पेरिस ओलंपिक के 8वें दिन मनु भाकर भले ही मेडल की हैट्रिक लगाने से चूक गई और महिलाओं के 25 मीटर पिस्टल इवेंट में चौथे नंबर पर रही लेकिन उन्होंने पूरे ओलंपिक में अपने जिस तरह के खेल का प्रदर्शन किया और दो पदक भारत के नाम किए, उसके लिए पूरे भारत को उन पर गर्व है।
योगेश कुमार गोयल
पेरिस ओलंपिक के आठवें दिन भारत का प्रत्येक व्यक्ति ओलंपिक में पहला स्वर्ण पदक जीतने की पक्की उम्मीदें लगाए बैठा था और ये उम्मीदें टिकी थी भारत की ‘मिरेकल गर्ल’ मनु भाकर पर। पूरी उम्मीद थी कि ‘मिरेकल गर्ल’ मनु भाकर ओलंपिक में अपनी ऐतिहासिक हैट्रिक पूरी करते हुए इस स्पर्धा में भी भारत को स्वर्ण पदक दिलाने में कामयाब हो सकती हैं लेकिन इस बार वह पदक जीतने से थोड़ा सा चूक गई और महिलाओं की 25 मीटर पिस्टल स्पर्धा के फाइनल में 40 में से 28 शॉट्स लगाने के साथ चौथे स्थान पर रही और इसी के साथ पेरिस ओलंपिक में मेडल की हैट्रिक लगाने का उनका सपना भी अधूरा रह गया। दरअसल तीसरे और चौथे स्थान के शूटर के बराबर प्वाइंट थे। इसके बाद मनु और हंगरी की मेजर वेरोनिका के बीच शूटऑफ हुआ, जिसमें मनु केवल तीन निशाने ही लगा पाई जबकि हंगरी की शूटर ने चार बार टारगेट को हिट किया और उसी के साथ मनु पदक की रेस से बाहर हो गई। पेरिस ओलंपिक के आठवें दिन मनु का लक्ष्य ओलंपिक में एक नया इतिहास रचना था लेकिन वह पदक हासिल करने से मामूली सी पीछे रह गई। वूमेन्स 25 मीटर पिस्टल के फाइनल में हार के बाद मनु का कहना था कि उनके ऊपर इस इवेंट को लेकर काफी दबाव था। हालांकि 25 मीटर पिस्टल स्पर्धा में मिली इस हार के बावजूद भारत की इस इकलौती निशानेबाज ने वो खुशियां और गर्व के पल देश को दिए हैं, जिसकी ओलंपिक शुरू होने के समय तक शायद किसी ने कल्पना भी नहीं की थी।
मनु ने भारत के लिए पेरिस ओलंपिक में तीन अलग-अलग शूटिंग स्पर्धाओं में हिस्सा लिया और तीनों में ही उन्होंने अपने बेहतरीन प्रदर्शन से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को गौरवान्वित किया। 3 अगस्त को जब मनु वूमेन्स 25 मीटर पिस्टल के फाइनल में खेलने उतरी तो हर नजर उन्हीं के प्रदर्शन पर केंद्रित थी। भले ही वह यह मुकाबला हार गई लेकिन कुल तीन शूटिंग स्पर्धाओं में से उन्होंने अपने जोश और जज्बे के साथ दो में कांस्य पदक जीतकर भारत में शूटिंग के सुनहरे दौर को वापस लाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। मनु की ही बदौलत भारत ने पहली बार शूटिंग में किसी एक ओलंपिक सीजन में तीन मेडल हासिल किए हैं। विभिन्न घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय शूटिंग स्पर्धाओं में अनेक पदक जीतने के बाद एक ही ओलंपिक में दो पदक जीतकर मनु ने ऐसा अविस्मरणीय इतिहास रचा, जो उनके अलावा ओलंपिक के 124 वर्षों के इतिहास में अब तक भारत का कोई भी अन्य दएथलीट नहीं कर पाया। पेरिस ओलंपिक में मनु ने जिस तरह का जबरदस्त प्रदर्शन किया और अपने मैचों के दौरान जिस प्रकार का ‘धाकड़’ खेल दिखाया, उसी के कारण उन्हें अब मनु भाकर के साथ-साथ ‘मनु धाकड़’ भी कहा जाने लगा है।
मनु से पहले कोई भी पुरुष या महिला एथलीट एक ही ओलंपिक में दो मेडल जीतने में सफल नहीं हुआ है। देश की आजादी से बहुत पहले ब्रिटिश मूल के भारतीय खिलाड़ी नॉर्मन प्रिचार्ड ने 1900 में आयोजित हुए ओलंपिक में 200 मीटर फर्राटा और 200 मीटर बाधा दौड़ में कुल दो रजत पदक जीतकर एक ही ओलंपिक में दो मेडल जीतने का रिकॉर्ड बनाया था और उम्मीद थी कि मनु 124 साल पुराने उस रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ सकती हैं लेकिन ‘मिरेकल गर्ल’ मनु भाकर की ओलंपिक में ऐतिहासिक हैट्रिक पूरी नहीं हो पाई। हालांकि पहला कांस्य पदक जीतने के साथ ही वह ओलंपिक के इतिहास में भारत के लिए निशानेबाजी में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला शूटर बन गई थी और उस पदक के साथ ही मनु ने शूटिंग में भारत के पदक के 12 वर्ष के सूखे को भी खत्म किया था। मनु से पहले 2012 के लंदन ओलंपिक में गगन नारंग और विजय कुमार ने शूटिंग में एक-एक पदक जीते थे। ओलंपिक के 124 वर्ष के इतिहास में मनु से पहले भारत को शूटिंग में केवल 4 पदक ही नसीब हुए थे जबकि भारत केवल इसी ओलंपिक में मनु के दो पदकों सहित कुल 3 पदक जीत चुका है। शूटिंग में 2004 के एथेंस ओलंपिक में राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने रजत पदक जीता था, उसके बाद 2008 के बीजिंग ओलंपिक में अभिनव बिंद्रा ने स्वर्ण पदक भारत के नाम किया और 2012 के लंदन ओलंपिक में विजय कुमार ने रजत और गगन नारंग ने कांस्य पदक जीता था।
ओलंपिक में मनु ने अपना पहला पदक 28 जुलाई 2024 को 10 मीटर एयर पिस्टल शूटिंग के महिला वर्ग में जीता था। उस शूटिंग स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर पेरिस ओलंपिक में पदक हासिल करने वाली वह पहली भारतीय खिलाड़ी बनी थी। उसके बाद 30 जुलाई को मनु ने सरबजोत सिंह के साथ मिलकर 10 मीटर एयर पिस्टल के मिक्स्ड टीम इवेंट में कांस्य पदक जीता और उस जीत के साथ ही वह एक ही ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बन गई थी। एक ही ओलंपिक में दो पदक जीतकर वह सुशील कुमार और पीवी सिंधु को भी पीछे छोड़ चुकी हैं। दरअसल ओलंपिक इतिहास में मनु से पहले यही दो ऐसे भारतीय खिलाड़ी थे, जिन्होंने एकल स्पर्धा में दो पदक जीते थे लेकिन उन्होंने अपने पदक एक ही ओलंपिक में नहीं बल्कि अलग-अलग ओलंपिक में जीते थे। सुशील कुमार ने 2008 और 2012 के ओलंपिक में कुश्ती में जबकि स्टार शटलर पीवी सिंधु ने 2016 और 2020 में एक-एक पदक जीते थे। बहरहाल, देश के लिए एक ही ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली मनु भाकर पर पूरे देश को गर्व है। ओलंपिक में अपने धाकड़ प्रदर्शन से मनु ने 140 करोड़ भारतवासियों का दिल जीत लिया।