- इस्सयोग भवन में संपन्न हुआ दशम मूर्ति-प्राण-प्रतिष्ठा समारोह
- शिव शक्ति मिलन दिवस पर हज़ारों की संख्या में इस्सयोगी साधक-साधिकाओं ने लिया भाग, हुआ भव्य महाभिषेक
अनिल सुलभ/विनोद तकिया वाला
पटना : गोला रोड स्थित इस्सयोग भवन के ऊपरी तल पर प्रतिस्थापित,सूक्ष्म साधना पद्धति इस्सयोग के प्रवर्त्तक और अन्तर्राष्ट्रीय इस्सयोग समाज के संस्थापक,महात्मा सुशील कुमार एवं माँ विजया जी की मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा का १०वाँ स्थापना-दिवस समारोह शनिवार को, संस्था की अध्यक्ष सदगुरुमाता माँ विजया जी की दिव्य उपस्थिति में,पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया।उत्सव का आरंभ प्रातः १० बजे, ११ बार ओमकार के सामूहिक उच्चारण के साथ हुआ। श्रीमाँ के निदेशानुसार संस्था के संयुक्त सचिव डा अनिल सुलभ ने मंगल-दीप प्रज्ज्वलित किया। इसके पूर्व संस्था के संयुक्त सचिव ई उमेश कुमार,शिवम् झा, कपिलेश्वर मंडल, माया साहू,मंजू देवी एवं काव्या सिंह ने मूर्तियों का क्रमशः दूध, दधी, मधु, चंदन और गंगा-जल से महाभिषेक किया।इंग्लैंड के इस्सयोगी डा जेठानंद सोलंकी,प्रभात झा, लक्ष्मी प्रसाद साहू,गायत्री राय, ममता जमुआर और सुनैना देवी ने मूर्तियों का वस्त्राभूषण एवं ऋंगार से अलंकरण किया। माल्यार्पण दीनानाथ शास्त्री और श्रीप्रकाश सिंह ने तथा नैवेद्य-अर्पण वरिष्ठ साधिका सरोज गुटगुटिया और मीरा देवी ने किया।
नैवेद्य-अर्पण के पश्चात सदगुरु के आह्वान हेतु, बीस मिनट की सामूहिक आह्वान-साधना की गयी और उसके पश्चात माताजी का पाद-प्रच्छालन कर सदगुरु-गुरुमाँ के आरती गान से आरती उतारी गयी।मध्याह्न १२ बजे से अखंड कीर्तन-भजन आरंभ हुआ,जिसका समापन इस्सयोगी गायक वीरेंद्र राय द्वारा गायत्री और महामृत्युंजय मंत्रों का सांगितिक-गायन से हुआ।
इस अवसर पर अपने आशीर्वचन में सदगुरुमाता माँ विजया जी ने कहा कि प्रत्येक मनुष्य इस संसार में मुट्ठी बाँधे आता है और खोले हाथ जाता है। जब वह आता है तो उसके हाथों में साँसों की आयु होती है, जो धीरे-धीरे हाथों से निकलता रहता है।उसकी मुट्ठी में इच्छा-शक्ति, क्रिया शक्ति और ज्ञान शक्ति भी सूक्ष्म रूप में होती है,किंतु इसका विकास उसके कर्म और प्रारब्ध के अनुसार होता है। इसलिए प्रत्येक साधक को पूरी श्राद्धा और समर्पण के साथ नियमित साधना करनी चाहिए। इस्सयोग की सूक्ष्म साधना से सभी कर्म-भोग कटते हैं और आध्यात्मिक शक्तियाँ प्राप्त होती हैं।माताजी के आशीर्वचन के पश्चात भगवान सदाशिव की आरती और महाप्रसाद के साथ यह दिव्योत्सव संपन्न हुआ।
इस अवसर बड़ी संख्या देश के कोने कोने इस्योगियों एकत्रित हुए ।