
गोपेन्द्र नाथ भट्ट
भारत का राष्ट्रीय रेल नेटवर्क दुनिया के सबसे व्यस्ततम नेटवर्कों में से एक है,जो सालाना 11 अरब से अधिक यात्रियों और 1.416 अरब टन माल का परिवहन करता है। भारत में कुल रेल मार्गों की लंबाई 68,584 किमी (42,616 मील) है, जिसमें 132,310 किमी (82,210 मील) से अधिक ट्रैक और 8,000 से अधिक रेल्वे स्टेशन हैं और यह दुनिया में चौथा सबसे बड़ा रेल्वे नेटवर्क है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 में सत्ता ने आने के बाद भारतीय रेल को नई दिशा प्रदान की हैं। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का भी भारतीय रेल को नए आयाम देने में उल्लेखनीय योगदान रहा है। भारत अब बुलेट रेल के युग ने प्रवेश कर रहा है। वंदे भारत रेल के आगमन से रेल यात्राएं और अधिक सुगम,आरामदायक और तीव्र गति युक्त हो गई हैं। देश के महानगरों और अन्य प्रमुख नगरों ने मेट्रो नेटवर्क और रैपिड रेल नेटवर्क के बढ़ते प्रसार ने लोगों की यातायात सुविधाओं को सुगम बनाया हैं। भारत सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर से कन्याकुमारी और उत्तर-पूर्व से देश के गुजरात और राजस्थान तक के पश्चिम राज्यों के सुदूर और विकटतम क्षेत्रों में भी रेल विकास के नए कीर्तिमान बनाए जा रहें हैं। जम्मू कश्मीर में दुनिया की बेजोड़ रेल सुरंगों में से एक सुरंग के रास्ते रेल आवागमन शुरू हुआ है । पिछले वित्तीय वर्ष की तरह इस वर्ष 2025-26 में भी भारतीय रेलवे के लिए 2.52 लाख करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान रखा गया है।
इस सबके बावजूद भारत में आम दिनों के दौरान भी खचाखच भरे रेल डिब्बों और रेल की छतों पर सवार होकर यात्रा करने वाले मुसाफिरों को देखा जाना एक आम बात है। विशेष कर त्योहारों, कुम्भ और महाकुम्भ तथा छठ पूजा और ग्रीष्मकालीन एवं अन्य अवकाशों में ये दृश्य देखा जाना कोई नई बात नहीं हैं। इस कारण रेल्वे स्टेशनों पर प्रायः भीड़ देखी जाती हैं और रिजर्वेशन होने के बावजूद रेल डिब्बों तक पहुंचना किसी टेडी खीर से कम नहीं होता। हाल ही प्रयाग राज महाकुंभ में जाने वाले यात्रियों की भीड़ अनियंत्रित होने से राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के रेल्वे स्टेशन पर मची भगदड़ और हड़बड़ी में कुचले जाने से 18 यात्रियों की दर्दनाक मौत हो गई थी। ऐसी ही दुर्घटनाएं इससे पहले भी होती रहीं हैं।
भारत की मोदी सरकार ने इन घटनाओं से सबक लेते हुए देश के विभिन्न रेल्वे स्टेशनों पर भीड़ नियंत्रण करने के लिए कई प्रभावी कदम उठाएं जाने का निर्णय लिया है। हाल ही केन्द्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की अध्यक्षता में स्टेशनों पर भीड़ नियंत्रण को लेकर हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। इस बैठक में लिए गए अहम फैसलों में देशभर के 60 ऐसे स्टेशनों पर जहां समय-समय पर भारी भीड़ होती है एक स्थाई प्रतिक्षा क्षेत्र बनाने का निर्णय विशेष उल्लेखनीय है। इन रेलवे स्टेशनों में से नई दिल्ली एवं दिल्ली के ही आनंद विहार,वाराणसी, अयोध्या और पटना स्टेशनों पर पायलट प्रोजेक्ट भी शुरू कर दिए गए हैं।
बैठक में अश्विनी वैष्णव ने बताया कि देश के 60 स्टेशनों पर पूरी तरह से प्रवेश नियंत्रण की व्यवस्था लागू की जायेगी। इन 60 ऐसे स्टेशनों पर स्थाई प्रतिक्षा क्षेत्र बनाने की व्यवस्था से अचानक आने वाली भीड़ को वेटिंग एरिया में नियंत्रित किया जा सकेगा और यात्रियों को केवल ट्रेन के आने पर ही प्लेटफॉर्म पर जाने दिया जाएगा, जिससे स्टेशन पर भीड़ भाड़ कम होगी। उन्होंने बताया कि केवल कन्फर्म रिजर्वेशन टिकट वाले यात्रियों को सीधे प्लेटफॉर्म तक जाने की अनुमति होगी। बिना टिकट यात्री या प्रतीक्षा सूची टिकट वाले यात्री बाहरी वेटिंग एरिया में ही रुकेंगे। साथ ही इन सभी स्टेशनों पर अनधिकृत एंट्री पॉइंट्स को भी सील कर दिया जाएगा।
इसके अलावा रेलवे स्टेशनों पर भीड़ नियंत्रण के लिए चौड़े फुट-ओवर ब्रिज बनाने का निर्णय भी लिया गया। इसके लिए 12 मीटर (40 फीट) और 6 मीटर (20 फीट) चौड़ाई वाले दो नए स्टेंडर्ड साइज के फुट-ओवर ब्रिज डिज़ाइन किए गए हैं।
ये चौड़े ब्रिज और रैम्प महाकुंभ के दौरान भीड़ प्रबंधन में बहुत प्रभावी साबित हुए थे। अब इन नए चौड़े ब्रिज को सभी स्टेशनों पर स्थापित किया जाएगा।
देश के सभी स्टेशनों और आसपास के क्षेत्रों में निगरानी के लिए बड़ी संख्या में कैमरे लगाए जाएंगे। महाकुंभ के दौरान भीड़ नियंत्रण में कैमरों की अहम भूमिका रही थी। बड़े स्टेशनों पर वार रुम भी विकसित किए जाएंगे। भीड़भाड़ की स्थिति में सभी विभागों के अधिकारी इस वार रुम में कार्य करेंगे। साथ ही भारी भीड़ वाले सभी स्टेशनों पर अत्याधुनिक डिज़ाइन वाले डिजिटल संचार उपकरण जैसे वॉकी-टॉकी, एनाउसमेंट सिस्टम और केटरिंग सिस्टम आदि लगाए जाएंगे।
पिछले वर्ष 2024 के त्यौहारों के दौरान,रेल्वे स्टेशनों के बाहर वेटिंग एरिया बनाए गए थे, जिससे सूरत, पटना और नई दिल्ली में भारी भीड़ को नियंत्रित किया जा सका था। यात्रियों को केवल तब प्लेटफॉर्म पर जाने की अनुमति दी गई जब ट्रेन प्लेटफॉर्म पर आ गई। इसी तरह की व्यवस्था महाकुंभ के दौरान प्रयागराज क्षेत्र के नौ स्टेशनों पर भी की गई थी। इन अनुभवों के आधार पर,भीड़ नियंत्रण में बहुत सफलता मिली थी।
इसके अलावा यह फैसला भी किया गया है कि सभी रेल्वे स्टाफ और सेवा कर्मियों के लिए नए डिजाइन के आईंडी कार्ड भी बनाए जायेंगे। नए डिजाइन के इन आईंडी कार्ड होने से केवल अधिकृत व्यक्तियों को ही स्टेशन में प्रवेश की अनुमति मिल सकेगी। साथ ही रेल्वे स्टॉफ के लिए नई डिज़ाइन की यूनिफॉर्म भी बनवाई जाएगी ताकि किसी भी आपातकालीन परिस्थितियों में उन्हें आसानी से पहचाना जा सके।
केन्द्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में सभी प्रमुख स्टेशनों पर एक वरिष्ठ अधिकारी को स्टेशन निदेशक बनाने का अहम निर्णय भी लिया गया है। अब रेलवे स्टेशनों पर सभी अन्य विभाग से जुड़े अधिकारी और कर्मचारुब स्टेशन निदेशक को रिपोर्ट करेंगे। स्टेशन डॉयरेक्टर को और अधिक वित्तीय अधिकार भी दिए जाएंगे ताकि वे स्टेशन सुधार के लिए तत्काल निर्णय ले सकें। साथ ही रेल्वे स्टेशनों पर स्टेशन निदेशक को क्षमता और उपलब्ध ट्रेनों के अनुसार टिकट बिक्री को नियंत्रित करने का अधिकार भी दिया जाएगा।
देखना है केन्द्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की अध्यक्षता में स्टेशनों पर भीड़ नियंत्रण को लेकर हुई इस उच्च स्तरीय बैठक में हुए अहम फैसलों के निकट भविष्य में क्या दूरगामी और कारगर परिणाम सामने आएंगे?