
राजस्थान विधानसभाध्यक्ष वासुदेव देवनानी की प्राथमिकता है विधानसभा के सुचारू संचालन के साथ सदन की शालीनता बनी रहें और बहस का निकलें सार्थक परिणाम
गोपेन्द्र नाथ भट्ट
एक सितम्बर से राजस्थान की सौहलवीं विधान सभा के चौथे सत्र का शुभारम्भ हो रहा है। इस बीच एक निजी टीवी (पंजाब केसरी डिजिटल संपादक विशाल सूर्यकान्त) के साथ हुए अपने पहले पॉडकास्ट में राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने देश प्रदेश के विभिन्न मुद्दों पर तफ़सील से बात करते हुए कहा है कि राजस्थान विधानसभा के सुचारू संचालन के साथ सदन की शालीनता बनायें रखना और बहस का सार्थक परिणाम निकलें यह मेरी प्राथमिकता हैं ।
देवनानी ने कहा कि संसद की तरह राजस्थान में भी मैंने विधानसभा सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक की नई परम्परा शुरू की और पहली तीन बैठकों में सभी दलों के प्रतिनिधियों ने उसमें भाग भी लिया । जब पक्ष और प्रतिपक्ष के नेता एक साथ बैठते है तो कई मामलें स्वतः ही सुलझ जाते है । इस बार विधानसभा सत्र कैसे चलेगा ये तो पक्ष और प्रतिपक्ष दोनों पक्षों को मिलकर ही तय करना है,लेकिन मेरी हमेशा यह कोशिश रहती है कि सदन में प्रदेश की जनता के मुद्दों पर विस्तार से बात हो। विधायक गणों के मध्य सार्थक संवाद रहे, अच्छी बहस हो और उसके परिणाम जनहित में निकलें। मैंने इस बार सत्र शुरू होने से पहले इसी मंशा से प्रयास किए । मुझे विश्वास है कि राजस्थान की परम्परा के अनुरूप विधानसभा का मानसून सत्र ठीक ढंग से चलेगा तथा सत्ता पक्ष और प्रतिपक्ष दोनों को साथ में लेकर सदन में अच्छा वातावरण और सार्थक चर्चा होगी तथा आवश्यक सरकारी विधायी कार्य भी निष्पादित होंगे।
विधानसभाध्यक्ष देवनानी ने कहा कि यह स्वाभाविक है, कि सत्ता पक्ष औऱ प्रतिपक्ष दोनों राज्य के इस सर्वोच्य सदन में अपनी-अपनी बात प्रभावी ढंग से ऱखना चाहते हैं, उन्हें अपनी बात रखनी भी चाहिए लेकिन, विधानसभा अपने नियमों, मर्यादाओं और परंपराओं से चलती है। यह बात सभी जानते हैं। कई बार आवेश में आकर सदन में कुछ सदस्य अतिरेक कदम उठाते हैं तो हाऊस को ऑर्डर में लाना होता है। हम तुलनात्मक रूप से देखें तो राजस्थान विधानसभा काफी अनुशासित और क्रियाशील है। पहले के समय में बहसें आधी रात तक चलती थी और विधायक पूरी तैयारी के साथ आते थे। आज भी सदन की बैठकें देर रात तक चलाई है और मैंने कई बार आवंटित समय से भी अधिक समय तक सदस्यों को बोलने का अवसर दिया है लेकिन, जब मर्यादाएँ टूटती हैं और कोई सदस्य सीमा से बाहर होकर हंगामा करता है तो विवश होकर दुःखी मन से सदन स्थगित करना और निलंबन तक की कार्यवाही करनी पड़ती है। लेकिन मेरा मानना है कि यह स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अच्छी परम्परा नहीं है। विपक्ष की भूमिका सत्ता पक्ष जितनी ही महत्वपूर्ण है। अगर सदन में पूरे समय बहस होगी तो विपक्ष को इसका अधिक लाभ मिल सकता है क्योंकि जनता तक उनकी आवाज पहुँचेगी लेकिन केवल हंगामा करने से नुकसान प्रतिपक्ष का ही होता है। लोकतंत्र की असली ताक़त संवाद, चर्चा और बहस है।
विधायकों के प्रश्नों का जवाब मंगवाने के सम्बन्ध में पूछें गए एक प्रश्न के जवाब में देवनानी ने बताया कि हमने मॉनिटरिंग की एक अच्छी व्यवस्था सुनिश्चित की है। इसमें मंत्रियों और उनके सचिवों से सीधे संवाद किया जाता है। मैनें भी सदन के नेता मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा और प्रदेश के मुख्य सचिव सुधांश पंत से इस सन्दर्भ में कई बार बात की तथा प्रमुख सचिवों की एक बैठक भी ली है, इसके अच्छे परिणाम आ रहे हैं । साथ ही इसका लाभ यह भी हुआ कि पिछले सत्र में लगभग 9800 प्रश्न आए थे, जिनमें से 90 प्रतिशत का उत्तर विधानसभा सचिवालय को समय पर मिल गया है । अब शेष प्रश्नों के जवाब भी मिलने की प्रक्रिया में है। पहले ऐसा नहीं होता था। पहली बार विधानसभा कीआश्वासन समिति के जवाब भी आ रहें है। इस व्यवस्था से अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है । राजस्थान विधानसभा में लगभग 20 विभिन्न समितियाँ हैं जिनकी बैठकें लगातार होती हैं। इन समितियों में सदस्यों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए मैंने माननीय विधायकों को व्यक्तिगत पत्र लिखकर कहा कि समितियाँ महत्वपूर्ण हैं और आपको इनमें अधिकाधिक भाग लेना चाहिए। इससे समिति को बैठकों में विधायकगणों की उपस्थिति भी बढ़ी है। इन समितियों के जरिए ब्यूरोक्रेसी और प्रशासन को जवाबदेह बनाया जा रहा है। मेरा हमेशा से मानना है कि ब्यूरोक्रेसी राज्य विधानसभा के प्रति जबावदेह होनी चाहिए।
विधानसभाध्यक्ष देवनानी ने कहा कि हमें नेवा प्रोजेक्ट और डिजिटलाईज़ेशन से बहुत फायदा हुआ है। अब विधायक गण ऑनलाइन ध्यानाकर्षण, प्रश्न और पर्चियाँ दे सकते हैं। जनता भी वेबसाइट खोलकर देख सकती है कि किस विधायक महोदय ने कौन-सा प्रश्न पूछा और उसका क्या जवाब मिला। इससे पारदर्शिता लगातार बढ़ रही है। हम विधानसभा में प्रश्नकाल पर बहुत फोकस कर रहें हैं। साथ ही विधायक गणों को शून्यकाल में भी मुद्दों पर अपनी बात रखने का पर्याप्त समय होता है। वैसे भी विधानसभा का परिसर मुद्दों पर सार्थक बहस,सवाल-जवाब के लिए ही होता है बशर्ते कि तय सीमा और नियमों के दायरे में ऐसा किया जाए। इसे सुनिश्चित करना और सदन का सुचारु संचालन मेरा काम है। बाकी तो जितनी चर्चा हो और बहस हो जनता के लिए ही हितकारी ही होगा। देवनानी ने कहा कि जितनी मुद्दों पर केन्द्रित बहस होगी, उतना ही जनता को लाभ भी मिलेगा।
राजस्थानी भाषा कों मान्यता
राजस्थानी भाषा की मान्यता को लेकर पूछें गए एक प्रश्न के जवाब में देवनानी ने बताया कि संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाएँ हैं, लेकिन समय के साथ और भाषाएँ भी जुड़नी चाहिए । हमने विधानसभा से राजस्थानी भाषा की मान्यता का प्रस्ताव पारित कर केन्द्र को भेजा है। ये केन्द्र को ही तय करना है। मुझे लगता है कि यथोचित समय पर केन्द्र इस विषय में निर्णय लेगा क्योंकि हमारी तरह कई अन्य स्थानों से भी भाषाओं की मान्यता की मांगें केन्द्र तक पहुंचती है। केन्द्र सरकार सभी दृष्टि से देखकर कोई निर्णय लेगी। विधानसभा से तो इस दिशा में काम हो चुका है।
विधान परिषद का गठन
विधान परिषद के गठन को लेकर एक सवाल के जवाब में विधानसभाध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि इसका निर्णय भी केन्द्र सरकार ही करती है। मेरा व्यक्तिगत मत है कि विधान परिषदों में राज्य के गुणी और शिक्षित लोगों को स्थान मिलना चाहिए ,जैसा राज्यसभा में होता है। जहां तक समुचित स्थान और व्यवस्थाओं की बात है, तो हमें पूर्व मुख्यमंत्री भैरोंसिंह जी शेखावत और पूर्व विधानसभाध्यक्ष हरिशंकर भाभड़ा जी की दूरदर्शिता को मानना पड़ेगा जिन्होंने मौजूदा भव्य और देश के सबसे अच्छे विधानसभा भवनों में से एक इस परिसर में हर संभावना के लिए पहले ही समुचित व्यवस्थाएं कर रखी है। आने वाले वर्षों में जिस अनुपात में विधानसभा सीटें बढ़ने की संभावना है,उतनी व्यवस्थाएं हमारे यहां पहले से ही है। इसीलिए स्थान आदि की कोई समस्या नहीं है बल्कि वर्तमान भवन में हम कई नवाचार भी कर रहे हैं। विधानसभा भवन के नीचे की मंजिल में एक संग्रहालय बनाया गया है जिसमें 1952 से अब तक का राजस्थान का राजनीतिक इतिहास दर्ज है। साथ ही संविधान दीर्घा भी सृजित की गई है जिसमें संविधान के बाईस भागों का सचित्र प्रदर्शन किया गया है। पहले लोग सुरक्षा कारणों से विधानसभा भवन में नहीं आ पाते थे,लेकिन मैंने विधानसभा परिसर को जनदर्शन के लिए खोल दिया है। पिछले एक साल में लगभग 20,000 लोग विशेष कर विधार्थी यहाँ आ चुके हैं। साथ ही हमने विधानसभा परिसर में देश की पहली कारगिल शौर्य वाटिका स्थापित की है ।साथ ही हमारा लक्षित्र वाटिका और हर्बल गार्डन आदि भी विकसित करने का प्रयास हैं। विधानसभा केवल विधायकों तक सीमित न रहे बल्कि जनता के लिए भी प्रेरणा का एक स्रोत बने यही मेरा प्रयास है।