गोलरक्षक श्रीजेश के दस से ज्यादा बचाव भी भारत की पुरुष हॉकी टीम के काम न आए

  • ऑस्ट्रेलिया ने 7-0 की जीत से लगातार सातवीं बार स्वर्ण जीता
  • एपराउमस व एंडरसन ने दागे दो-दो, गोवर्स, विकहैम व ओगिलवी ने एक-एक गोल
  • भारत तीसरी बार ऑस्ट्रेलिया से फाइनल हारा, रजत पर करना पड़ा संतोष
  • भारत का पूरे फाइनल में एक पेनल्टी कॉर्नर तक हासिल कर पाया
  • भारत की हार से चीफ कोच रीड की रणनीति पर उठे सवाल

सत्येन्द्र पाल सिंह

नई दिल्ली : ऑस्ट्रेलिया के स्ट्राइकर नाथन एपराउमस, जैकब एंडरसन, फ्लैग ओगिलवी, ब्लैक गोवर्स और कप्तान एरोन जेलवस्की के लहरोंं की तरह दोनों छोर से हमलों के तांते के आगे बर्मिघम राष्टï्रमंडल की पुरुष हॉकी फाइनल में सोमवार को गोलरक्षक पीआर श्रीजेश के दस से ज्यादा बचाव भी भारत के काम न आए। भारत का स्वर्ण पदक जीतने का सुनहरा सपना फिर टूट गया। भारत की रक्षापंक्ति में कुछ हद तक सुरेन्दर कुमार और जुगराज को छोड़ कर उपकप्तान हरमनप्रीत सिंह और वरुण कुमार का महज दर्शक की तरह मैदान पर असहाय नजर आना ही उसकी बड़ी हार का सबब बन गया। स्ट्राइकर नाथन एपराउमस, जैकब एंडरसन के दो-दो, ब्लैक गोवर्स, टॉम विकहैम तथा फ्लेनï ओगिलवी के एक-एक गोल की बदौलत ऑस्ट्रेलिया की पुरुष टीम ने भारत पर फाइनल में 7-0 की धमाकेदार जीत के साथ लगातार सातवीं बार स्वर्ण पदक जीत कर अपनी श्रेष्ठïता बरकरार रखी। ऑस्ट्रेलिया के लिए फ्लेन ओगिलवी ने खुद भले एक गोल किया लेकिन उसके ज्यादातर हमलों और गोल के सूत्रधार वही रहे।

भारत की टीमको तीसरी बार ऑस्ट्रेलिया से फाइनल में हार कर रजत पदक पर ही संतोष करना पड़ा। भारत की हार से ज्यादा निराशा उसके बिना संघर्ष घुटने टेकने से हुई। भारत इससे पहले 2010 में इन खेलों के फाइनल में पहली बार अपने घर दिल्ली में ऑस्ट्रेलिया से फाइनल में 8-0 और चार बरस बाद ग्लास्गो में 0-4 से हारा था। भारत की बड़े अंतर से हार से ज्यादा शर्मनाक बात यह रही कि उसने पूल बी के चार और सेमीफाइनल तक कुल पांच मैचों में सात गोल खाए थे उतने अकेले ही ऑस्ट्रेलिया ने ठोक कर उसे पूरी तरह पस्त कर दिया। भारत का पूरे मैच में एक भी पेनल्टी कॉर्नर तक न बना पाने में नाकाम रहना उसके ऑस्ट्रेलिया उस्ताद ग्राहम रीड की रणनीति पर भी सवाल उठाता है।

भारत की आकाशदीप सिंह, ललित उपाध्याय, मनदीप सिंह की अनुभवी त्रिमूर्ति के पास गेंद पहुंचने से पहले ही बराबर ऑस्ट्रेलिया खिलाड़ी छीनते रहे और महज इक्का दुक्का मौके पर अभिषेक और शमशेर ही डी में पहुंच कर शॉट ले सके। गेंद को भारत के कप्तान सेंटर हाफ मनप्रीत सिंह गेंद अपने स्ट्राइकरों की न बढ़ा पाए इसके लिए ऑस्ट्रेलिया के कप्तान एरोन जेलवस्की और ब्लैक गोवर्स और फ्लैन ओगलवी ने एक साथ बराबर गेंद को अपने कब्जे में रखने को मुस्तैद नजर आए। हार्दिक सिंह आज बतौर सेंटर हाफ बाएं छोर से गेंद को आगे साथी स्ट्राइकरों के लिए निकालने में नाकाम रहे ही नीलकांत शर्मा भी बेहद धीमे दिखे। चोट के कारण आक्रामक सेंटर हाफ विवेक सागर प्रसाद के नहीं खेलने और दूसरे क्वॉर्टर के आखिर में ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी द्वारा कंधे से धकियाने के कारण चोट के बाद खेलने पर बहुत धीमे दिखे।

ब्लैक गोवर्स ने मैच के नौवें मिनट में तीसरे पेनल्टी कॉर्नर पर गोल कर ऑस्ट्रेलिया का खाता खोला और नाथन एपराउमस ने पहला क्वॉर्टर खत्म होने से ठीक एक मिनट पहले बेहतरीन श्रीजेश द्वारा पहले प्रयास को नाकाम करने के बाद दूसरे पर तेज शॉट जमा गोल कर अपनी टीम की बढ़त 2-0 कर दी। जैकब एंडरसन ने दूसरे क्वार्टर के सातवें मिनट में गोवर्स के शॉट को श्रीजेश द्वारा रोकने पर उनके पैड से लग कर लौटती गेंद को गोल में डाल ऑस्ट्रेलिया को 3-0 से ,चार मिनट बाद टॉम विकहैम ने गोल कर 4-0 से तथा अगले ही मिनट ही जैकब एंडरसन ने मैच का अपना दूसरा गोल कर उसे हाफ टाइम तक 5-0 से आगे कर उसका स्वर्ण पदक पर कब्जा सुनिश्चित कर दिया था। एपराउमस ने तीसरा क्वॉर्टर खत्म होने से अपना मैच का दूसरा मैदानी गोल कर ऑस्ट्रेलिया को 6-0 से तथा फ्लैन ओगिलवी ने चौथे और आखिरी क्वॉर्टर के पहले ही मिनट में अंतत गोल कर ऑस्ट्रेलिया को 7-0 से आगे कर भारत की मैच में वापसी की उम्मीद खत्म कर दी। टॉम विकहैम के बैकस्टिक के गोल को भारत के रेफरल पर रद्द कर दिया गया अन्यथा उसे दिल्ली की तरह फाइनल0-8 से हार झेलनी पड़ती।