इतिहास को दोहराने के लिए एक बार फिर देवबंद पहुंचे महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज

Mahamandaleshwar Yati Narasimhanand Giri Maharaj reached Deoband once again to repeat history

रविवार दिल्ली नेटवर्क

  • एक बार फिर महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज ने की धर्म संसद की घोषणा
  • देवबंद में आरंभ हुआ धर्म संसद का कारवां फिर देवबंद पहुंचा
  • जिहाद और तालिबान को लेकर फरवरी में देवबंद में होगा धर्म संसद
  • 6 और 7 सितंबर 2013 को देवबंद में हुई थी पहली धर्म संसद

देवबंद : देवबंद स्थित महाकालेश्वर ज्ञान मंदिर में ब्रह्मलीन स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती जी महाराज की समाधि पर आकर उनके शिष्य महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज ने धर्म संसद का संकल्प लिया।

महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज ने अपने जीवन की पहली धर्म संसद अपने गुरु ब्रह्मलीन स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती जी महाराज के आदेश पर कठोर जनसंख्या नियंत्रण कानून बनवाने और जिहाद पर सरकार से श्वेत पत्र मांगने के मुद्दे पर यहीं आश्रम में आयोजित की थी, जिसके लिए उन्हें जेल जाना पड़ा था। उनके समर्थन में पूरे सहारनपुर का नौजवान उमड़ पड़ा था। आज ये मुद्दे तो कहीं खो गए और स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती जी महाराज भी ब्रह्मलीन हो गए, परन्तु उनके शिष्य महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज अभी भी पराजित और अभिशप्त जीवन जी रहे हैं। उन्हें बार-बार प्रताड़ित और अपमानित किया जा रहा है, परंतु वो अपने गुरु के द्वारा दी गई लड़ाई से बाल बराबर भी पीछे नहीं हट रहे हैं।

आज उन्होंने ब्रह्मलीन स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती जी महाराज के शिष्यों के साथ बातचीत करके फरवरी के पहले हफ्ते में दो दिवसीय धर्म संसद आयोजित करने का निर्णय लिया।

यह धर्म संसद दारुल उलूम देवबंद और तालिबान के बढ़ते हुए प्रभाव का संपूर्ण मानवता और हिंदू समाज पर होने वाले प्रभाव पर चिंतन करेगी। यह धर्म संसद इस विषय में भी चिंतन करेगी कि इस्लामिक गुलामी आने पर हमारा भविष्य कैसा होगा और इस्लामिक भारत का संपूर्ण विश्व और मानवता पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

उन्होंने देवबंद के सभी हिंदुओं ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर उनका समर्थन करने का आह्वान किया!

यहां आश्रम में अभिषेक त्यागी, सचिन इलू जड़ौदा पांडा, गुरदीप गुर्जर मीरगपुर, आकाश पुंडीर बड़ेडी, मनीष त्यागी, सुमित सैनी, राजीव धीमान, वसु राणा शुभरी, निशु चौधरी, मनोज त्यागी वास्तम, प्रदीप कुरड़ी, अनुज भरतपुर, गोलू त्यागी जड़ौदा पांडा सहित अनेक भक्तों ने उनका स्वागत किया।

आश्रम में यह तय किया गया कि धर्म संसद से पहले 9 दिवसीय मां बगलामुखी महायज्ञ का आयोजन किया जाएगा ताकि दैवीय शक्तियों का जागरण और दुष्ट शक्तियों का शमन और दमन हो सके।