प्रमिला वर्मा को महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी का उपन्यास विधा पर पुरस्कार

अर्चना पंड्या

समकालीन लेखिका डॉ प्रमिला वर्मा को उनके उपन्यास” कहानी ब्रिटिश सैन्य अधिकारी के प्रेम और जज्बातों की: रॉबर्ट गिल की पारो (18 24 – 1879) पर महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी का उपन्यास विधा पर पुरस्कृत करने की घोषणा हुई है।
यह उपन्यास अजंता की गुफाओं की खोज को अपने चित्रों के माध्यम से विश्व के समक्ष लाने का श्रेय ब्रिटिश सैन्य अधिकारी रॉबर्ट गिल को जाता है। जब 1845 में रॉबर्ट गिल को रॉयल एशियाटिक सोसाइटी द्वारा अजंता गुफाओं को चित्रों के माध्यम से इस खोज को सभी के समक्ष लाने का एक पत्र प्राप्त होता है ।लेखिका का यह उपन्यास शोधात्मक है।उपन्यास में लंदन से मंगवाए गए रिसर्च पेपर, उस दौरान 1824 के गजटेयिर से प्राप्त जानकारी के आधार पर एवं सच्ची घटनाओं को लेकर लिखा गया है। यह शोध कार्य यहीं तक सीमित नहीं है। बल्कि अज्ञात के अंधकार में खोई गुफाओं को, एक ऐसी खोज को अपने चित्रों के द्वारा रॉबर्ट दुनिया के सामने लाएगा यह बात उसे कहा मालूम थी कि अजंता का नाम लेते ही उसकी प्रेम कहानी, उसका प्रेम के प्रति समर्पण सदैव सामने आएगा। लेकिन अन्य प्रेम कथाओं की तरह प्रेम कथा भी कहीं लुप्त हो गई थी ।एक छोटी सी जानकारी पाकर कथाकार प्रमिला वर्मा की लेखनी ने न केवल इस उपन्यास को शोध परक औपन्यासिक कृति बनाया, बल्कि उसके जीवन के हर पहलू को एक सूत्र में पिरोया है। आज पारो और राबर्ट की दीवानगी भरी प्रेम कहानी को विश्व के सामने लाने का श्रेय प्रमिला वर्मा को ही दिया जाएगा। यह उपन्यास किताब वाले प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित हुआ है।