आजाद भारत में आधुनिक शिक्षा के शिल्पी मौलाना अबुल कलाम आजाद

उनकी पुण्य तिथि पर उनको खिराजे अकीदत

हबीब अख्तर

आजाद भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद का शिक्षा के क्षेत्र में ऐसा योगदान रहा है जिसपर आज भी भारत का शिक्षित ढांचा खड़ा हैं । वर्ष 2020 की नई शिक्षा नीति भी उनकी धारणाओं की ही परिक्रमा कर रही है। उन्होंने अपने कार्यकाल में शिक्षा के साथ भारतीय संस्कृति को प्राथमिकता दी थी। उन्होंने संगीत नाटक अकादमी, साहित्य अकादमी व ललित कला अकादमी की स्थापना की तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में आईआईटी की स्थापना कर देश को एक बेहतर दिशा देने का काम आजाद ने किया था। वह एक पत्रकार भी थे और अपनी लेखनी के माध्यम से समाज को जागरूक करते रहते थे। राष्ट्र के नवनिर्माण में उनके द्वारा किए गए कार्यों को याद रखना लाजमी है।

मौलाना आजाद नजर में जितना महत्व उच्च शिक्षा का था उतना ही प्राथमिक शिक्षा का भी था। राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 के बाद उनकी प्रासंगिकता और बढ़ जाती है, जो उनकी सोच के बेहद करीब है। उन्होंने दूरदर्शिता का परिचय देते हुए अपने पहले कार्यकाल में आइआइटी, आइआइ-एससी, स्कूल आफ प्लानिग एंड आर्किटेक्चर तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की स्थापना की। इसीलिए मौलाना अबुल कलाम आजाद सरीखे लोग कभी मरते नहीं, बल्कि अपने विचारों से वे जिदा रहते हैं। मौलाना कलाम साहब ने देश में शिक्षा शिक्षा का ढांचा बदला, पूरा करने का प्रयास भी किया।

इस बात में किसी को किसिब्तर की शंका नहीं होनी।चाहिए कि मौलाना अबुल कलाम आजाद सच्चे राष्ट्रभक्त, एक कुशल वक्ता तथा महान् विद्वान् थे । पुराने एवं नये विचारों में अद्‌भुत सामंजस्य रखने वाले हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रबल समर्थक थे । देश सेवा और इस्लाम सेवा दोनों को एक्-दूसरे का पूरक मानते थे । हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही संस्कृतियों के अनूठे सम्मिश्रण की वे एक मिसाल थे ।

स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम ने भी जामिया मिलिया इस्लामिया और आई आई टी IIT खड़गपुर जैसे शिक्षण संस्थानों की स्थापना में योगदान दिया। उन्होंने महिलाओं के लिए शिक्षा और 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा की पुरजोर वकालत की।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में सेवा करने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति रहे दो बार अध्यक्ष बने। आजादी की लड़ाई में लंबी अवधि।के लिए अंग्रजों ने उन्हें जेल भेजा लेकिन वह आजादी की लड़ाई में पर्वतशिला की तरह हमेशा खड़े रहे।

मौलाना अबुल कलाम आज़ाद गांधीजी द्वारा शुरू किए गए असहयोग आंदोलन में साथ रहे। 1920 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में प्रवेश किया. उन्हें दिल्ली में कांग्रेस के विशेष सत्र (1923) के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था. 35 वर्ष की आयु में, वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में सेवा करने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति बन गए. मौलाना आजाद को गांधीजी के नमक सत्याग्रह के हिस्से के रूप में नमक कानूनों के उल्लंघन के लिए 1930 में गिरफ्तार किया गया था. उन्हें डेढ़ साल तक मेरठ जेल में रखा गया था. अपनी रिहाई के बाद, वे 1940 (रामगढ़) में फिर से कांग्रेस के अध्यक्ष बने और 1946 तक इस पद पर बने रहे।

मौलाना अबुल कलाम आज़ाद जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के संस्थापक सदस्यों में से एक थे, जो मूल रूप से 1920 में भारत के संयुक्त प्रांत में अलीगढ़ में स्थापित किया गया था। देश की आधुनिक शिक्षा प्रणाली को आकार देने के लिए जिम्मेदार हैं. शिक्षा मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल में पहले IIT, IISc, स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की स्थापना की गई थी. संगीत नाटक अकादमी, ललित कला अकादमी, साहित्य अकादमी के साथ-साथ भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद सहित सबसे प्रमुख सांस्कृतिक, साहित्यिक अकादमियों का भी निर्माण किया गया. आजाद भारत आज पुण्य तिथि 22 फरवरी को उन्हें याद करता है। उनके विशिष्ठ योगदान को सलाम करता है।