डाॅ. वीरेन्द्र भाटी मंगल
ललित गर्ग एक ऐसा नाम है जो साहित्य, पत्रकारिता, और समाजसेवा के क्षेत्र में अपनी बहुमुखी प्रतिभा के लिए जाना जाता है। उनका जीवन एक प्रेरणा है जो हमें यह सिखाता है कि कैसे एक व्यक्ति अपने जीवन को विभिन्न क्षेत्रों में सफलतापूर्वक स्थापित कर सकता है। ललित गर्ग एक ऐसे साहित्यकार, पत्रकार है, जिन्होंने अपनी साहित्यिक यात्रा के के माध्यम से समाज के विभिन्न पहलुओं को छुआ है। उनकी षष्टी पूर्ति एक ऐसा मिल का पत्थर है जो उनकी सफलता की यात्रा को दर्शाता है। देश की राजधानी दिल्ली में प्रवास करने वाले ललित गर्ग आज विविधमुखी व्यक्तित्व के लिए देश भर में चर्चित है। 24 सितम्बर 1964 में किशनगढ (अजमेर) में जन्में ललित गर्ग का बचपन अणुव्रत आंदोलन के प्रर्वत्तक आचार्य श्री तुलसी की प्रेरणा से संस्थापित जैन विश्वभारती, लाडनूं (राजस्थान) में बीता। बचपन से ही आचार्य श्रीतुलसी से आशीर्वाद मिलता रहा है और उनके सान्निध्य में रहकर पत्रकारिता, लेखन व समाजसेवा के क्षेत्र में कदम बढते ही गये। आज ललित गर्ग देश के साहित्य, पत्रकारिता व समाजसेवा के क्षेत्र में एक चिर-परिचित नाम है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
ललित गर्ग का जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा से लेकर स्नातक की शिक्षा लाडनूं में रहकर प्राप्त की। आपने राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर से पत्रकारिता में डिप्लोमा प्राप्त किया। आपके पिताजी स्व. रामस्वरूप जी गर्ग राजस्थान के जाने माने पत्रकार व चिंतक थे। गांधी, बिनोबा व जयनारायण के साथ स्व. गर्ग साहब के निकट सम्पर्क रहे थे। यही कारण था कि उनके सम्पर्क देश भर के पत्रकारों, साहित्यकारों व बड़े राजनेताओं से थे। उनकी पत्रकारिता से आचार्य श्री तुलसी भी प्रभावित थे, वे आचार्यश्री तुलसी की प्रेरणा से ही लाडनूं आये और यहां करीब तीन दशक तक रहकर जैन विश्वभारती के विकास के साक्षी बने। ऐसे महान पिता की होनहार संतान ललित गर्ग बचपन से ही पत्रकारिता, साहित्य और समाजसेवा के गुणों को जीवन में धारण कर आगे बढने लगे।
साहित्यिक व पत्रकारिता क्षेत्र में योगदान
ललित गर्ग ने अपनी साहित्यिक यात्रा संपादक के रूप में शुरू की। उनके द्वारा करीब दो दशक तक अणुव्रत आंदोलन की मुख्य पत्रिका अणुव्रत पाक्षिक का संपादन किया गया। जिसके कारण देशभर के साहित्यकारों में अणुव्रत पत्रिका को एक पहचान मिली। अणुव्रत पत्रिका में उनके द्वारा लिखे गये संपादकीय व परिक्रमा काॅलम से उनको देशव्यापी पहचान मिली। ललित गर्ग ने अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन कर साहित्य क्षेत्र में अनूठा योगदान दिया है। उनके द्वारा लिखे गये आलेख व उनके द्वारा लिखि गई कृतियाँ समाज के विभिन्न पहलुओं को छूती हैं और हमें सकारात्मक सोचने के लिए प्रेरित करती हैं। जैन संत गणि राजेन्द्र विजय के नेतृत्व में संचालित आदिवासी उत्थान के लिए चल रहे आंदोलन की मुख्य पत्रिका समृद्व सुखी परिवार का संपादन भी आप वर्षों से कर रहे है। वे सुखी परिवार फाउण्डेशन के संस्थापक एवं वर्तमान में अध्यक्ष है, जिसके माध्यम से आदिवासी उन्नयन एवं उत्थान के अनेक उपक्रम संचालित किये जा रहे हैं। गुजरात के आदिवासी क्षेत्र कवांट में सुखी परिवार एकलव्य विद्यालय, कुमारपाल प्राथमिक विद्यालय, गौशाला, कन्या छात्रावास आदि अनेक गतिविधियां संचालित की जा रही है। सूर्यनगर-गाजियाबाद में प्लेटेनिम वैली इन्टरनेशनल स्कूल के आप कार्यकारी अध्यक्ष है। इसके अलावा करीब एक दर्जन पत्र-पत्रिकाओं के संपादन में आपका विशिष्ट योगदान आपकी कर्मजा शक्ति को उद्घाटित करता है।
ललित गर्ग ने पत्रकारिता के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर विशिष्ट योगदान दिया है। उन्होंने कई समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में काम किया है और देश के प्रायः सभी दैनिक समाचार पत्रों में हिन्दी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में समान रूप से राजनीति, समाज, अध्यात्म व सम-सामयिक विषयों पर सैकडो लेख लिखते रहते हैं। इन्होंने पत्रकारिता के माध्यम से समाज के विभिन्न मुद्दों को उजागर किया है और लोगों को जागरूक किया है। यही कारण की देश के प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में ललित गर्ग के आलेख निरन्तर प्रमुखता के साथ प्रकाशित होते रहते है। आपकी प्रकाशित पुस्तकें शब्द की यात्रा, शून्य से शिखर तक, विचार ऊर्जा का कल्पवृक्ष और जीवन का कल्पवृक्ष साहित्य जगत में अपनी पहचान बना चुकी है। वर्तमान में आप अनेक पत्रिकाओं के सम्पादन में संलग्न है।
समाजसेवा
ललित गर्ग एक समाजसेवी भी हैं। उन्होंने विभिन्न सामाजिक संगठनों में काम किया है और समाज के विभिन्न वर्गों के लिए काम किया है। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, और पर्यावरण जैसे विभिन्न क्षेत्रों में काम किया है और लोगों को मदद की है। सुखी परिवार फाउण्डेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में ललित गर्ग ने आदिवासियों के हितों एवं उनकी सुविधाओं के लिए काम करते हैं। दिल्ली एव एनसीआर क्षेत्र के अनेक सामाजिक संगठनों के माध्यम से ललित गर्ग विशिष्ट कार्य कर रहे है। लायन्स क्लब, मारवाडी सम्मेलन, अणुव्रत आंदोलन, जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, विद्या भारती आदि से जुड़कर समाज सेवा कर रहे है।
ललित गर्ग की विभिन्न क्षेत्रों की विशिष्ट सेवाओं के लिए आचार्य महाप्रज्ञ प्रतिभा पुरस्कार, अणुव्रत लेखक सम्मान, राष्ट्रीय चेतना पुरस्कार सहित अनेक प्रतिष्ठित सम्मान/पुरस्कार मिल चुके है। ललित गर्ग एक बहुमुखी प्रतिभा संपन्न व्यक्ति हैं जिन्होंने साहित्य, पत्रकारिता, और समाजसेवा में अपना योगदान दिया है। उनका जीवन एक प्रेरणा है जो हमें यह सिखाता है कि कैसे एक व्यक्ति अपने जीवन को विभिन्न क्षेत्रों में सफलतापूर्वक स्थापित कर सकता है। ललित गर्ग की धर्मपत्नी श्रीमती बेला गर्ग भी सदैव उनके कार्यों में सहभागी रहती है।