भारत में ऑनलाइन खुदरा उद्योग का बाजार आकार 6046 अरब रुपए होने का अनुमान

उमेश जोशी

भारत में इस साल ऑनलाइन खुदरा उद्योग का बाजार आकार 73 अरब अमेरिकी डॉलर यानी 6045 अरब रुपए होने का अनुमान है। 2020 में यह करीब 60 अरब अमेरिकी डॉलर यानी 4969 अरब रुपए था। भारत में ऑनलाइन खुदरा उद्योग का आकार बढ़ने की मुख्य वजह यह है कि ऑनलाइन खरीदारी का चलन तेजी से बढ़ा है और ई-कॉमर्स यानी ऑनलाइन शॉपिंग में 100 प्रतिशत तक विदेशी निवेश की अनुमति है। साथ ही, भारत में तेज गति से डिजिटलीकरण हो रहा है। भारत में करीब 66 करोड़ लोगों के पास इंटरनेट की सुविधा है। एक सर्वे के मुताबिक 2027 तक ई-कॉमर्स उद्योग के बाजार का आकार 200 अरब अमेरिकी डॉलर यानी 16563 अरब रुपए और 2030 तक 350 अमेरिकी डॉलर यानी 28985 अरब रुपए होने का अनुमान है।

सर्वे में बताया गया है कि देश में डिजिटल खरीदारों की संख्या 2014 से तेजी से बढ़ रही है। सस्ती मोबाइल इंटरनेट सेवा, मुख्य रूप से रिलायंस के जियो ने ऑनलाइन बाजार का आकार बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है।

कोरोनावायरस (COVID-19) महामारी के कारण ऑनलाइन खरीदारी करने वाले उपभोक्ताओं की हिस्सेदारी बढ़ी है। अधिकांश उपभोक्ताओं ने सामाजिक दूरी बनाए रखने, सुपरमार्केट और भीड़भाड़ वाले बाजार की दुकानों में कतारों से बचने और घर से बाहर कम समय बिताने की नीति के कारण ऑनलाइन रिटेल का विकल्प चुना। उन्होंने इस दौरान अप्रत्याशित रूप से
आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी करना पसंद किया जिसमें भोजन, व्यक्तिगत स्वच्छता का सामान और घरेलू सफाई के उत्पाद शामिल थे।

भारत में इंटरनेट और ऑनलाइन बुनियादी ढांचे में भारी वृद्धि के साथ ई-कॉमर्स बाजार भी उतनी ही तेजी से बढ़ा। खुदरा बाजारों में संगठित क्षेत्र की बढ़ती हिस्सेदारी के साथ-साथ इंटरनेट सेवाएँ भी सस्ती हुईं इसलिए अधिक लोगों तक इन सेवाओं का विस्तार हुआ। इंटरनेट सेवाओं का विस्तार होने से लोगों का ई-कॉमर्स के लिए रूझान बढ़ा। महामारी ने पिछले वर्षों में ई-कॉमर्स क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए अनिवार्य रूप से एक प्रोत्साहन के रूप में कार्य किया।

देश में डिजिटलीकरण ने बड़ी छलांग लगाई है। उसकी वजह है कि सरकार ने डिजिटल इंडिया योजना शुरू की है जिससे पूरे देश में इलेक्ट्रॉनिक और ऑनलाइन का बुनियादी ढांचा मजबूत हुआ है।

ऑनलाइन खरीदारों को ई-वॉलेट से भुगतान करने के कई विकल्प मिलते हैं। साथ ही, आकर्षक ऑफर भी मिल जाते हैं। इन्हीं कारणों से टीयर-2 और टीयर-3 शहरों में उपभोक्ता ऑनलाइन खरीदारी करने के अधिक इच्छुक होते हैं। इसके अलावा 35 से 44 वर्ष के आयु वर्ग के 84 प्रतिशत युवकों का रूझान ऑनलाइन खरीदारी की ओर होता है।

स्मार्टफ़ोन के उपयोग ने निस्संदेह मोबाइल खरीदारी को उस बिंदु तक ले जाने में योगदान दिया जहां यह अनुमान लगाया गया था कि हर तीसरा भारतीय स्मार्टफोन का उपयोग करके ऑनलाइन खरीदारी करता है। अमेज़ॅन और फ्लिपकार्ट इस वर्ग में सबसे बड़ी कंपनियाँ थीं, जो हर त्योहारी सीजन में एक दूसरे को कड़ी टक्कर देती थीं। 2025 तक ट्रिलियन-डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाने का सरकार का लक्ष्य आखिरकार एक वास्तविकता बन सकता है।

ग्रोसरी के क्षेत्र में ऑनलाइन कंपनियों की 10 मिनट से 30 मिनट के बीच डिलीवरी देने की योजना से ऑनलाइन शॉपिंग अधिक लोकप्रिय हुई है। ग्राहक जितने समय में बाजार भी नहीं पहुंच पाएगा उतने समय में घर पर सामान आ जाएगा। अब ग्राहक बाजार में नाहक परेशान होने और बाजार आने जाने पर खर्च करने के बजाय ऑनलाइन सामान मंगवाने लगा है।

सामान बदलने या पसंद ना आने पर वापस लेने की कंपनियों की नीति के कारण भी ऑनलाइन शॉपिंग यानी ई-कॉमर्स को पसंद किया जा रहा है। पारंपारिक बाजारों में यह सुविधा नहीं है। दुकानदार सामान बेचने के बाद जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं। ऑनलाइन सामान बेचने वाली कंपनियाँ बिना अतिरिक्त पैसा लिए सामान घर से वापस मंगवा लेती हैं। ग्राहकों के लिए यह बहुत बड़ी सुविधा है। इन्हीं कारणों से ई-कॉमर्स उद्योग का बाजार तेजी से फलफूल रहा है।