
दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी अंचल के साथ राजस्थान के इतिहास में मील के नया पत्थर साबित होने वाली हैं यह परमाणु बिजलीघर परियोजना
गोपेन्द्र नाथ भट्ट
भारत के सबसे बड़े भौगोलिक प्रदेश राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की केन्द्र सरकार पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण दिशा तक चहुमुखी विकास के नए- नए तोहफे दे रही है। पश्चिमी राजस्थान में करोड़ों रु की महत्वाकांक्षी पचपदरा में तेल रिफाइनरी और पेट्रो कॉम्पलेक्स परियोजना, पूर्वी राजस्थान में राम सेतु परियोजना (पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी),दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस वे परियोजना,मध्य राजस्थान में शेखावाटी अंचल के लिए यमुना जल लाने की परियोजना, उत्तर पश्चिम भग को विश्व का सबसे बड़ा सोलर हब बनाने और सिंधु नदी का जल लाने की परियोजना आदि के बाद अब दक्षिणी राजस्थान में माही-बांसवाड़ा परमाणु बिजली घर परियोजना राजस्थान के इतिहास में मील के नए पत्थर साबित होने वाली हैं। माही-बांसवाड़ा परमाणु बिजली घर परियोजना के शुरू होने से रतलाम- बांसवाड़ा- डूंगरपुर रेल परियोजना का मार्ग अब बहुत आसान होने वाला है। बांसवाड़ा राजस्थान के एक मात्र जिला है जिसके किसी कौने से रेल नहीं गुजरती लेकिन मोदी सरकार के केन्द्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव नीमच-बांसवाड़ा और वडोदरा मार्ग पर भी एक और रेल परियोजना की स्वीकृति देकर एक साथ तीन राज्यों के आदिवासी अंचलों को रेल सुविधा से जोड़ने का महत्वाकांक्षी प्रयास कर रहे हैं।
दक्षिणी राजस्थान के बांसवाड़ा में प्रस्तावित माही-बांसवाड़ा परमाणु बिजलीघर का शिलान्यास आगामी 20 सितम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किया जाना है। इसे भारत का सबसे बड़ा नाभिकीय बिजली घरों में गिना जाएगा । यह केवल एक बिजली परियोजना नहीं होगी, बल्कि इस आदिवासी अंचल के आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक कायाकल्प की एक मजबूत आधारशिला बनेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का 20 सितंबर को बांसवाड़ा आने का दौरा प्रस्तावित हैं। प्रधानमंत्री मोदी बांसवाड़ा के निकट न्यूक्लियर पावर प्लांट प्रोजेक्ट का शिलान्यास करेंगे। साथ ही मोदी की नापला में एक विशाल जनसभा भी होगी। यह न्यूक्लियर पावर प्लांट प्रोजेक्ट से बांसवाड़ा के साथ निकटवर्ती डूंगरपुर और प्रतापगढ़ जिलों और उदयपुर संभाग और मध्य प्रदेश और गुजरात में एक नई दिशा और दशा की रूपरेखा तैयार होगी। बांसवाड़ा के निकट माही परियोजना के अथाह बैंकवाटर और समुद्र समान जल राशि उपलब्ध होने से इस अंचल को परमाणु बिजली घर के लिए चुना गया है।
माही-बांसवाड़ा परमाणु बिजलीघर परियोजना और रेल परियोजना का सपना इस आदिवासी अंचल में माही परियोजना को लाने वाले भागीरथ पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय हरिदेव जोशी के समय से देखा जा रहा था लेकिन अपरिहार्य कारणों से यह सिरे पर नहीं चढ़ पाया लेकिन प्रधानमंत्री मोदी की केन्द्र सरकार की दृढ़ इच्छा शक्ति से इसे पूरा करने की ओर बढ़ा जा रहा है। कुल 2,800 मेगावाट क्षमता का यह संयंत्र भारत के सबसे बड़े नाभिकीय बिजली घरों में गिना जाएगा। इससे राजस्थान और आसपास के राज्यों में बिजली की कमी दूर होगी। साथ ही उद्योगों, सिंचाई परियोजनाओं और ग्रामीण विद्युतीकरण को गति मिलेगी। इसके अलावा स्थानीय रोजगार और आर्थिक विकास को गति मिलेगी। निर्माण चरण में ही हजारों मजदूरों और तकनीकी विशेषज्ञों को रोजगार मिलेगा। इसके संचालन के दौरान स्थायी नौकरियाँ (इंजीनियर, तकनीशियन, प्रशासनिक स्टाफ, सुरक्षा, सफाई आदि) उपलब्ध होंगी। स्थानीय स्तर पर होटल, भोजनालय, परिवहन, बाजार जैसी सहायक गतिविधियाँ भी तेज़ी से विकसित होंगी।
आदिवासी युवाओं को विशेष रूप से कौशल विकास प्रशिक्षण से जोड़ने की योजना बनेगी। साथ ही सामाजिक और शैक्षिक क्षेत्र में भी कायाकल्प होगा। इस परियोजना से प्राप्त सीएसआर फंड से आसपास के आदिवासी क्षेत्रों में स्कूल, कॉलेज और तकनीकी संस्थान खुलने की संभावना है। साथ ही स्वास्थ्य सुविधाओं (अस्पताल, डिस्पेंसरी मेडिकल स्टोर आदि) और पीने के पानी की व्यवस्था मजबूत होगी। बिजली की निरंतर आपूर्ति से गाँवों में डिजिटल शिक्षा, इंटरनेट और ऑनलाइन अवसरों का विस्तार भी होगा। इसके अलावा इस आदिवासी अंचल के बुनियादी ढाँचा और कनेक्टिविटी को बल मिलेगा। इस परियोजना के लिए नई सड़कें, पुल और रेल संपर्क विकसित किए जाएंगे। बिजली संयंत्र के आसपास टाउनशिप और आधुनिक सुविधाएँ विकसित होंगी और यह पूरा क्षेत्र निवेश और पर्यटकों को (विशेषकर माही बाँध और त्रिपुरा सुंदरी मंदिर आदि) के लिए और अधिक आकर्षक का केंद्र बनेगा।
अब तक यह आदिवासी क्षेत्र अपेक्षाकृत पिछड़ा और विकास से वंचित रहा है। परमाणु बिजली घर से यहां आदिवासी जीवन में जबरदस्त बदलाव होगा। यह महत्वाकांक्षी परियोजना नए अवसर, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं लेकर आयेंगी। साथ ही यह स्थानीय आदिवासी समाज को मुख्यधारा की अर्थव्यवस्था से जोड़ेगा। साथ ही यहां कृषि और लघु उद्योग (हस्तशिल्प, वन उत्पाद , मत्स्य उत्पाद फिशरीज आदि ) को बल मिलेगा तथा ऊर्जा और इस पर आधारित बाजार दोनों उपलब्ध होंगे।
इस परमाणु बिजली घर के आने पर अंचल में होने वाले विकास के साथ कुछ चुनौतियाँ का सामना और सावधानियाँ भी रखनी होगी। विशेष कर परियोजना से जुड़े विस्थापन और पर्यावरणीय प्रभाव को संवेदनशीलता से हल करना होगा।
आदिवासी समाज की संस्कृति और परंपराओं का संरक्षण करना भी जरूरी होगा। यदि इसमें पारदर्शिता और जनभागीदारी सुनिश्चित की गई तो यह परियोजना विकास का एक आदर्श उदाहरण बन सकती है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों बांसवाड़ा के निकट होने वाला परमाणु बिजली घर का शिलान्यास सिर्फ एक बिजली संयंत्र का उद्घाटन ही नहीं होगा, बल्कि दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी अंचल के आर्थिक-सामाजिक और सांस्कृतिक पर्यटन आदि का कायाकल्प होने की शुरुआत भी होगी। इस अंचल में अब तक सर्वत्र अंधेरा और अभाव था, लेकिन परमाणु बिजली घर आने वाले यहां आने वाले वर्षों में रोज़गार, शिक्षा, स्वास्थ्य और आधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण उजाला फैलेगा।