वंदे भारत एक्स्प्रेस पर हमले के मायने

अमित कुमार अम्बष्ट ‘आमिली’

दुनिया की चौथी सबसे बड़ी रेलवे सेवा भारतीय रेल , भारत के परिवहन क्षेत्र का मुख्य घटक है , यह न केवल देश की मूल संरचनात्‍मक आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है अपितु बिखरे हुए क्षेत्रों को एक साथ जोड़ने में और देश राष्‍ट्रीय अखंडता का भी संवर्धन करता है , अगर आम-जन जीवन पर इसके प्रभाव या इससे होने वाले लाभ की बात करें तो इतना बताना काफी है कि भारतीय रेलवे की कुल लंबाई 68,103 किलोमीटर है और यह रोजाना 231 लाख यात्रियों और 33 लाख टन माल ढोने का काम करती है, इतना ही नहीं तकरीबन 12.27 लाख कर्मचारियों के साथ, भारतीय रेलवे दुनिया की आठवीं सबसे बड़ी व्यावसायिक इकाई है। ऐसे में हम भारतीयों के जीवन में भारतीय रेल का क्या महत्व है आसानी से समझा जा सकता है । ऐसे में इस बात की लगातार आवश्यकता महसूस की जाती रही है कि अगर लम्बी दूरी की ट्रेन तुलनात्मक रूप से कम समय में अपने गंतव्य को पहुंचे तो आम यात्रियों के साथ व्यवसाय पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ेगा, 2014 में पहली बार केन्द्र में जब नरेन्द्र मोदी सरकार पूर्ण बहुमत से बनी तब से ही मेक इन इंडिया और हाईस्पीड बुलेट ट्रेन चर्चा में है , लगातार उसपर काम भी चल रहा है , लेकिन सेमी हाई स्पीड वंदे भारत एक्सप्रेस , जिसे पहले ट्रेन 18 के नाम से जाना जाता था , भारतीय रेलवे द्वारा संचालित एक सेमी-हाई-स्पीड , इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट ट्रेन है , इसे इंटीग्रल कोच फैक्ट्री , चेन्नई द्वारा डिजाइन और निर्मित किया गया था । पहली ट्रेन का निर्माण 18 महीने में 97 करोड़ रुपये की लागत से किया गया था , 27 जनवरी 2019 को इस सेवा का नाम ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ रखा गया।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 फरवरी 2019 को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर दिल्ली और वाराणसी के बीच पहली वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई , चार साल की योजना, निर्माण एव॔ परीक्षण का प्रतिफल रहा की वंदे भारत ट्रेन का उद्घाटन 15 फरवरी 2019 को किया गया जबकि दूसरी वंदे भारत ट्रेन को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने हरी झंडी दिखाकर 30 सितंबर 2022 को गांधीनगर राजधानी रेलवे स्टेशन पर गांधीनगर और मुंबई के बीच रवाना किया , यह दूसरी पीढ़ी की पहली वंदे भारत एक्सप्रेस की शुरुआत थी । अगर वंदे भारत एक्सप्रेस की गति और सुविधाओं की बात करें गतो अपने परीक्षणों के दौरान वंदे भारत एक्सप्रेस ने 180 किमी/घंटा (110 मील प्रति घंटे) की गति प्राप्त की, भारत में किसी भी ट्रेन की उच्चतम गति तक पहुँच गई थी , हालांकि, वंदे भारत एक्सप्रेस द्वारा उपयोग किए जाने वाले मार्गों की गति सीमा के कारण, वास्तविक शीर्ष परिचालन गति 130 किमी/घंटा (81 मील प्रति घंटे) तक सीमित रखा गया है जबकि यह ट्रेन 200 किमी/घंटा (120 मील प्रति घंटे) तक की गति में सक्षम है , सभी महत्वपूर्ण सुविधा के अतिरिक्त इस ट्रेन में हवाई जहाज शैली वाली घूमने योग्य सीटें ,ऑन-बोर्ड वाईफाईइंफोटेनमेंट सिस्टम , बिजली के आउटलेट पढ़ने वाली बत्ती , स्वचालित दरवाजे ,धूम्रपानअलार्म , सीसीटीवी कैमरे , गंध नियंत्रण प्रणालीबायो-वैक्यूम शौचालय , सेंसर आधारित पानी के नल , सरकने वाले लपेटने – योग्य पर्दे जैसी सुविधा कम से कम भारत में ट्रेन का मानक बनाती है , ऐसे में सवाल उठता है ऐसी ट्रेन पर हमले के मायने क्या हैं ? आखिर किसे और क्यों यह ट्रेन आँखों में खटक रही है ? क्या यह राजनीतिक विरोध के कारण किया जा रहा है ? इन सवालों का विश्लेषण करना इसलिए जरूरी है कि अगर ऐसे लोग अपने ही देश के नागरिक हैं तो न सिर्फ देश के विकास में बाधक हैं अपितु ऐसी गतिविधि देशद्रोही की मानसिकता कि परिचायक है । गौरतलब है कि वंदे भारत ने रविवार 1 जनवरी से अपनी यात्रा शुरू की थी एक दिन बाद सोमवार को न्यू जलपाईगुड़ी से हावड़ा आने के दौरान मालदा स्टेशन के पास किसी ने ट्रेन पर पत्थरबाजी कर दी, जिसके कारण कोच सी-13 का दरवाजा क्षतिग्रस्त हो गया. घटना के बाद ट्रेन में अफरातफरी मच गई.

जानकारी के मुताबिक सोमवार को शाम 5:50 बजे टी.एन.22302 वंदे भारत एक्सप्रेस की ऑन ड्यूटी टी.ई पार्टी से सूचना मिली कि कोच नंबर-1 में पथराव हुआ है, यह घटना दुखद इसलिए भी है कि ठीक इसके दो दिन पहले देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी माँ हीरा बा को खोने बावजूद इस ट्रेन के उद्घाटन समारोह से वर्चुअल रूप से जुड़े जबकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हरी झंडी दिखाकर इसको रवाना किया , ट्रेन के उद्घाटन के दौरान जय श्री राम के नारे लगे जिससे ममता बनर्जी थोड़ी नाराज दिखी , शायद इसलिए पश्चिम बंगाल के विपक्ष के नेता सुभेंदु अधिकारी ने यह प्रश्न उठाया है कि क्या यह हमला जय श्री राम का जबाब है । ऐसे में कहीं न कहीं ऐसा महसूस होता है अपने ही देश में कुछ लोगों के लिए राजनीति और पार्टी हित देशहित से बड़ा हो गया है जो न सिर्फ़ चिंता का सबब है अपितु ऐसी सोच देश द्रोह की श्रेणी में आती है , हालांकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह कहते हुए इस घटना क्रम से पल्ला झाड़ने की कोशिश की है कि यह घटना पश्चिम बंगाल में नहीं अपितु बिहार में घटित हुई है क्योंकि बिहार के लोग भाजपा को पसंद नहीं करते हैं, इतना ही नहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस बयान के बाद इस मामले में कोलकाता पुलिस ने गलत खबर वायरल करने के आरोप में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की राज्य इकाई के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार और शहर के 10 पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया है , लेकिन सवाल यह नहीं है कि यह घटना पश्चिम बंगाल में घटित हुई है या बिहार में घटित हुई है , सवाल यह है कि ऐसी घटना अपने ही देश के अंदर कैसे घटित हो सकती है ? और अगर होती है तो ऐसे अपराधी परिवृर्ति वाले अपराधियों से सरकार को कैसे निपटना चाहिए ? क्योंकि यह वंदे भारत एक्सप्रेस पर यह पहला हमला नहीं है इसके पहले भी 2019 इटावा और फतेहपुर के खागा में भी पत्थरबाजों के निशाने पर ये ट्रेन आई थी ,15 मार्च को वाराणसी से दिल्ली जा रही वंदेभारत एक्सप्रेस पर इटावा के पास कुछ लोगों ने पत्थर फेंके जिससे दो कोच के शीशे टूट गए. पथराव से यात्री भी डर गए थे , एक बात और गौरतलब है कि हाल ही में वंदे भारत एक्सप्रेस का इंजन जानवर से टकराकर क्षतिग्रस्त हो गया था तब भी वास्तविक वस्तु स्थिति और ट्रेन की तेज गति हेतु उपयुक्त बनावट को समझे बिना न सिर्फ सोशल मीडिया पर मेम्स की बाढ आ गयी थी अपितु कई विपक्षी नेताओं ने इसकी आलोचना से गुरेज नहीं किया था , ऐसे में कहीं न कहीं ऐसा प्रतीत होता है कि विरोध की रौ में बढता विपक्ष देशहित को दरकिनार करने की भूल कर रहा है , ट्रेन पर हमला ज्यादातर नाबालिकों द्वारा किया जा रहा है , पश्चिम बंगाल में भी घटित घटना में भी पुलिस ने इस घटना का CCTV फुटेज खंगाला और उसके आधार पर पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है , हैरानी की बात है कि सभी आरापी नाबालिग हैं , ऐसे में यह सवाल उठता है कि ग्रामीण नाबालिग बच्चों को लगातार ऐसी घटना को अंजाम देने हेतु कौन उकसा रहा है , लगातार हो रहे एक ही तरह से हमले से इतनी बात तो समझ आ रही है कि कहीं न कहीं से इन नाबालिगों को हमले हेतु न सिर्फ उकसाया जा रहा है अपितु इसमें कोई मददगार भी निश्चित रूप से इससे इंकार नहीं किया जा सकता , हालांकि यह पुलिस की जाँच में ही सामने आ पाएगा कि इन हमलों के पीछे अपराधियों का मकसद क्या है लेकिन ऐसे हमले कहीं न कहीं विपक्षी दलों के विरोध के तरीकों पर प्रश्न चिन्ह उठाते हैं और ऐसी नकारात्मक सोच कहीं न कहीं राष्ट्र के विकास में बाधक है इसमें कोई संदेह नहीं है ।