गोपेन्द्र नाथ भट्ट
मोदी 03 जंबो मंत्रिपरिषद के सदस्यों को विभागों का वितरण होने और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा स्वयं सबसे पहले कार्यभार संभालने और मंत्रियों को बिना समय गंवाए तत्काल अपना कार्य शुरू करने के निर्देश के बाद मोदी 03 मंत्रिपरिषद के अधिकांश मंत्रियों ने कार्य भार संभाला लिया है। इसमें राजस्थान के भूपेन्द्र यादव, गजेन्द्र सिंह शेखावत,अर्जुन राम मेघवाल और भागीरथ चौधरी ने भी सुबह नौ बजे से दो बजे तक के शुभ चौघड़िया में अपने अपने मंत्रालयों का कार्य भार संभाल लिया।
सभी मंत्रियों ने कार्य भार संभालने के बाद कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने जो 100 दिन का एक टास्क हम सभी को दिया है। उसको हमें पूरा करना है। आज हम तत्काल अपने अपने मंत्रालय का काम प्रारंभ कर रहे है जिसमें हमने अपने संकल्प पत्र में जो बातें कही हैं उसे पूरा करने के लिए तेज कदमों से चलना है। मोदी जी की गारंटी है का मतलब गारंटी पूरा होने की गारंटी है।
उधर उड़ीसा में पहली बार सरकार बना रही भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने मोहन चरण मांझी को विधायक दल का नेता चुन लिया है। मोहन मांझी बुधवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। उनके साथ के वी सिंह देव और प्रवती परिदा भी शपथ लेंगे। आंध्र प्रदेश में भी एनडीए के चंद्रबाबू नायडू को विधायक दल का नेता चुन लिया गया है। वे भी शीघ्र ही मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। इस तरह भाजपा और एनडीए की 22 प्रदेशों की सरकारों में इजाफा होने जा रहा है।
नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने काफी सोच समझते हुए विभिन्न प्रदेशों और एनडीए घटक दलों के मंत्री बना कर संतुलन बनाने की कौशिश की है। इसमें भौगोलिक दृष्टि से सबसे बड़े प्रांत राजस्थान से जिन चेहरों को केंद्रीय मंत्रिपरिषद के लिए चुना है। इसमें तीन मंत्रियों को पिछले राज में रही परफॉर्मेंस को भी आधार माना गया है।भविष्य में राजस्थान से राज्यसभा की एक सीट खाली हो रही है तथा बीजेपी के सांसदों की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है। भविष्य में भी प्रधान मंत्री मोदी अपने मंत्रिपरिषद में राजस्थान के अन्य चेहरों को भी स्थान दे सकते है। सियासत में बदलाव का यह दौर चलता रहता है। अभी लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के बारे में भी फैसला लिया जाना है और उम्मीद है कि वे फिर से लोकसभा अध्यक्ष बन नीलम संजीव रेड्डी तथा बलराम जाखड़ के रिकार्ड की बराबरी करेंगे।
राजस्थान से चार चेहरों भूपेंद्र यादव,गजेंद्र सिंह शेखावत,अर्जुन राम मेघवाल और भागीरथ चौधरी को मोदी सरकार में जगह मिली है ।
लोकसभा चुनाव में राजस्थान के परिणाम बीजेपी के मन मुफीद नही रहे, इसके बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ा दिल रखते हुए राजस्थान के सियासी मान सम्मान को बरकरार रखते हुए चार प्रमुख चेहरों को अपने मंत्रिपरिषद में स्थान दिया और भूपेंद्र यादव,गजेंद्र सिंह शेखावत और अर्जुन राम मेघवाल को फिर से रिपीट किया है। एक नए चेहरे के तौर पर भागीरथ चौधरी को भी लिया गया है। इन चेहरों के जरिए भाजपा ने जातीय और क्षेत्रीय संदेश साधा हैं। भूपेंद्र यादव के जरिए मेवात,मत्स्य क्षेत्र के साथ राज्य के अहीर या यूं कहे राठ वर्ग के बेल्ट को साधा हैं। गजेंद्र सिंह शेखावत के जरिए मारवाड़ और शेखावाटी के साथ ही भाजपा के परंपरागत राजपूत वोट बैंक को साधा गया है। अर्जुन राम मेघवाल के जरिए दलित वर्ग और बीकाना, पश्चिमी राजस्थान के नहरी क्षेत्र और मारवाड़ को साधने की कोशिश की गई है। भागीरथ चौधरी के जरिए किसान या यूं कहे जाट वर्ग और मेरवाड़ा और मारवाड़ बेल्ट को साधने का प्रयास किया गया है। भूपेंद्र यादव मोदी सरकार में फिर से कैबिनेट मंत्री बने है। यादव ने पिछले मोदी राज में भी वन और पर्यावरण मंत्री के तौर पर अपनी छाप छोड़ी थी। वे अमित शाह के बहुत नजदीकी है। भूपेंद्र यादव लोकसभा का चुनाव लड़ कर पहली बार चुनाव जीते है वो भी पूर्वी राजस्थान की अलवर जैसी कठिन सीट से। वे बीजेपी में कुशल रणनीतिकार के तौर पर जाने जाते हैं और उनका नाम भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में भी चर्चा में रहा था। ओडिसा में बीजेपी सरकार लाने में भी उनका योगदान बताया जाता है।
इसी प्रकार गजेंद्र सिंह शेखावत को भी फिर से केंद्र में मंत्री बनाया गया है। उन्होंने पिछली बार मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट हर घर नल से जल और जल शक्ति मंत्रालय को अच्छे से संभाला था। वे राजपूत चेहरे के तौर पर राष्ट्रव्यापी चेहरे भी बने, लेकिन इस बार निवर्तमान केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला के एक बयान के बाद लोकसभा चुनाव में राजस्थान और अन्य राज्यों में राजपूत समाज की नाराजगी भी देखने को मिली थी। शेखावत को फिर से मंत्री बनाने के पीछे उनकी अच्छी परफॉर्मेंस के साथ ही सामाजिक कारण भी रहे है। शेखावत को क्षत्रिय युवक संघ और राजपूत फाउंडेशन जैसी बड़ी संस्थाओं का भी सक्रिय सहयोग रहा है।
राजस्थान में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) और यमुना जल समझौते को अमलीजामा पहनाने में भी उन्होंने महती भूमिका निभाई तथा पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गढ़ जोधपुर में फिर से चुनाव जीतकर अपनी धाक जमाई है। उनकी भी अमित शाह के परम विश्वस्त नेताओं में गिनती होती है। हालांकि उन्हे इस बार जल शक्ति जैसे भारी भरकम मंत्रालय के स्थान पर पर्यटन और संस्कृति मंत्रालय दिया गया है।
शेखावत के साथ ही अर्जुन राम मेघवाल भी फिर से केंद्रीय मंत्री बने है। पिछली मोदी सरकार में वे बेस्ट फ्लोर मैनेजर रहे तथा लोकसभा में फ्लोर मैनेजमेंट को संभालने में कामयाब रहे इतना ही नहीं कानून मंत्री के तौर पर भी उन्होंने अपनी छाप छोड़ी थी। किरण रिजिजू के बयानों के कारण केंद्र सरकार और न्याय पालिका से मतभेद हो गए थे। अर्जुन राम मेघवाल ने सरकार और न्यायपालिका के मध्य सेतु का काम किया और न्यायपालिका से संवाद को सौहार्दपूर्ण बनाया। उनकी गिनती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वस्त नेताओं में होती है। बीजेपी के प्रमुख दलित चेहरे है अर्जुन राम मेघवाल । उन्हे पार्टी ने लोकसभा चुनावों में अलग अलग राज्यों में भी प्रचार के लिए भेजा।
इस बार अजमेर के सांसद भागीरथ चौधरी को भी केंद्र में राज्य मंत्री बनाया गया है। भाजपा ने विचार परिवार से किसान नेता का नाम मांगा गया था। राजस्थान के प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे ने ओबीसी वर्ग के नाम सुझा कर ऊपर भेजे।
ओबीसी वर्ग से भागीरथ चौधरी और लुंबा राम चौधरी दो नाम सामने आए थे जिनमे से जाट वर्ग से होने का फायदा भागीरथ चौधरी को मिला ।
बीजेपी नेतृत्व जाट नेता कैलाश चौधरी के विकल्प के तौर पर जाट नेता ही चाहता था।
राजस्थान में मौजूदा चुनाव में किसान वर्ग नाराज दिखा और इसका नतीजा ये निकला कि बीजेपी को शेखावाटी एवं नहरी क्षेत्र में भारी नुकसान हुआ। अब भागीरथ चौधरी के जरिए किसान वर्ग को साधने का प्रयास किया गया है। भाजपा को एक जाट नेता लेना था । मारवाड़ और मेरवाड़ा से अधिक विकल्प नहीं होने के कारण भागीरथ चौधरी के नाम पर अंतिम निर्णय हो गया।पहले भी अजमेर के सांसद सांवर लाल जाट केंद्र में मंत्री रह चुके है। उनके पास जनप्रतिनिधि रहने का अनुभव भी था। मार्बल सिटी किशनगढ़ के निवासी होने का भी उन्हें लाभ मिला।
वैसे मोदी 03 में भी प्रधान मंत्री मोदी के विश्वस्त मंत्री के रूप के उभरे अश्विनी वैष्णव भी राजस्थान मूल के मारवाड़ अंचल से ही है लेकिन सांसद में ओडिसा से राज्यसभा में प्रतिनिधित्व करते है। उन्हे रेल और सूचना प्रोद्योगिकी के साथ साथ सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का दायित्व देकर उनका कद बढ़ाया गया है। उम्मीद है कि राजस्थान के इन मंत्रियों के सहयोग से राजस्थान में डबल इंजन की सरकार इस बार प्रगति के नए आयाम लिखेगी।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वाकई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बनाए गए 100 दिनों के रोडमैप पर चलने में यह मंत्री सफल साबित होंगे?