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रविवार दिल्ली नेटवर्क
लखनऊ : गुरु की कृपा जहां बरसती है, वहां सीमाएं लुप्त हो जाती हैं, और श्रद्धा का प्रवाह हर हृदय को आनंदित कर देता है। इसी दिव्य अनुभूति के साथ सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह के प्रयासों से 41 सिख श्रद्धालुओं का पहला जत्था 24 फरवरी को ‘अमृतसर – करतारपुर साहिब’ की पावन यात्रा पर भेजा था। बुधवार को तीन दिवसीय यात्रा पूरी कर, श्रद्धा के आलोक से आलोकित होकर सभी श्रद्धालु लखनऊ सकुशल वापस लौट आये हैं।
यह यात्रा केवल एक भौगोलिक यात्रा नहीं थी, बल्कि भावनाओं, आस्था और गुरुओं के प्रति अनन्य समर्पण की एक आध्यात्मिक यात्रा थी। विधायक डॉ. सिंह ने सभी श्रद्धालुओं के लिए लखनऊ से अमृतसर वायुमार्ग से आने जाने के साथ अमृतसर में ठहरने के लिए होटल और करतापुर साहिब सुलभ दर्शन की सारी व्यवस्थाएं अपनी देख – रेख में पूरी की थी। सरोजनीनगर के श्रद्धालुओं ने 24 फरवरी को श्री हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) में मत्था टेककर गुरुग्रंथ साहिब जी की दिव्य कृपा का अनुभव किया। स्वर्ण मंदिर के शांत सरोवर में गुरुबाणी की मधुर ध्वनि आत्मा को परमसत्ता से जोड़ने वाली एक दिव्य सेतु बनी। उसी दिन शाम को सभी तीर्थ यात्री अटारी बॉर्डर पहुंचे, जहां सीमाएं देशों को विभाजित करती हैं। अटारी-वाघा बॉर्डर पर बीटिंग रिट्रीट के दौरान सेना के जवानों के शौर्य को देख मंत्रमुग्ध हो गये। मंगलवार को सभी श्रद्धालु अन्तराष्ट्रीय सीमा पारकर करतारपुर साहिब पहुंचे। करतारपुर साहिब, वह पावन धरा, जहां श्री गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष बिताए, वहाँ श्रद्धालुओं ने अखंड अरदास की, गुरुबाणी सुनी और गुरुघर की असीम कृपा को आत्मसात किया।
यात्रियों की श्रद्धा, विधायक राजेश्वर सिंह की उत्तम व्यवस्थाएं :
इस ऐतिहासिक यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं ने विधायक राजेश्वर सिंह द्वारा की गई व्यवस्थाओं की मुक्त कंठ प्रशंसा की।श्रद्धालु दलजोत सिंह ने बताया कि “इस यात्रा में बच्चे भी शामिल थे, लेकिन विधायक राजेश्वर सिंह जी ने इतनी अच्छी व्यवस्था की कि किसी को कोई कठिनाई नहीं हुई।” वहीं, दूसरे दर्शनार्थी सरबजीत सिंह ने कहा, “अमृतसर और करतारपुर साहिब की यात्रा हर सिख का सपना होती है। लेकिन विधायक राजेश्वर सिंह जी ने ऐसी व्यवस्था की कि हमें कभी यह महसूस नहीं हुआ कि हम लखनऊ से बाहर आए हैं।” अपनी माता जगजीत कौर के साथ यात्रा पर गए सरदार शालू सिंह ने कहा, “हमें पाकिस्तान तक की यात्रा इतनी सुगम और व्यवस्थित रूप से कराई गई कि हम विधायक जी के आभारी हैं।”
श्रद्धा का दीप सदा प्रज्वलित रहे:
यह यात्रा केवल सीमाओं के आर-पार नहीं, बल्कि दिलों के आर-पार भी थी। यह केवल एक स्थल तक सीमित नहीं थी, बल्कि आत्मा तक पहुँची श्रद्धा थी। इस यात्रा के सम्बन्ध में डॉ. राजेश्वर सिंह का कहना है, जिस प्रकार रामरथ श्रवण अयोध्या यात्रा जन-जन की आस्था का प्रतीक बनी, उसी प्रकार सरोजनीनगर पर भी गुरु की अपार कृपा बनी रहेगी।श्रद्धा का दीप हर हृदय में प्रज्वलित रहे, गुरुओं की वाणी हर आत्मा में गूंजती रहे, और यह यात्रा भी अनवरत जारी रहेगी।