मोदी-शाह का ‘चेक-मेट’: संगठन पर पकड़ भी और बदलाव का भ्रम भी

Modi-Shah's 'checkmate': control over the organisation and the illusion of change

दिलीप कुमार पाठक

बीजेपी अपने निर्णयों से सबको चौका देने के लिए विख्यात है, लेकिन अब बीजेपी अपने दिग्गज नेताओ को किनारे लगाने के लिए भी विख्यात हो गई है, चौकाने के नाम पर मोदी – शाह बड़े पदों पर ऐसी नियुक्तियां कर रहे हैं कि भविष्य में पार्टी की बागडोर उनके हाथों में ही रहे l मोदी – शाह ने पटना की बांकीपुर सीट से विधायक और बिहार सरकार में मंत्री नितिन नबीन सिन्हा को पार्टी का नया कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है l नितिन नबीन भारतीय जनता पार्टी के इतिहास में जेपी नड्डा के बाद दूसरे कार्यकारी अध्यक्ष होंगे, हालांकि भारतीय जनता पार्टी के संविधान में कार्यकारी अध्यक्ष का कोई औपचारिक पद नहीं है l साल 2019 के बाद से बीजेपी में पूर्णकालिक अध्यक्ष नियुक्त करने से पहले कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करने की एक परंपरा शुरू हुई है, कारण सभी को ज्ञात है, मोदी – शाह के निर्णय वही होते हैं कि हमारी मर्जी l

ऐसे में ये सवाल उठ रहे हैं कि जब कुछ दिनों बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति होनी है तो पार्टी ने कार्यकारी अध्यक्ष क्यों नियुक्त किया है? माना जा रहा है कि बीजेपी अपने संविधान के हिसाब से होने वाले राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को आम सहमति और निर्विरोध रूप से करना चाहती है l बीजेपी जनवरी में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू करेगी, पार्टी में इसकी एक औपचारिक प्रक्रिया है l ऐसे तो कोई चुनाव नहीं हो रहा है लेकिन नामांकन तिथि, चुनाव तिथि ये औपचारिक प्रक्रियाएं हैं, पार्टी को इन्हें करना है, कार्यकारी अध्यक्ष घोषित कर बीजेपी ने ये साफ़ कर दिया है कि नितिन नबीन ही अगले अध्यक्ष होंगे, अब राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव एक औपचारिक प्रक्रिया होगी, शायद ही कोई अब पार्टी के भीतर से इस पद के लिए दावेदारी करे, क्योंकि पार्टी में मोदी – शाह से हटकर कोई अपनी बात कहे इतनी भी हैसियत नहीं है, दावेदारी तो फिर भी बड़ी बात है l

पार्टी अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल का होता है और अधिकतम एक व्यक्ति लगातार दो कार्यकाल पूरे कर सकता है, नितिन नबीन का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना लगभग तय है l नितिन नबीन पांच बार से लगातार विधायक हैं और बिहार से बीजेपी के पहले कार्यकारी अध्यक्ष हैं l 45 साल के नितिन नबीन का कार्यकारी अध्यक्ष बन जाना ज़रूर कई लोगों को हैरान कर रहा है लेकिन मैं हैरां नहीं हूं क्योंकि बीजेपी अब दिग्गज नेताओं को पद नहीं देगी, जाहिर सी बात है l बिहार चुनावों के दौरान अमित शाह ने नितिन नबीन से दो घंटे मुलाक़ात की थी, अगर पीछे की कड़ियों को जोड़कर देखा जाए तो नितिन नबीन का नाम बहुत हैरान नहीं करता है, नितिन नबीन पार्टी के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों के प्रभारी थे और बीजेपी ने यह चुनाव भारी बहुमत से जीता था l यानी नितिन अपनी संगठनात्मक क्षमता पहले ही साबित कर चुके हैं ऐसे तर्क भाजपा दे सकती है l

सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या नितिन नबीन की नियुक्ति के पीछे कोई खास वजह या पार्टी की कोई ख़ास रणनीति है? भाजपा पीढ़ी परिवर्तन के नाम पर बड़े – बड़े नेताओ को किनारे कर देती है, अभी अचनाक नबीन को अध्यक्ष बनाना पार्टी में असंतोष बढ़ा देता, इसलिए पहले कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर पार्टी में उन्हें इसके लिए तैयार कर दिया, तब तक नबीन मीडिया एवं शीर्ष नेतृत्व के साथ अपनी पैठ बना ही लेंगें, ऐसा भाजपा का मानना है क्योंकि किसी दिग्गज नेता को मोदी – शाह अध्यक्ष तो नहीं बनने देंगे कारण स्पष्ट है, नितिन नबीन युवा नेता हैं, मोदी – शाह के दौर में बीजेपी में ऐसे नेताओं को आगे लाया जा रहा है जो किसी भी तरह से नरेंद्र मोदी या अमित शाह के लिए चुनौती पेश ना करें, नितिन की नियुक्ति हैरान इसलिए नहीं कर रही है क्योंकि उन्हें अमित शाह की सहूलियत के हिसाब से बनाया गया है, वे पार्टी के ऐसे कोई मज़बूत नेता नहीं है जिनसे अमित शाह को किसी तरह की चुनौती मिल सके l बीजेपी सेकंड लाइन ऑफ़ लीडरशिप को इस तरह बना रही है कि मोदी के बाद अमित शाह की ही जगह बने l किसी भी ऐसे नेता को मज़बूत पद पर नहीं लाया जा रहा है जो आगे चलकर किसी भी तरह की चुनौती पेश कर पाएं l बीजेपी में इस समय सत्ता मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के इर्द-गिर्द ही केंद्रित है और पार्टी के सभी निर्णयों पर इन दो शीर्ष नेताओं की छाप साफ़ दिखाई दे रही है l
पीएम मोदी भी नितिन की नियुक्ति से ख़ुश ही होंगे क्योंकि वो भी नहीं चाहते कि पार्टी में अमित शाह के लिए कोई चुनौती खड़ी हो, मोदी – शाह संगठन पर पकड़ भी बनाए रखना चाहते हैं और बदलाव का भ्रम भी बनाए रखना चाहते हैं l