183 करोड़ रुपये के फर्जी बैंक गारंटी घोटाले में इंदौर की कंपनी का प्रबंध निदेशक गिरफ्तार

Managing director of Indore company arrested in Rs 183 crore fake bank guarantee scam

इंद्र वशिष्ठ

सीबीआई ने 183 करोड़ रुपये के फर्जी बैंक गारंटी घोटाले में इंदौर की तीर्थ गोपीकॉन लिमिटेड कंपनी के प्रबंध निदेशक
महेश कुंभानी और गौरव धाकड़ (निजी व्यक्ति) को गिरफ्तार किया है।

सीबीआई ने तीन अलग-अलग मामले दर्ज किए थे। ये मामले इंदौर स्थित तीर्थ गोपीकॉन लिमिटेड कंपनी द्वारा मध्य प्रदेश जल निगम लिमिटेड (एमपीजेएनएल) को जाली बैंक गारंटी जमा करने से जुड़े एक बड़े वित्तीय घोटाले से संबंधित हैं।

974 करोड़ का ठेका लिया-
आरोप है कि कंपनी ने वर्ष 2023 में, मध्य प्रदेश के छतरपुर, सागर और डिंडोरी ज़िलों में कुल 974 करोड़ रुपये मूल्य की तीन सिंचाई परियोजनाएँ हासिल की थी। इन निविदाओं के समर्थन में, कंपनी ने 183.21 करोड़ रुपये मूल्य की आठ फ़र्ज़ी बैंक गारंटियाँ जमा की थी। इन फ़र्ज़ी गारंटियों के बल पर, कंपनी ने मध्य प्रदेश जल निगम लिमिटेड से लगभग 85 करोड़ रुपये एडवांस भी प्राप्त किया।

प्रारंभिक सत्यापन के दौरान, एमपीजेएनएल को पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के आधिकारिक डोमेन का नाम लेकर फर्जी ईमेल प्राप्त हुए, जिनमें बैंक गारंटी की प्रामाणिकता की झूठी पुष्टि की गई थी। इन झूठी पुष्टियों पर भरोसा करते हुए, एमपीजेएनएल ने इंदौर स्थित इस कंपनी को 974 करोड़ रुपये के तीन निविदाएँ दे दी थी।

रिश्वतखोरी में 7 गिरफ्तार-
एक अन्य मामले में सीबीआई ने रिश्वतखोरी के मामले में गिद्दी सी कोलियरी परियोजना, अरगड्डा क्षेत्र, सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) के सुरक्षाअधिकारी/प्रबंधक (खनन) अनिल कुमार, क्लर्क दीपक कुमार और सुरक्षा गार्ड नरेंद्र कुमार, तथा निजी व्यक्तियों मोहम्मद सद्दाम, इसराइल अंसारी (, मोहम्मद तबारक,अरुण लाल सहित 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।

आरोप है कि सीसीएल के आरोपी लोक सेवकों ने रिश्वत लेकर कोयले की रोड सेल के दौरान कोयला लिफ्टर को अवैध रूप से कोयला लिफ्ट (उठाने) की अनुमति दी थी।

व्यापम घोटाले का आरोपी गिरफ्तार-
एक अन्य मामले में सीबीआई ने व्यापम घोटाला मामले में फरार आरोपी शैलेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया है। आरोपी शैलेंद्र कुमार अभ्यर्थी की ओर से परीक्षा में शामिल हुआ था और उसे पहले मध्य प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार किया था। जून 2017 में जब सीबीआई द्वारा आरोप पत्र दाखिल किया गया था तब आरोपी पेश नहीं हुआ था और वह तब से फरार था।उसे जुलाई 2018 में औपचारिक रूप से भगोड़ा घोषित कर दिया गया था। सीबीआई ने तकनीकी जानकारी का इस्तेमाल करके महत्वपूर्ण सुराग जुटाए, जिससे उसकी पहचान सुनिश्चित हुई और हरिद्वार, उत्तराखंड में उसका पता चला।

सीबीआई ने उसे ढूंढ निकाला और गिरफ्तार कर लिया।