सांसद प्रवीन खंडेलवाल ने भविष्य की शिक्षा को सशक्त बनाने के लिए “दिल्ली डिजिटल यूनिवर्सिटी” की स्थापना का सुझाव मुख्यमंत्री को दिया

MP Praveen Khandelwal suggested the Chief Minister to establish "Delhi Digital University" to strengthen future education

दीपक कुमार त्यागी

दिल्ली को डिजिटल लर्निंग और इनोवेशन का केंद्र बनाने की दिशा में एक दूरदर्शी कदम उठाते हुए चांदनी चौक से सांसद प्रवीन खंडेलवाल ने दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को एक पत्र के माध्यम से “दिल्ली डिजिटल यूनिवर्सिटी” की स्थापना का औपचारिक प्रस्ताव भेजा है। इस पत्र की प्रति दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद को भी प्रेषित की गई है।

मुख्यमंत्री को भेजे गए अपने पत्र में प्रवीन खंडेलवाल ने इस प्रस्ताव को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप, भविष्य उन्मुख एवं तकनीक-सक्षम शिक्षा के क्षेत्र में दिल्ली को अग्रणी बनाने की दिशा में एक रणनीतिक पहल बताया। खंडेलवाल ने कहा कि प्रस्तावित “दिल्ली डिजिटल यूनिवर्सिटी” एक ऐसा केंद्रीय प्लेटफॉर्म बन सकती है, जो गुणवत्तापूर्ण ऑनलाइन उच्च शिक्षा, कौशल विकास और उभरती तकनीकों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा साइंस, साइबर सुरक्षा, ब्लॉकचेन और डिजिटल गवर्नेंस के क्षेत्र में अनुसंधान का केंद्र बनेगा। यह विश्वविद्यालय छात्रों, पेशेवरों और उद्यमियों को लचीली, सुलभ और किफायती शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराएगा।

प्रवीन खंडेलवाल ने प्रस्ताव के विभिन्न लाभों को रेखांकित करते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय सभी के लिए शिक्षा तक सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करेगा, जिससे समाज के प्रत्येक वर्ग, यहां तक कि दूरदराज के क्षेत्रों के छात्र भी शीर्ष श्रेणी की शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि भविष्य-उन्मुख कौशल विकास के तहत इस विश्वविद्यालय में टेक कंपनियों और स्टार्टअप्स के सहयोग से ऐसे पाठ्यक्रम तैयार किए जा सकते हैं जो युवाओं को रोजगार के लिए तैयार करें और उद्यमिता को बढ़ावा दें।

प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि यह विश्वविद्यालय दिल्ली के डिजिटल इकोसिस्टम को मजबूती देगा और राजधानी को एक अग्रणी ज्ञान एवं नवाचार केंद्र के रूप में स्थापित करने में सहायक होगा। उन्होंने यह भी कहा कि डिजिटल-फर्स्ट मॉडल के कारण यह योजना कम लागत में अधिक छात्रों तक पहुंच सुनिश्चित कर सकती है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उचित साझेदारियों के माध्यम से यह विश्वविद्यालय अंतरराष्ट्रीय छात्रों एवं शोधकर्ताओं को आकर्षित कर सकता है और राष्ट्रीय व वैश्विक पहचान प्राप्त कर सकता है। खंडेलवाल ने कहा, “यदि यह प्रस्ताव लागू होता है, तो यह दिल्ली सरकार के अंतर्गत एक ऐतिहासिक नीति नवाचार सिद्ध होगा और समावेशी, तकनीक-संचालित शिक्षा के प्रति दिल्ली की प्रतिबद्धता को और अधिक सशक्त करेगा।”