- टवीट कर कहा, मेरे लिए क्रिकेट करियर को अलविदा कहने का सही वक्त
- बोली, हमारी भारतीय महिला टीम प्रतिभाशाली नौजवान क्रिकेटरों के हाथो मेंं
- मिताली को भारत को वन डे विश्व कप न जिता पाने का मलाल ही रह गया
सत्येेन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : भारत ही दुनिया की महानतम महिला बल्लेबाज मिताली राज ने बुधवार को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के सभी प्रारूपों को अलविदा कहने की घोषणा कर दी। भारत में एक पूरी पीढ़ी की लड़कियों को क्रिकेट खेलने के लिए प्रेरित करने वाली 3 दिसंबर, 1982 को जोधपुर में जन्मी मिताली ने क्रिकेट को अलविदा कहने की घोषणा टिवटर पर एक संदेश डालकर की। यह भी एक संयोग है कि 39 बरस की मिताली ने अपने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट का करियर आगाज 26 जून, 1999 को किया और इसे अलविदा कहने का फैसला जून(8) में ही किया। मिताली ने टिवटर पर लिया, ‘मेरा मानना है कि मेरे लिए अपने क्रिकेट करियर को अलविदा कहने का सही वक्त है क्योंकि हमारी भारतीय महिला टीम कुछ बेहद प्रतिभासम्पन्न नौजवान क्रिकेटरों के हाथों में है। भारतीय क्रिकेट का बहुत बहुत उज्जवल है।’
मिताली राज ने भारत के लिए अपने क्रिकेट करियर का आगाज 17 बरस की उम्र में वन डे में आयरलैंड के खिलाफ चंद्रकाता कौल की कप्तानी में शतक जमा टीम को 161 रन से जिता कर दिया। मिताली ने अपने करियर का अंतिम मैच 27 मार्च, 2022 भी आईसीसी वन डे महिला विश्व कप में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ कप्तान के रूप में किया और इसमें भारत की टीम भले ही अंतिम गेंद पर तीन विकेट से हार गई लेकिन इसमें भी उन्होंने 68 रन की शानदार पारी खेली। इस मैच में मिताली ने स्मृति मंधाना (71) और शैफाली वर्मा (53) के साथ अद्र्बशतक जडऩे वाली तीसरी बल्लेबाज थी। भारत भले ही बेहद करीब से दक्षिण अफ्रीका से हार कर इस महिला वन डे कप से बाहर हो गया लेकिन उनके जीवट ने टीम की हर खिलाड़ी को उन्हें सलाम करने को मजबूर कर दिया। अपने करीब दो दशक के क्रिकेट करियर मिताली भारत की इकलौती महिला और पुरुष क्रिकेटर रही जिनकी कप्तानी में टीम इंडिया दो बार-2005 और2017 – वन डे विश्व कप के फाइनल में पहुंची। मिताली को बस मलाल यह रह गया कि वह भारत को कोई विश्व कप नहीं जिता पाईं। 2005 में भारत की महिला वन डे फाइनल में फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से 98 रन और 2017 में इंग्लैंड से बेहद करीब फाइनल में मात्र 9 रन से हार कर खिताब जीतने से चूक गई।
मिताली राज बेहतरीन महिला क्रिकेटर होने के साथ भरतनाटयम में पारंगत थी। मिताली ने बतौर क्रिकेटर स्ट्रोक खेलते हुए चपलता भरतनाटयम की बदौलत ही पाई। क्रिकेटर के रूप में बेहतरीन तकनीक मिताली अपने क्रिकेट उस्ताद सम्पत कुमार से सीखी। क्रिकेट का प्रारूप चाहे-टेस्ट, वन डे, टी-20-चाहे जो हो पारी को जमा टीम इंडिया की जरूरत के मुताबिक खेलना तो कोइ मिताली से सीखे। कोई भी क्रिकेटर दो दशक से भी ज्यादा लंबा खेले और कोई विवाद न रहा हो यह मुमकिन नहीं है। मिताली राज की बतौर क्रिकेटर बतौर उपलब्धियों को भारत के हर क्रिकेट उस्ताद ने माना लेकिन रमेश पोवार के साथ वेस्ट इंडीज में 2018 के टी-20 विश्व कप के दौरान उनकी खासी ठनी भी। लीग चरण में जब मिताली को बल्लेबाजी क्रम में नीचे खेलने को कहा कहा गया और इंग्लैंड के सेमीफाइनल से बाहर बैठाया गया और भारत इसमें हार कर टूर्नमेंट से बाहर गया तो तब उनमें और रमेश पोवार के बीच काफी कहा सुनी भी हुई। इसके बाद पोवार को पद से हटा डब्ल्यूवी रामन को भारत का चीफ कोच बनाया गया। हालांकि इसके बाद जब पोवार को महिला वन डे विश्व कप में फिर भारत का कोच बनाया गया तो दोनों ने एक सुर में कहा कि यह अतीत है और वे इसे भुला चुके हैं। जब मिताली को बीते महीने महिला टी-20 चैलेंज टूर्नामेंट के लिए नहीं चुना गया तभी से दबे स्वर में यह कहा जाने लगा कि उनका क्रिकेट करियर खत्म हो चुका है। बहुत मुमकिन है कि अब वह आने वाले समय में भारतीय क्रिकेट की मार्गदर्शक या उस्ताद की भूमिका निभाएं।
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मिताली के क्रिकेट करियर पर एक नजर
मिताली राज ने क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट टेस्ट (12 टेस्ट, 699 रन, एक शतक, चार अद्र्धशतक, सर्वोच्च 214 रन, 12 कैच ), वन डे( 232 वन डे, सात शतक, 64 अद्र्बशतक, सर्वोच्च 125* 7805 रन, 64 कैच ), टी -20(89 टी 20, 17 अद्र्बशतक, सर्वोच्च 97*, 2364 रन, 17 कैच) कुल मिलाकर 10868 रन बनाए और इनमें आठ शतक भी शामिल हैं। मिताली अपने जमाने की बेहतरीन फील्डर भी रही और उन्होंने तीनों फॉर्मेट में कुल 93 कैच भी लपके।