विनोद तकियावाला
देश की राजधानी दिल्ली में सर्दी के मौसम ने दस्तक दी है।वही विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की राजधानी का सियासी परा गर्म है। इनदिनों दिल्ली दरबार के राजनीतिक गलियारों में गरमा-गर्म चर्चा शुरू हो गई है। राजनीति विशेषज्ञों के अनुसार हमेशा ही दिल्ली चर्चा व चिन्तन का केन्द्र मे रहकर राष्ट्रीय व अन्तराष्ट्रीय राजनीतिक दिशा व दशा र्निधारित करता रहा है।इसी क्रम में विगत दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मथुरा मिशन से चुनावी मायने के कयास लगाये जा रहे है।भारतीय राजनीतिक चुनावी समर क्षेत्र में मोदीजी की अंहम भूमिका रही है।ऐसे में समय में विगत दिनों उत्तर प्रदेश के श्रीकृष्ण की जन्म स्थली मथुरा का मोदी का दौरा वह भी जब राजस्थान में विधान सभा चुनाव व अगले वर्ष 24 में लोकसभा का चुनावी वर्ष है।ऐसे में समय प्रधानमंत्री का अचानक मथुरा का दौरा किया।जहाँ उन्होंने अपने ही अंदाज में कहा कि भगवान श्रीकृष्ण लेकर मीराबाई तक का गुजरात से एक अलग रिश्ता रहा है।मथुरा के कान्हा ने ही गुजरात जाकर ही द्वारकाधीश बने थे… वही मीरा की भक्ति बिना वृंदावन के पूरी नहीं होती है।मेरा सौभाग्य है कि मुझे आज ब्रज के दर्शन का अवसर मिला है, ब्रजवासियों के दर्शन का अवसर मिला है,क्योंकि यहां वही आता है जिसे श्रीकृष्ण और श्रीजी बुलाते हैं।ये कोई साधारण धरती नहीं है।ये ब्रज तो हमारे ‘श्यामा-श्याम जू’ का अपना धाम है ब्रज ‘लाल जी’और ‘लाडली जी’ के प्रेम का साक्षात् अवतार है।ये ब्रज ही है,जिसकी रज भी पूरे संसार में पूजनीय है।भगवान कृष्ण से लेकर मीराबाई तक,ब्रज का गुजरात से एक अलग ही रिश्ता रहा है।
मोदी ने कहा कि मेरे लिए इस समारोह में आना एक और वजह से विशेष है।भगवान कृष्ण से लेकर मीराबाई तक,ब्रज का गुजरात से एक अलग ही रिश्ता रहा है।राजस्थान से आकर मथुरा-वृन्दावन में प्रेम की धारा बहाने वाली संत मीराबाई जी ने भी जीवन के अन्तिम झण द्वारिका में ही बिताया था।मीरा की भक्ति बिना वृंदावन पूरी नहीं होती है।ये भारत की एक सम्पूर्ण संस्कृति का उत्सव है,ये प्रेम-परंपरा का उत्सव है,ये उत्सव नर और नारायण में,जीव और शिव में,भक्त और भगवान में,अभेद मानने वाले विचार का भी उत्सव है।ये बात ब्रजवासियों से बेहतर और कौन समझ सकता है।यहाँ सम्बोधन ,संवाद,सम्मान,सब कुछ राधे-राधे कहकर ही होता है।कृष्ण के पहले भी जब राधा लगता है,तब उनका नाम पूरा होता है।इसलिए हमारे देश में महिलाओं ने हमेशा जिम्मेदारियां भी उठाई हैं,और समाज का लगातार मार्गदर्शन भी किया है।उन्होंने कहा कि संत मीराबाई जी ने उस कालखंड में समाज को वो राह भी दिखाई,जिसकी उस समय सबसे ज्यादा जरूरत थी।भारत के ऐसे मुश्किल समय में मीराबाई जैसी संत ने दिखाया कि नारी काआत्मबल,पूरे संसार को दिशा देने का सामर्थ्य रखता है।ब्रज क्षेत्र ने मुश्किल से मुश्किल समय में भी देश को संभाले रखा।जब देश आज़ाद हुआ,तो जो महत्व इस पवित्र तीर्थ को मिलना चाहिए था,वो हुआ नहीं।आज आप के समक्ष काशी में विश्वनाथ धाम व उज्जैन के महाकाल महालोक में दिव्यता के साथ-साथ भव्यता के दर्शन हो रहे हैं।आज केदार घाटी में केदारनाथ जी के दर्शन करके लाखों लोग धन्य हो रहे हैं।अब तो,अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर के लोकार्पण की तिथि भी आ गई है।मथुरा और ब्रज भी विकास की इस दौड़ में अब पीछे नहीं रहेंगे।वो दिन दूर नहीं जब ब्रज क्षेत्र में भी भगवान के दर्शन और भी भव्यता के साथ होंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ब्रज क्षेत्र में,देश में हो रहे ये बदलाव,ये विकास केवल व्यवस्था का बदलाव नहीं है।ये हमारे राष्ट्र के बदलते स्वरूप का,उसकी पुर्न जागृत होती चेतना का प्रतीक है।महाभारत प्रमाण है कि,जहाँ भारत का पुन: रुत्थान होता है,वहां उसके पीछे श्रीकृष्ण का आशीर्वाद जरूर होता है।उसी आशीर्वाद की ताकत से हम अपने संकल्पों को पूरा करेंगे और विकसित भारत का निर्माण करेंगे।श्री कृष्ण की जन्म स्थली पहुंचने से पहले प्रधानमंत्री ने एक्स पर एक पोस्ट करते हुए लिखा था,’संत मीराबाई का जीवन निश्छल भक्ति और आस्था का अनुपम उदाहरण है।भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित उनके भजन और दोहे आज भी हम सभी के अंतर्मन को श्रद्धा-भाव से भर देते हैं।सर्व विदित रहे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चौथी बार मथुरा पहुंचे हैं।आप को मालुम होगा कि नये साल में अयोध्या में राम मंदिर में उद्घाटन की तारीख निश्चित हो गई है।ऐसे में कृष्ण भक्तो व मथुरा वासियों की प्रधान मंत्री से आशा व अपेक्षा है कि कृष्ण जन्म भुमि का विकाश हो।आप को बता दे कि बांके बिहार कॉरिडोर के लिए हाई कोर्ट ने मंजूरी दे दी है।अब कॉरिडोर बनाने के लिए बजट पर सिर्फ फैसला होना है।
आईए हम श्रीकृष्ण जन्मभुमि के संदर्भ में कुछ जाने-समझे की कोशिस करते है।इतिहासकार के अनुसार औरंगजेब ने प्राचीन केशवनाथ मंदिर को नष्ट कर दिया था और शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण कराया था। सन1935 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने वाराणसी के हिंदू राजा को जमीन के कानूनी अधिकार सौंप दिए थे जिस पर मस्जिद खड़ी थी।1951में श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट बनाकर यह तय किया गया कि वहां दोबारा भव्य मंदिर का निर्माण होगा और ट्रस्ट उसका प्रबंधन करेगा। सन1958 में श्रीकृष्ण जन्म स्थान सेवा संघ नाम की संस्था का गठन किया गया।कानूनी तौर पर इस संस्था को जमीन पर मालिकाना हक हासिल नहीं था लेकिन इसने ट्रस्ट के लिए तय सारी भूमिकाएं निभानी शुरू कर दीं।इस संस्था ने 1964 में पूरी जमीन पर नियंत्रण के लिए एक सिविल केस दाखिल किया,लेकिन 1968 में खुद ही मुस्लिम पक्ष के साथ समझौता कर लिया।सन1968 समझौते के अनुसार,शाही ईदगाह कमिटी और श्रीकृष्णभूमि ट्रस्ट के बीच एक समझौता हुआ जिसके अनुसार,जमीन ट्रस्ट के पास रहेगी और मस्जिद के प्रबंधन अधिकार मुस्लिम कमिटी को दिए जाएंगे। हैं।
फिलहाल प्रधान मंत्री जी कृष्ण प्रेम’मीराबाई के प्रति प्रतिष्ठा व उनके सम्मान में डाक टिकट व सिक्का जारी करने व श्रीकृष्ण का मथुरा से गुजरात के द्वारका से पुराना रिश्ता को याद दिलाया गया।उससे विपक्षी राजनीतिक दलो व राजनीतिक पंडितों के मध्य दबी जुबान से चर्चा व चिन्तन हो रही है कि क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मथुरा मिशन का यह दौरा आगामी वर्ष लोक सभा चुनाव से कनेक्सन है। क्योकि मोदी जी अपने आप को गुजरात से श्री कृष्ण जन्मभुमि मथुरा का अपना पुराना रिस्ता होने की ना केवल बात कही बल्कि अपने समर्थकों को जताने की कोशिस की है कि जब श्री कृष्ण मथुरा से चलकर गुजरात आये और उन्होने अपना भव्य व वैभवशाली द्वारका का र्निमार्ण किया था,जहाँ सुःख शांति समृद्धि था।जहाँ के सभी निवासी खुशहाल थें,इतना ही नही द्वाराका में बाहर से आने वाले सभी अतिथियों,परिजनो व सभी बन्धुवान्धवों सभी को न्याय मिलता था।इसका प्रमाण हमारे धर्म ग्रंथों में मिलता है।चाहे वह पाण्डवों के आग्रह पर उनका विशेष दुत बनकर घृतराष्ट की राजसभा में गए, अर्जुन के लिए महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन के रथ का सारथी बने थें।श्री कृष्ण के बाल सखा सुदामा के द्वाराका पुरी में आगमन पर राजदरवार में स्वागत व बिन माँगे ही उनका सुदामापुरी राजमहल व राज्य बना कर दिया था।आज मै स्वयं उसी गुजरात (द्वाराका)से श्रीकृष्ण जन्मभुमि मथुरा मै आया हुँ।इससे स्पष्ट है कि नरेन्द्र मोदी का मथुरा यात्रा के मायने धार्मिक नग्णय व राजनीतिक शत प्रतिशत विशुद्ध वोट की राजनीतिक लाभ उठाने की मंशा है क्योकिं पाँच राज्यों के विधान सभा चुनाव खास कर सटे राज्य राजस्थान के मतदाताओं व अगले वर्ष होने लोकसभा आम चुनाव में भारतीय मतदाताओं विशेष कर एक वर्ग विशेष के मतदाताओं को अपने पार्टी के पक्ष में मतदान करने की कोशिस है।
भारतीय राजनीतिक पंडिओं का मानना है कि अयोध्या में श्रीराम मंदिर के पक्ष में फैसला आने और मंदिर निर्माण के बाद से बीजेपी के पास चुनावी रैलियों और घोषणापत्र में भुनाने के लिए हिंदुओं के सेंटिमेंट से जुड़ा कोई बड़ा मुद्दा नहीं बचा था।भाजपा हमेशा ही लोगों की आस्था से जुड़े मुद्दे को चुनाव में एक मुद्दा बनाते आए हैं।जहाँ तक श्री कृष्ण जन्मस्थली मथुरा का प्रशन है। समाज के विशेष वर्ग का श्रीराम व श्री कृष्ण दोनो से अटुट आस्था व लगाव है।दोनो ही उनकेआराध्य है,पुज्यनीय है।चाहे वह उत्तर प्रदेश हो,उत्तर भारत हो या यूं कहें कि पूरा देश…भगवान श्रीकृष्ण हर जगह किसी न किसी रूप में पूजे जाते हैं।श्रीराम जन्मभूमि के साथ लोगों की जैसी भावनाएं जुड़ी हुई हैं, .उससे किसी भी मायने में कम भावनाएं श्रीकृष्ण जन्मभूमि को लेकर भी नहीं हैं।ऐसे में बीजेपी के पास एक अच्छा मौका है कि इन्हीं भावनाओं को भुनाकर श्रीकृष्ण जन्मभूमि को भाजपा एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने में कोई कसर नही छोड़नी चाहती है।आगामी वर्ष 24 के होने लोक सभा चुनाव में एक बड़ा मुद्दा बनकर उभरेगा,इसके संकेत खुद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही अपने एक भाषण के दौरान दे चुके है।भाजपा मोदी जी को श्रीकृष्ण के द्वारकानगरी (गुजरात)का होने का रिस्ता याद दिलाते हुए एहसास दिलाना चाहता है कि कृष्ण के द्वारका नगरी से कोई खाली हाथ नहीं लौटा है, सभी को द्वारकाधीश ने न्याय ,प्रेम व सम्मान दिया है।
आज मै वही से श्री कृष्णजन्म भुमि मथुरा आया हुँ। आप को याद होगा ‘ जब मोदी जी पहली बार इसी उत्तर प्रदेश के बनारस से चुनाव मैदान में उतरे थे तो उन्होने कहा था ‘ मुझे माँ गंगा ने बुलाया है। लोक सभा चुनाव आते ही मोदी जी अपने समर्थको विश्वास दिलाने कि कोशिस करें कि मै ही अर्जून हुँ ‘ मेरा कृष्ण मेरे रथ का सारथी बन कर – – मुझे पुनः आपका सेवा करने का अवसर प्रदान करने वाला है।
वही दुसरी ओर विपक्षी गजनीतिक पार्टी के नेताओं ,कार्यकर्ताओं व उनके समथकों का मानना है कि भगवान श्रीकृष्ण हमेशा हीअपने सच्चे भक्तों की पुकार सुनता है।इतिहास साक्षी है कि भगवान श्री कृष्ण नें द्वापर युग में कौरव व पाडवों के मध्य छिड़ी महाभारत युद्ध में कर्म व सच्चाई का साथ दिया है।भले ही चाहे वह परिवार हो या रणभूमि।
खैर मुझे लगता है कि सतापक्ष व विपक्ष के इस पचड़े में पड़ने की बजाय अभी सही समय का इंतजार करना ही उचित होगा,क्योकि के गर्भ में है व आगामी वर्ष 24 मे होने वाले लोक सभा चुनाव में जनता जनार्दन के अपनी स्वविवेक व बुद्धि पर र्निभर करेगा।