख्य होने का किया आह्वान
- हरमिलाप मंदिर के पुरोहितों और कमेटी के पदाधिकारियों ने महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज का भव्य अभिनंदन किया
हापुड़ : विश्व प्रसिद्ध प्राचीन शिव शक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर व श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज ने हरमिलाप मंदिर शिवपुरी में सनातन धर्म की रक्षा, सभी हिन्दुओं के परिवारों की रक्षा, सनातन धर्म के शत्रुओं के समूल विनाश और भक्तगणों की सात्विक मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु किए जा रहे मां बगलामुखी महायज्ञ के चौथे दिन श्रीमद्भगदगीता के आधार पर प्रवचन करते हुए कहा कि सनातन धर्म मूल अवधारणाओं में जातिवाद कहीं नहीं है। उन्होंने कहा कि जातिवाद सनातन धर्म की सबसे बड़ी विकृति है जिसका सदैव ही दुखद परिणाम हमे झेलना पड़ा है। महाभारत जैसे महाविनाशकारी युद्ध के कारणों में एक बहुत बड़ा कारण कर्ण जैसे महावीर और उच्च नैतिकता वाले योद्धा का बार-बार जाति के नाम पर होने वाला अपमान भी है। बचपन से लेकर द्रौपदी के स्वयंवर तक लगातार कर्ण को जातिवाद के कारण अपमानित होना पड़ा। यदि जातिवाद कर्ण को उसके स्वभाव के सर्वदा विपरीत दुर्योधन की शरण में ले गया और कर्ण की प्रतिभा के बल पर ही दुर्योधन ने भीष्म पितामह, चाचा विदुर और अपनी माता गांधारी तक की अवहेलना करके महाभारत के युद्ध जैसा भयंकर विनाशकारी संकल्प लिया।
उन्होंने यह भी कहा कि सनातन धर्म को साक्षात परमात्मा के द्वारा दिए हुए ज्ञान श्रीमद्भगवद्गीता में योगेश्वर श्रीकृष्ण ने हमे स्पष्ट बताया कि उन्होंने सारे मानव समाज को गुण कर्म के अनुसार ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शुद्र में परिभाषित किया है। इससे बिल्कुल स्पष्ट है कि धर्म ने हमे वर्ण व्यवस्था दी और हमारे स्वार्थी पूर्वजों ने इसे जाति व्यवस्था में बदल दिया।आज हमारी अभूतपूर्व दुर्गति का कारण हम सब के मन में बस चुका जातिवाद ही है। इसी जातिवाद के कारण हमें दुनिया के सबसे बड़े जाहिल लुटेरों का कई सौ साल तक गुलाम रहना पड़ा। इसी जातिवाद के कारण हमारे मठ मंदिर ध्वस्त हुए और इसी जातिवाद के कारण हमारी कई करोड़ बहन बेटियां दो-दो रुपए में बिकी और उन क्रूर हत्यारों की रखैल बनी जिन्होने उनके पिता, भाई, पति और बेटो का कत्ल किया था।इसी जातिवाद के कारण ये दुर्दांत क्रूर लुटेरे हमारे पूर्वजों के संचित ज्ञान के भंडार विश्वविद्यालय, गुरुकुल और पुस्तकालय जलाने में सफल हुए। वास्तव में यह जातिवाद सनातन धर्म का कोई अंग नहीं बल्कि रिसता हुआ कोढ़ है जिसे हमने आभूषण समझ कर गले लगाया हुआ है। अब युवाओं को इस बीमारी को दूर करना चाहिए अन्यथा अब सब खत्म होने के कगार पर आ गया है।
महायज्ञ में उनके साथ उनके शिष्य यति अभयानंद, यति धर्मानंद, डॉ योगेंद्र योगी व पंडित सुनील दत्त शर्मा भी थे। महायज्ञ के पुरोहित पंडित सनोज शास्त्री हैं। आज के महायज्ञ के यजमान विजय अग्रवाल और अरुण त्यागी थे। इस अवसर पर राजेंद्र त्यागी, ईश्वरचंद त्यागी, पंकज गर्ग, दिनेश सिंघल, विपुल मित्तल, राजीव गर्ग, सुरेश केडिया, सुधीर गुप्ता, अनुज गुप्ता, मयंक सहित अनेक भक्तगणों ने महायज्ञ में आहुति समर्पित की।