यूपी में मिशन 80 का लक्ष्य साधती ‘मोदी-योगी’ की जोड़ी

'Modi-Yogi' duo achieving the target of Mission 80 in UP

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नेवाराणसी में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए अपना पर्चा भरने से एक दिन पहले जब काशी में रोड शो निकाला तो सारे मार्ग में काशी की जनता ने मोदी-योगी का जिस उत्साह से अभूतपूर्व स्वागत किया उसने कई ठोस संकेत दे दिए। आखिर पूरा उत्तर प्रदेश आगामी लोकसभा चुनाव में किसकी झोली को भरने जा रहा है?

आर.के.सिन्हा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विगत मंगलवार को पवित्र वाराणसी में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए अपना पर्चा भरने से एक दिन पहले जब काशी में रोड शो निकाला तो उनकी साये की तरह साथ रहनेवाले उत्तर प्रदेश (यूपी) के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी थे। रोड शो के सारे मार्ग में काशी की जनता ने मोदी-योगी का जिस उत्साह से अभूतपूर्व स्वागत किया उसने स्वतः कई ठोस संकेत दे दिए। वैसे भी लोकसभा चुनाव के समर में सारे देश की निगाहें उत्तर प्रदेश पर लगी हुई हैं। सब जानने को उत्सुक हैं कि यूपी किस पार्टी की झोली को आगामी 4 जून को भरकर दिल्ली की सत्ता की चाबी सौंपेगा।

सियासी गलियारे में वैसे भी यह कहावत पुरानी है कि दिल्ली के सिंहासन का रास्ता यूपी से होकर गुजरता है। यानी जिस पार्टी के पास यूपी में सबसे अधिक सीटें होंगी, प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने का उसका रास्ता उतना ही आसान होगा। यही वजह है कि यूपी की 80 सीटों पर जीत हासिल करने के लिए राजनीतिक दल 2024 लोकसभा चुनावों में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे।

अलबत्ता सियासी पैंतरेबाजी से उलट राजनीतिक विश्लेषक यही मान रहे हैं कि इस बार यूपी में लोकसभा चुनाव के परिणाम अप्रत्याशित नहीं होंगे। भाजपा 2019 लोकसभा चुनावों का प्रदर्शन बख़ूबी दोहराएगी। मोदी और योगी की जोड़ी एक बार फिर करिश्माई प्रदर्शन करेगी। दरअसल,मोदी-योगी की जोड़ी जीत की गारंटी बन चुकी है, जिसके आगे विपक्षी तेवर भी ढीले नजर आते हैं। विपक्ष के पास इस जोड़ी की कोई काट नहीं।

भाजपा अगर यूपी में लोकसभा की सभी 80 सीटों पर जीत के लक्ष्य के साथ चुनावी मैदान में ताल ठोंक रही है , तो उसके पीछे भी इसी जोड़ी का भरोसा है। प्रधानमंत्री कई बार सार्वजनिक मंचों से योगी के विकास मॉडल की तारीफ कर चुके हैं। प्रधानमंत्री इसी मॉडल के जरिए यूपी की सभी सीटों पर जीत का दावा भी कर रहे हैं। जैसा कि अमरोहा की अपनी चुनावी जनसभा में प्रधानमंत्री ने कहा भी कि ‘लिखकर ले लीजिए। सात साल से यूपी में योगी की सरकार है। 2019 लोकसभा चुनाव के समय उन्हें दो ही साल काम करने का मौका मिला था। अब तो सात साल हो गए हैं। योगी ने दिखा दिया है कि गर्वनेंस क्या होता है। कानून व्यवस्था क्या होती है। विकास क्या होता है और इसलिए योगी के नेतृत्व में इस बार रिकॉर्ड टूटेगा। इस बार 2014 और 2019 का रिकॉर्ड टूटेगा और यूपी इतिहास रचेगा।’

यूपी के चुनावी सफर में 2014 का लोकसभा चुनाव मील का पत्थर साबित हुआ। इसी साल यूपी में भाजपा का सियासी वनवास पूरा हुआ। उस समय भाजपा के सामने कोई गठबंधन नहीं था। भाजपा ने करीब 43 फीसदी वोट हासिल करते हुए 80 में से 71 सीटों पर जीत दर्ज की थी। समाजवादी पार्टी ने पांच सीटें जीती ।जबकि, कांग्रेस मात्र 2 सीटों पर ही सिमटकर रह गई थी। बसपा का तो खाता भी नहीं खुला था।

2019 लोकसभा चुनाव में मोदी लहर और योगी के कार्यों के दम पर बीजेपी ने चुनावी दंगल में पुनः ताल ठोंकी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दो साल का कार्यकाल पूरा कर चुके थे। नरेंद्र मोदी को रोकने के लिए समाजवादी पार्टी और बसपा साथ आए। रालोद ने भी साथ दिया। हालांकि चुनाव परिणाम पुनः भाजपा के पक्ष में ही रहा। भाजपा ने करीब 50 फीसदी वोट शेयर के साथ 61 सीट जीती। बसपा 10 सीट, सपा 5 सीट और कांग्रेस के खाते में महज एक सीट आई।

योगी ने 2019 के बाद एक मजबूत और कड़े फैसले लेने वाले मुख्यमंत्री की छवि बनाई और जिसकी परिणिति उत्तरप्रदेश में बुलडोजर के रूप में सामने आई। जो कहीं न कहीं 2022 विधानसभा चुनाव में भाजपा का चुनावी सिंबल सा बन गया। मुख्यमंत्री ने राज्य में कानून व्यवस्था के मोर्चे पर अपने प्रदर्शन के चलते चुनाव को आभासी जनमत संग्रह बना दिया था। भाजपा ने चुनावों में ऐतिहासिक वापसी की और तीन दशकों से चल रहा समाजवादी पार्टी की साइकिल का पहिया पूरी तरह रुक गया। यूपी में भाजपा का वोट प्रतिशत भी 2014 के बाद से लगातार 40 फीसद के ऊपर ही बना हुआ है।

विगत दो लोकसभा चुनावों के मुकाबले 2024 चुनाव में स्थिति बिल्कुल अलग है। सपा ने इस बार कांग्रेस से हाथ मिला लिया है जबकि बसपा अकेले ताल ठोंक रही है। रालोद भी इस बार भाजपा के साथ है। एनडीए ने जातीय समीकरण बैठाने के लिए अपना दल (एस), निषाद पार्टी और सुभासपा जैसे क्षेत्रीय दलों के साथ भी गठबंधन किया है।

भाजपा इस लोकसभा चुनाव में यूपी में बेहतर स्थिति में है तो इसमें केंद्र की मोदी सरकार की उपलब्धियों के साथ योगी मॉडल का अहम योगदान है। केंद्र में जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योजनाओं को जमीनी स्तर पर उतारा। जिस तरह गरीब, युवा, महिला और किसानों के जीवन में खुशहाली लेकर आए उसी तरह योगी ने यूपी में सुशासन का राज कायम काम किया। योगी के सुशासन को अगर आंकड़ों के पैरामीटर पर देखें तो यह जानकर संतुष्टि होती है कि सात साल के कार्यकाल में एक भी दंगे नहीं हुए। जबकि पहले के मुख्यमंत्रियों के समय औसतन हर तीसरे-चौथे दिन एक दंगा होता था। यह किसी से छिपा नहीं है कि पहले पेशेवर माफिया और अपराधी सत्‍ता के संरक्षण में दहशत फैलाते थे।

योगी राज में माफियाओं पर लगाम लगी। यूपी में जनता अब भयमुक्त है, अपराधियों के मन में कानून का खौफ है। पुलिस अपराधियों, माफियों और दंगाइयों पर कहर बनकर टूटी है। उत्तर प्रदेश अपराध मुक्त, भयमुक्त एवं दंगामुक्त हुआ है। प्रदेश में पुलिस के डर से बड़े-बड़े अपराधी और माफिया प्रदेश छोड़कर या तो भाग गए या उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिए हैं।

यूपी में विकास योजनाओं को अमलीजामा पहनाने में केंद्र सरकार ने भी भरपूर साथ दिया। यही वजह है कि केंद्र की योजनाओं यूपी में खूब फलीभूत हुई। जिस कारण यूपी की अर्थव्यवस्था में गुणात्मक सुधार हुए। वर्ष 2016-17 के मुकाबले राज्य का सकल घरेलू उत्पाद(जीएसडीपी) दोगुनी होकर 25 लाख करोड़ तक पहुंच गया। राज्य सरकार ने 2027 तक प्रदेश की अर्थ व्यवस्था को वन ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है। प्रदेश का बजट 2016-17 में जहां 3.46 लाख करोड़ रुपये का था वहीं 2024-25 में यह दोगुने से भी अधिक 7.36 लाख करोड़ रुपये का हो गया। विकास के इन्हीं आंकड़ों की बदौलत भाजपा यूपी में मिशन 80 का लक्ष्य हासिल करने का दावा कर रही है। लोकसभा चुनावों में कौन बाजी मारेगा यह तो भविष्य के गर्भ में छिपा है , लेकिन; इतना तो तय है कि मोदी-योगी की जोड़ी पर यूपी की जनता का विश्वास बना हुआ दिख रहा है।

(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं)